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याद कीजिए भारत के वीर सपूत सौरव कालिया व पांच जवानों की शहादत और उस पर राजनीतिक पार्टियों का स्टैंड

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इंटरनेट डेस्क 1999 में जब भारत पाकिस्तान के बीच कारगिल की लडाई छिडी तो शुरुआत में भारत ने अपने जिन जांबाज सैनिकों को खोया उनमें सौरव कालिया सहित पांच अन्य सैनिक शामिल थे. तब सौरव कालिया सहित पांच भारतीय फौजियों की पाकिस्तान के जवानों ने अंतरराष्ट्रीय युद्धबंदी कानून का उल्लंघन कर 13-14 मई 1999 को […]

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इंटरनेट डेस्क
1999 में जब भारत पाकिस्तान के बीच कारगिल की लडाई छिडी तो शुरुआत में भारत ने अपने जिन जांबाज सैनिकों को खोया उनमें सौरव कालिया सहित पांच अन्य सैनिक शामिल थे. तब सौरव कालिया सहित पांच भारतीय फौजियों की पाकिस्तान के जवानों ने अंतरराष्ट्रीय युद्धबंदी कानून का उल्लंघन कर 13-14 मई 1999 को हत्या कर दी थी. कैप्टन सौरव कालिया, अर्जुन राम बसवाना, मुला राम विदियासर, नरेश सिंह शिंशिवार व भनवर लाल बगेरिया और भीखा राम मुध 4 जाट रेजिमेंट के सैनिक थे.
दरअसल, यह मामला एक अंगरेजी अखबार की उस रिपोर्ट के बाद व पाकिस्तान के एक फौजी के वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद चर्चा में आया. अखबार ने संसद के प्रश्न उत्तर के हवाले से खबर दी है कि भारत सरकार इस मामले के संबंध में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में नहीं अपील करेगी.
क्या कह रहा है पाकिस्तानी सैनिक
पाकिस्तान में एक विजुअल कार्यक्रम कारगिल युद्ध को लेकर बनाया गया है, जो इंटरनेट पर आसानी से देखा जा सकता है. इसे पाकिस्तानी सैनिकों को श्रद्धांजलि बताया गया है. इसमें कार्यक्रम को होस्ट करने वाला शख्स एक सैनिक से सवाल पूछता है और वह भारत के खिलाफ लंबी डिंगे हाकता है. वह सैनिक उस वीडियो में यह कह रहा है कि उसके देश के 20-25 सैनिक भारत के 300 से 700 सैनिकों का मुकाबला करते हैं. पाकिस्तान के उस सैनिक का नाम गुले खानदान है, जो उस समय नायक के पद पर पाकिस्तान सेना में था. वह यह कहता दिख रहा है कि 13 मई 2009 को वह जिस पोस्ट पर था, उस पर कैप्टन सौरव कालिया के नेतृत्व में पांच अन्य भारतीय सैनिकों ने कब्जा करना चाहा था, जिसके बाद उन लोगों ने उनकी हत्या की थी. वह यह आरोप लगाता दिख रहा है कि भारतीय सेना उसके एलओसी में रेकी करने घुसी थी और उसने उनके खिलाफ अपने ऑपरेशन को अपने अधिकारियों के निर्देश के बाद अंजाम दिया. वह इस वीडियो में और भी डिंगे और आपत्तिजनक बातें करता दिख रहा है.
राजनीतिक पार्टियों का सत्ता में जाने का बाद बदल जाता है स्टैंड
भाजपा जब सत्ता से बाहर थी, तब वह इस मुद्दे पर पर बहुत मुखर हुआ करती थी. मौजूदा केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण जब भाजपा प्रवक्ता थी, तो सौरव कालिया के मुद्दे पर वह केंद्र सरकार की जबरदस्त घेराबंदी कर चुकी हैं. वह 2013 में इस मुद्दे पर केंद्र सरकार पर ढिले रवैया रखने का आरोप लगा चुकी हैं. अब यही स्थिति भाजपा की है. महत्वपूर्ण बात यह है कि भाजपा व कांग्रेस दोनों विपक्ष में रहने पर इस मुद्दे को उठाते रहे हैं, लेकिन सत्ता में रहने पर बारी-बारी से यह कह चुके हैं, पडोसी देश के खिलाफ वे इस मुद्दे पर अपील नहीं करेंगे. यहां पर राजनीति व कार्यनीति में अंतर साफ दिखता है. कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने आज इस मुद्दे पर कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार अपना सारा वादा भूल गयी है, वहीं आप पार्टी के प्रवक्ता आशुतोष ने भाजपा सरकार को छद्म राष्ट्रवादी बताया है.
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में जाने में हिचक और अंतरराष्ट्रीय समझौते
नरेंद्र मोदी सरकार ने सौरव कालिया के मामलों को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में ले जाने को मैटर इज नोट प्राइक्टिकल यानी व्यवहारगत नहीं बताया है. सरकार की यह प्रतिक्रिया कैप्टन सौरव के परिजनों द्वारा इस मुद्दे की अंतरराष्ट्रीय जांच कराने की मांग के बाद आयी है. उनके परिजनों की इस संबंध में अपील पर सर्वोच्च न्यायालय ने 15 अगस्त तक केंद्र से अपना हलफनामा दाखिल करने को कहा है. शहीद कालिया के पिता एमके कालिया डेढ दशकों से इस मुद्दे पर संघर्ष कर रहे हैं. उनकी अपील पर अदालत यूपीए सरकार को भी नोटिस जारी कर चुकी है.
दरअसल, किसी युद्धबंदी की नृशंस हत्या करना जेनेवा संधि व भारत पाक के बीच द्विपक्षीय शिमला समझौते का भी उल्लंघन है. भारत ने 13 मई 2015 को पाकिस्तान सैनिकों द्वारा अपने इस बहादुर जवानों को बंदी बनाये जाने व उनकी नृशंस हत्या किये जाने के एक दिन बाद 14 मई 1999 को उन्हें मिसिंग घोषित किया था. हालांकि पाकिस्तान ने इन शहीदों का शव 22-23 दिन बाद सात जून 1999 को भारत को सौंपा था. ऐसी नृंशसता उसके ही सैनिक की स्वीकार्यता के बाद फिर भला पाकिस्तान के खिलाफ अपील करने में क्यों हो संकोच, यह सवाल आम भारतीय के दिल दिमाग में तो है.

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