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जानिए आखिर क्‍या है “अफ्सपा” कानून ?

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नयी दिल्‍ली : जम्‍मू-कश्‍मीर में जारी तनाव और आतंकी गतिविधियों के मद्दे नजर सेना को प्राप्‍त सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफ्सपा) को आज हटाये जाने की मांग जोर पकड़ती नजर आ रही है. हालांकि 2009 से ही इसके खिलाफ विद्रोह की आग सुलगनी शुरु हो गयी थी. आज एक बयान में जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री […]

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नयी दिल्‍ली : जम्‍मू-कश्‍मीर में जारी तनाव और आतंकी गतिविधियों के मद्दे नजर सेना को प्राप्‍त सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफ्सपा) को आज हटाये जाने की मांग जोर पकड़ती नजर आ रही है. हालांकि 2009 से ही इसके खिलाफ विद्रोह की आग सुलगनी शुरु हो गयी थी.

आज एक बयान में जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने कहा कि उनकी सरकार सेना से विचार विमर्श करने के बाद ही सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफ्सपा) को चरणबद्ध तरीके से हटाने के मामले में आगे बढेगी क्योंकि सेना ने इसे लेकर आशंकाएं जतायी हैं. मुफ्ती ने कहा कि वह सशस्त्र बलों को अभियोजन से राहत दिलवाने वाले अफ्सपा को एकबारगी नहीं हटा सकते लेकिन उन्होंने आश्वासन दिया कि इसे चरणबद्ध तरीके से हटाया जायेगा.

जम्मू कश्मीर से अफ्सपा हटाये जाने के मुद्दे पर उन्होंने विधान परिषद में कहा, कुछ क्षेत्रों को अशांत क्षेत्र कानून के दायरे से बाहर किया जायेगा. चरणबद्ध प्रक्रिया के जरिये…मैं इसे एकबारगी में नहीं कर सकता..लेकिन मैं इसे करुंगा. मुफ्ती ने कहा कि इस कदम को लेकर आशंका रखने वाली सेना के साथ इस निर्णय के बारे में विचार विमर्श किया जायेगा.

अब सवाल उठता है कि आखिर अफ्सपा कानून है क्‍या ? आइये जानते हैं इस कानून के बारे में

* 1958 में बनी थी अफ्सपा कानून

सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफ्सपा) 1958 में संसद द्वारा पारित किया गया था और तब से यह कानून के रूप में काम कर रही है. आरंभ में अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड और त्रिपुरा में भी यह कानून लागू किये गये थे, लेकिन मणिपुर सरकार ने केंद्र सरकार के विरुध चलते हुए 2004 में राज्‍य के कई हिस्‍सों से इस कानून को हटा दिया.

* जम्‍मू-कश्‍मीर में यह कानून 1990 में किया था लागू

जम्‍मू-कश्‍मीर में सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफ्सपा) 1990 में लागू किया गया था. राज्‍य में बढ़ रही आतंकी घटनाओं के बाद इस कानून को यहां लागू किया था. तब से आज तक जम्‍मू-कश्‍मीर में यह कानून सेना को प्राप्‍त हैं.इसके बाद भी राज्‍य के लेह-लद्दाख इलाके इस कानून के अंतर्गत नहीं आते हैं.

* सेना को गिरफ्तारी का विशेषाधिकार

इस कानून के तहत जम्‍मू-कश्‍मीर की सेना को किसी भी व्‍यक्ति को बिना कोई वारंट के तशाली या गिरफ्तार करने का विशेषाधिकार है. यदि वह व्‍यक्ति गिरफ्तारी का विरोध करता है तो उसे जबरन गिरफ्तार करने का पूरा अधिकार सेना के जवानों को प्राप्‍त है.

* संदेह के आधार पर जबरन तलाशी का अधिकार

अफ्सपा कानून के तहत सेना के जवानों को किसी भी व्‍यक्ति की तलाशी केवल संदेह के आधार पर लेने का पूरा अधिकार प्राप्‍त है. गिरफ्तारी के दौरान सेना के जवान जबरन उस व्‍यक्ति के घर में घुस कर संदेश के आधार पर तलाशी ले सकते हैं.

* कानून तोड़ने वालों पर फायरिंग का भी अधिकार प्राप्‍त है

सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफ्सपा) के तहत सेना के जवानों को कानून तोड़ने वाले व्‍यक्ति पर फायरिंग का भी पूरा अधिकार प्राप्‍त है. अगर इस दौरान उस व्‍यक्ति की मौत भी हो जाती है तो उसकी जवाबदेही फायरिंग करने या आदेश देने वाले अधिकारी पर नहीं होगी.

* 23 मार्च 2009 को पिल्‍लई ने ‘अफ्सपा’ कानून को खत्‍म करने की मांग उठायी थी

संयुक्‍त राष्‍ट्र के मानवाधिर आयोग के कमिश्‍नर नवीनतम पिल्‍लई ने 23 मार्च 2009 को इस कानून के खिलाफ जबरदस्‍त आवाज उठायी थी और इसे पूरी तरह से बंद कर देने की मांग की थी. उन्‍होंने इस औपनिवेशिक कानून की संज्ञा दी थी. दूसरी ओर सेना के जवानों का कहना है कि चूंकी जम्‍मू-कश्‍मीर में जवानों को हर समय जान की जोखिम रहती है. इस कारण से उनके पास ऐसे कानून का होना वाजिब है.

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