चेन्नई: हर बार वापस उठ खडे होने और अपने निजी एवं राजनीतिक दुष्प्रचारकों से लडने के दृढ निश्चय के लिए पहचानी जाने वाली अन्नाद्रमुक प्रमुख जयललिता ने उतार-चढाव से भरे अपने करियर में कई लडाइयां लडी हैं, जीती हैं और एक बार फिर सत्ता की कमान संभाली है.
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जयललिता : एक राजनीतिक अचंभा
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चेन्नई: हर बार वापस उठ खडे होने और अपने निजी एवं राजनीतिक दुष्प्रचारकों से लडने के दृढ निश्चय के लिए पहचानी जाने वाली अन्नाद्रमुक प्रमुख जयललिता ने उतार-चढाव से भरे अपने करियर में कई लडाइयां लडी हैं, जीती हैं और एक बार फिर सत्ता की कमान संभाली है. आय से अधिक संपत्ति के मामले के […]
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आय से अधिक संपत्ति के मामले के चलते उनके राजनीतिक करियर के बिखर जाने का खतरा पैदा हो गया था लेकिन ‘कमबैक क्वीन’ ने एक ऐसे समय पर अपनी वापसी की है, जब उनकी पार्टी अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारी कर रही है. जयललिता की वापसी ने विपक्षियों की रणनीति में एक नया ही पेंच ला दिया है.
वर्ष 1991..96, 2001..2006 और मई 2011 से सितंबर 2014 तक मुख्यमंत्री रह चुकीं जयललिता को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने आय से अधिक 66.66 करोड रुपए की संपत्ति के मामले में 11 मई को बरी किया था. जयललिता के बरी होने के साथ ही उनके फोर्ट सेंट जॉर्ज स्थित सत्ता की पीठ में वापसी की प्रक्रिया की शुरुआत हो गई थी.
जयललिता इससे पहले भी कानूनी अडचनों से उबर चुकी हैं. वर्ष 2001 में टीएएनएसआई भूमि मामले ने उन्हें मुख्यमंत्री के रुप में अपना सफर जारी रखने से रोक दिया था.बीते सितंबर में अन्नाद्रमुक प्रमुख को आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी ठहराया गया तो वह एक केंद्रीय कानून के कारण स्वत: ही अयोग्य हो गईं. जयललिता ने इसका सामना कानूनी तौर पर करने का संकल्प जताया था.जयललिता को आय से अधिक संपत्ति के मामले में बरी हुए अभी 15 दिन भी पूरे नहीं हुए हैं और उनकी वापसी मुख्यमंत्री पद पर हो रही है.
सीवी श्रीधर के निर्देशन में वर्ष 1956 में बनी फिल्म ‘वेननीरा अदाई’ से सिनेमा जगत में पदार्पण करने वाली जयललिता ने एक ‘संकोची’ किशोर अभिनेत्री से एक लोकप्रिय और चर्चित अभिनेत्री बनने तक का सफर तय किया. इस सफर के दौरान उन्होंने उस समय के सबसे बडे सितारे एम जी रामचंद्रन (एमजीआर) समेत कितने ही कलाकारों के साथ काम किया.
एक के बाद एक 30 फिल्में करने के बाद पर्दे पर बना उनका तालमेल राजनीति के क्षेत्र में भी पहुंच गया. पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा अन्नाद्रमुक की स्थापना की गई तो वह उनके संरक्षण में आ गईं. पार्टी की प्रचार सचिव के रुप में शुरुआत करने वाली जया ने रामचंद्रन को खासतौर से अपने अंग्रेजी के ज्ञान से प्रभावित किया. रामचंद्रन उनके इस कौशल से बहुत प्रभावित थे. जल्द ही जयललिता को राज्यसभा का टिकट मिल गया और इसके साथ ही उन्हें राजनीति में अपने पैर मजबूती से जमाने का मौका भी मिल गया. रामचंद्रन की अंत्येष्टि के अवसर पर अपमानित होने के बाद जयललिता ने पार्टी तोड दी.
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