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जितेंद्र सिंह ने कहा, भाजपा ने छोड़ा नहीं है अनुच्छेद 370 हटाने का मुद्दा

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नयी दिल्ली : भाजपा जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी के विचारों के अनुरुप जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने पर कायम है लेकिन प्रदेश में पीडीपी के साथ सत्ता में साझेदारी के मद्देनजर उसने गठबंधन धर्म को ध्यान में रखते हुए इस मुद्दे को पीछे सरका दिया है. केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने […]

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नयी दिल्ली : भाजपा जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी के विचारों के अनुरुप जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने पर कायम है लेकिन प्रदेश में पीडीपी के साथ सत्ता में साझेदारी के मद्देनजर उसने गठबंधन धर्म को ध्यान में रखते हुए इस मुद्दे को पीछे सरका दिया है. केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने आज यह बात कही.

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प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह ने यह भी कहा कि सरकार सम्मान और सुरक्षा के साथ कश्मीरी पंडितों की घाटी में वापसी चाहती है क्योंकि घाटी उनके बिना अधूरी है. जम्मू कश्मीर से जुडे मसलों के बारे में पीटीआई भाषा को दिए एक साक्षात्कार में सिंह ने कई मुद्दों पर बात की लेकिन विवादास्पद मुद्दों को ज्यादा तव्वजो नहीं देने को प्राथमिकता दी जिनमें जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को वापस लेने की बात भी शामिल थी.

सिंह ने कहा कि वह मुखर्जी की विचारधारा को समझते हुए राजनीति में परिपक्व हुए हैं जिन्होंने एक निशान, एक विधान, एक प्रधान की पैरवी की थी. उन्होंने कहा, तो फिर हम उस सच से दूर कैसे जा सकते हैं? हम अपनी विरासत से कैसे दूर हो सकते हैं और हम अपने जन्म से कैसे दूर जा सकते हैं? भाजपा द्वारा अनुच्छेद 370 पर अपना रुख नहीं त्यागे जाने पर जोर देते हुए सिंह ने कहा, मैं पाखंड नहीं करुंगा. पाखंड करने की कोई वजह भी नहीं है. मैं एक ऐसी पार्टी से हूं, जिसने सभी मुश्किलों से पार पाते हुए और दृढ विश्वास के साथ एक विशेष विचारधारा का पालन किया है.
चिकित्सक से नेता बने 58 वर्षीय सिंह जितेन्द्र सिंह ने कहा कि अनुच्छेद 370 समेत भाजपा के विभिन्न मुद्दों पर पीडीपी के साथ मतभेद हैं और दोनों को इस बात को स्वीकार करना होगा. राज्य में सरकार बनाने वाले गठबंधन का हिस्सा होने के मुद्दे पर सिंह ने कहा, एक बात बहुत स्पष्ट है कि हम जम्मू-कश्मीर में गठबंधन में शामिल हैं लेकिन विचारधाराओं के आधार पर हमारे बीच मतभेद हैं. हमें यह बात स्वीकार करनी होगी. और यह सच है.
सिंह ने कहा कि पार्टी के रुप में भाजपा अपने गठन के समय से अंगीकार किए गए अपने सभी विचारधारात्मक सिद्धांतों पर कायम है लेकिन जहां भी गठबंधन होता है, वहां एजेंडा आपसी स्वीकार्यता पर आधारित होता है. उन्होंने कहा कि गठबंधन परस्पर सह-अस्तित्व के सिद्धांत के आधार पर जनता की सेवा के लिए किए जाते हैं इसलिए जब कल हम पूर्ण बहुमत में होंगे, तो विचारधारा से जुडे मुद्दे भी लिए जाएंगे.
जितेन्द्र सिंह ने कहा, लेकिन जैसा अंग्रेजी में कहा जाता है – हम कुछ मुद्दों पर असहमत होने पर भी राजी हुए हैं और इसी के साथ हमारे बीच कुछ मुद्दों पर सहमत होने के लिए भी सहमति बनी है. केंद्रीय मंत्री ने कहा, इसलिए गठबंधन में संवेदनशील मुद्दों को उठाने के बजाय जो कि गठबंधन धर्म के अनुरुप नहीं है, हमने खुद को विकास एजेंडा यानी न्यूनतम साझा कार्यक्रम के लिए समर्पित करने पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया है.
पिछले साल मई में मंत्री पद संभालने के बाद सिंह ने उस समय यह कहकर विवाद पैदा कर दिया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार जम्मू-कश्मीर के लिए अनुच्छेद 370 के गुणों एवं दोषों पर बहस के लिए तैयार है और वह राज्य में समाज के हर वर्ग के साथ संपर्क कार्यक्रम आयोजित करके असहमत लोगों को सहमत करने का प्रयास करेगी. बाद में उन्होंने विपक्षी दलों और विभिन्न संबंधित पक्षों की आलोचना के मद्देनजर अपना बयान वापस ले लिया था.
सिंह ने सम्मान और सुरक्षा के साथ घाटी में 60 हजार विस्थापित कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की मांग के मुद्दे पर भी बात की और कहा कि उनके बिना घाटी अधूरी है. उन्होंने कहा, इस बात में कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि कश्मीरी पंडित कश्मीर घाटी से हैं. घाटी उनके बिना अधूरी है. कश्मीर की संस्कृति, सभ्यता उनके बिना अधूरी है.
उन्होंने कहा, जो यह कहते हैं या मानते हैं कि कश्मीरी पंडितों को लौटकर नहीं आना चाहिए, वे दरअसल कश्मीर का एक बड़ा नुकसान कर रहे हैं. लेकिन कश्मीरी पंडितों की वापसी सम्मान और सुरक्षा के साथ होनी चाहिए.

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