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संसद ने सर्वसम्मति से पास किया भारत-बांग्लादेश की जमीन से जुड़ा संविधान संशोधन बिल

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नयी दिल्ली : भारत और बांग्लादेश के बीच कुछ बस्तियों और भूमि क्षेत्रों के आदान-प्रदान को मंजूरी देने वाले ऐतिहासिक संविधान संशोधन विधेयक को आज संसद ने सर्वसम्मति से अपनी मंजूरी दे दी तथा सरकार ने कहा कि भारत अपने सभी पडोसी देशों के साथ धौंस जमाने वाले ‘बिग ब्रदर’ जैसा नहीं बल्कि ध्यान रखने […]

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नयी दिल्ली : भारत और बांग्लादेश के बीच कुछ बस्तियों और भूमि क्षेत्रों के आदान-प्रदान को मंजूरी देने वाले ऐतिहासिक संविधान संशोधन विधेयक को आज संसद ने सर्वसम्मति से अपनी मंजूरी दे दी तथा सरकार ने कहा कि भारत अपने सभी पडोसी देशों के साथ धौंस जमाने वाले ‘बिग ब्रदर’ जैसा नहीं बल्कि ध्यान रखने वाले ‘एल्डर ब्रदर’ जैसा बर्ताव करता है.

लोकसभा ने आज कांग्रेस और तृणमूल सहित सभी राजनीतिक दलों के समर्थन से संविधान (119वां संशोधन) विधेयक को पारित कर दिया और इसके खिलाफ एक भी सदस्य ने मतदान नहीं किया. यह संविधान में सौवां संशोधन है. इस दौरान सदन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी आदि मौजूद थे. विधेयक पारित होने के बाद मोदी ने विपक्षी बेंचों की ओर जाकर सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खडगे, बीजद के भतृर्हरि महताब, तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय और विपक्ष के अन्य नेताओं का धन्यवाद किया. प्रधानमंत्री मोदी ने इस संशोधन बिल के पास होने के बाद बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से फोन पर बात की और उन्हें इस ऐतिहासिक मौके पर बधाई दी है. प्रधानमंत्री ने ट्वीट के जरिये ये जानकारी दी.

विधेयक पारित होने से पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इसके लिए इंदिरा-मुजीब समझौते से मनमोहन-शेख हसीना प्रोटोकाल तक को श्रेय दिया और निचले सदन में सभी सदस्यों से उसी तरह से सर्वसम्मति से इस विधेयक को पारित कराने का आग्रह किया जैसे एक दिन पहले उच्च सदन ने इसे मंजूरी दी थी.
विदेश मंत्री ने कहा, भारत अपने सभी पडोसी देशों के साथ धौंस जमाने वाले ‘बिग ब्रदर’ जैसा नहीं बल्कि ध्यान रखने वाले ‘एल्डर ब्रदर’ जैसा बर्ताव करता है. बिग ब्रदर से अहंकार का उद्बोध होता है जबकि एल्डर ब्रदर से ध्यान रखने वाले बडे भाई का बोध होता है. भारत का बर्ताव एल्डर ब्रदर जैसा है.
सुषमा ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और बांग्लादेश के संस्थापक बंगबंधु मुजीबुर्रहमान के बीच 1974 में जो समझौता हुआ था वह 41 वर्षों के बाद आज इस विधेयक के माध्यम से साकार होने जा रहा है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच बस्तियों के आदान-प्रदान को लेकर 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के शासनकाल में एक प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए गए थे. उसी प्रोटोकॉल के प्रावधानों को लागू करने के लिए यह विधेयक लाया गया है.
सदस्यों के सवालों का जवाब देते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि जहां तक कुछ सदस्यों ने बांग्लादेश से अवैध घुसपैठ का विषय उठाया, इसका समाधान भी इसी विधेयक में है. अभी 88 प्रतिशत सीमा क्षेत्रों में बाड लगाने का काम किया गया है और शेष क्षेत्र में इसलिए बाड नहीं लगाया जा सका क्योंकि सीमाएं स्पष्ट नहीं थी. सुषमा ने कहा कि इस विधेयक के पारित होने से शेष क्षेत्रों में बाड लगाई जा सकेगी और घुसपैठ की समस्या पर काबू पाया जा सकेगा.
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के साथ नौवहन मुद्दों का समाधान निकाल गया है और इस बारे में अंतरराष्ट्रीय पंचाट ने फैसला सुना दिया है. बांग्लादेश के साथ नदियों से जुड़ा मुद्दा अभी बना हुआ है. हम इस बारे में पश्चिम बंगाल एवं अन्य पक्षों के सहयोग से सहमति बनाकर समाधान निकाल लेंगे.
सुषमा ने माना कि पहले अगप और भाजपा ने इस विधेयक का विरोध किया था क्योंकि उन्हें लग रहा था कि असम के हितों की अनदेखी हुयी है. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की सत्तारुढ पार्टी तृणमूल कांग्रेस भी उस समय इसका विरोध कर रही थी. उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने तृणमूल कांग्रेस की सारी चिंताओं को दूर किया है और आज वह इस विधेयक का पूरी तरीके से समर्थन कर रही है.

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