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रिमझिम बारिश, कोहरे और सर्दी के बीच गर्मजोशी से मना राष्ट्रीय पर्व

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नयी दिल्ली : जनवरी की सर्दी की रिमझिम बारिश और कोहरे के बीच आज राष्ट्र ने अपना 66वां गणतंत्र दिवस खूब गर्मजोशी से मनाया, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की मौजूदगी में ऐतिहासिक राजपथ पर देश की मजबूत सैन्य क्षमता, विभिन्न क्षेत्रों में अर्जित उपलब्धियों, आधुनिक सैन्य उपकरणों, विविध सांस्कृतिक और सामाजिक परंपराओं के अलावा […]

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नयी दिल्ली : जनवरी की सर्दी की रिमझिम बारिश और कोहरे के बीच आज राष्ट्र ने अपना 66वां गणतंत्र दिवस खूब गर्मजोशी से मनाया, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की मौजूदगी में ऐतिहासिक राजपथ पर देश की मजबूत सैन्य क्षमता, विभिन्न क्षेत्रों में अर्जित उपलब्धियों, आधुनिक सैन्य उपकरणों, विविध सांस्कृतिक और सामाजिक परंपराओं के अलावा सरकार की आत्मनिर्भरता तथा स्वदेशीकरण का प्रदर्शन किया गया.

ओबामा के रुप में पहली बार भारत के इस राष्ट्रीय पर्व के साक्षी बने अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ ही राजपथ से लेकर ऐतिहासिक लालकिले के दोनो ओर मौजूद देश विदेश के सैकडों गणमान्य लोगों और लाखों आम नागरिकों ने बेहद खुशगवार माहौल के बीच देश की सैन्य ताकत और सांस्कृतिक विरासत के प्रदर्शन को गर्व के साथ देखा. राजपथ से लालकिले तक मानों देश के गौरव की गाथा लिखी गई थी. सुरक्षा के लिए अभूतपूर्व व्यवस्था की गई थी लेकिन इससे लोगों के उत्साह में कोई कमी नहीं आई.
सैन्य एवं रक्षा उपकरणों, सेना के तीनों अंगों की विविध टुकडियों की कदमताल, देशभर की सांस्कृतिक विरासत और विविध योजनाओं एवं उपलब्धियों की झलक दिखाने वाली झांकियां, जांबाज बच्चों के कारनामों, लोकनर्तकों की टोलियां और स्कूली बच्चों के दस्तों ने अपनी मौजूदगी से राष्ट्रीय पर्व की इस गौरवमयी सुबह को यादगार बना दिया.
आज की गणतंत्र दिवस परेड का समारोह इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति से शुरु हुआ, जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पुष्पांजलि अर्पित कर शहीदों को राष्ट्र की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित की. मातृभूमि की सेवा में बलिदान देने वाले सशस्त्र बलों के जवानों के अदम्य साहस की स्मृति में अमर जवान ज्योति पर हमेशा लौ प्रज्ज्वलित रहती है. उलटी करके रखी गई राइफल और उसपर टंगी सैनिक टोपी अमर जवानों के बलिदान का प्रतीक है. कृतज्ञ राष्ट्र हर वर्ष इस राष्ट्रीय पर्व पर उनके बलिदानों का स्मरण करता है, जिनकी वजह से हमें आजादी का यह वरदान मिला.
राजपथ पर बने राष्ट्रपति के सलामी मंच की विशिष्ट दीर्घा में ओबामा के अलावा उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी, केंद्रीय मंत्रियों में मनोहर पर्रिकर, राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, वेंकैया नायडू, स्मृति ईरानी, प्रकाश जावडेकर, उमा भारती, नरेन्द्र सिंह तोमर के अलावा भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और अन्य राजनीतिक दलों के प्रमुख नेता मौजूद थे.ओबामा अपनी ‘‘बीस्ट’’ में सवार होकर राजपथ पहुंचे. प्रधानमंत्री मोदी और वहां मौजूद लोगों ने ओबामा दंपत्ति का स्वागत किया. कुछ ही पल बाद परंपरागत अंदाज में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की कार उनके अश्व दस्ते की लयबद्ध ताल के बीच राजपथ पर आकर रुकी.
परंपरा के अनुसार, राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद, 21 तोपों की सलामी के साथ राष्ट्रीय गान की धुन बजायी गई. इसके बाद परेड शुरु होने से पहले सेना के मेजर मुकुंद वर्धराजन और नायक नीरज कुमार सिंह को मरणोपरांत शांतिकाल के उच्चस्थ बहादुरी पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया गया. इन दोनों ने जम्मू कश्मीर में उग्रवादियोंे का मुकाबला करते हुए अपना जीवन कुर्बान किया था.
राष्ट्रपति बराक ओबामा के सुरक्षा अपायों के तहत राष्ट्रपति के सलामी मंच पर बुलेट प्रूफ कवच लगाया गया. राष्ट्रपति ने सलामी मंच से अपने देश के जांबाज जवानों की सलामी ली. उनकी दाइ’ ओर बैठे अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और बाई ओर बैठीं मिशेल ओबामा परेड का आनंद ले रही थीं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हरे और नारंगी रंग वाली छींटदार र्तेुदार पगडी और बंद गले का कोट पहना था. वह परेड के दौरान राष्ट्रपति ओबामा को परेड के बारे में कुछ कुछ बताते नजर आए.
सजे धजे सुरक्षाकर्मियों की कदमताल के बीच देश में ही डीआरडीओ द्वारा विकसित सतह से हवा में मार करने वाली मध्यम दूरी की आकाश मिसाइल का सेना संस्करण और हथियारों का पता लगाने वाले रडार का एक साथ प्रदर्शन इस साल की परेड का मुख्य आकर्षण रहा.
इसके अलावा हाल ही में प्राप्त लंबी दूरी तक समुद्री निगरानी करने वाले और पनडुब्बी रोधी विमान पी-8आई और काफी दूर तक मार करने वाले उन्नत लडाकू विमान मिग-29के को पहली बार प्रदर्शित किया गया है. इस वर्ष की परेड में पहली बार तीनों सैन्य बलों थलसेना, नौसेना और वायुसेना की महिला दलों के माचि’ग दस्ते को शामिल किया गया.
तरह तरह की वर्दियों में सजे चुस्त दुरुस्त जवानों के दस्ते एक एक करके सलामी मंच के सामने से गुजरे. जाट रेजीमेंट के जवानों ने र्तेुदार पगडियों पहनी थीं तो गोरखा रेजीमेंट के जवान फौजी हैट पहने हुए थे. सिख रेजीमेंट के जवान जहां चटख पगडियों में थे, वहीं प्रादेशिक सेना की टुकडी के रुप में शामिल पंजाब के जवानों ने हरी सफेद धारीदार पगडियां पहनी थीं.
जवानों की वर्दियों का रंग और अंदाज भले ही अलग था, लेकिन बारिश के बीच राजपथ पर एक साथ पडती उनके बूटों की धमक और उनके दिल में मचलते देशप्रेम के जज्बे में कहीं कोई अलहदगी नहीं थी.
परेड में भारतीय सेना की लेजर निर्देशित मिसाइल क्षमता टी-90 भीष्म टैंक, सैन्य वाहन बीएमपी द्वितीय सरती के अलावा ट्राउल युक्त टी-72 को भी मैकेनाइज्ड कॉलम्स में प्रदर्शित किया गया. इसे पिनाका मल्टीपल बैरल लांचर सिस्टम के बाद प्रदर्शित किया गया. इसके बाद मोबाइल टोनॉमस लांचर ब्रह्मोस मिसाइल, त्रि-आयामी सामरिक नियंत्रण रडार, गतिशील संचार उपग्रह और आसानी से तैनात करने योग्य सैटेलाइट टर्मिनल आरएडीएसएटी को प्रदर्शित किया गया.
राजपथ पर भारतीय वायु सेना की झांकी 1965 के युद्ध के 50 सालों की थीम पर आधारित है. 1965 की लडाई में अपने कौशल दिखाने वाले भारतीय वायु सेना के कैनबरा बमवर्षक एमआई-4 हेलीकॉप्टर और हवाई परिवहन विमान का प्रदर्शन किया गया.
राज्यों और विभागों की बेहद खूबसूरत झांकियों ने राजपथ को गुलजार कर दिया. जम्मू कश्मीर, गोवा और उत्तर प्रदेश की झांकियों को देखकर लोगों ने सबसे ज्यादा तालियां बजाईं, वहीं लोक निर्माण विभाग की फूलों से बनी झांकी सबसे नयनाभिराम रही. अमेरिका की प्रथम महिला मिशेल ओबामा स्कूली बच्चों की रंगारंग प्रस्तुति को पूरी दिलचस्पी से देखती नजर आईं.
राष्ट्र के समक्ष समुद्री क्षेत्र से उभरने वाले सुरक्षा खतरे के मद्देनजर भारतीय नौसेना ने अपनी झांकी में समुद्री युद्ध के सभी चार आयामों में से कुछ को प्रदर्शित किया. स्वदेश निर्मित विध्वंसक आईएनएस कोलकाता, उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर ध्रुवे के साथ ब्रह्मोस मिसाइल लांच करने के मॉडल को प्रदर्शित कर नौसेना आत्मनिर्भरता और स्वदेशीकरण की अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाया. दूसरी झांकी में भारतीय नौ सेना और नारी शक्ति का प्रदर्शन किया गया. इसमें वे चार महिला अधिकारी शामिल थीं जिन्होंने भारतीय नौसेना के पोत महादेई में गोवा से लेकर ब्राजील के रियो-डी-जेनेरियो तक समुद्र की विषमताओं का बहादुरी से सामना करते हुए समुद्री यात्रा में हिस्सा लिया था.
परेड के अंत में वायुसेना के विमानों के शानदार करतब देखने को मिले. यह फ्लाईपास्ट चक्र के आकार से शुरु हुआ. इसमें तीन एमआई-35 हेलीकॉप्टरों ने वी आकार में उडान भरी. इसके बाद हरक्यूलिस आकार बनाया गया, जिसे तीन सी-130जे सुपरहरक्यूलिस विमानों ने अंजाम दिया.
राष्ट्रपति ओबामा की मौजूदगी ने आज के इस दिन को कुछ खास कुछ अलग बना दिया था. यही वजह है कि दिल्ली में अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था की गई थी. राजपथ के चारों ओर सात स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई है. मध्य दिल्ली में दिल्ली पुलिस और अर्धसैनिक बलों के करीब 40,000 जवानों की तैनाती की गई.चप्पे-चप्पे पर 15,000 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और इनके जरिए एक सेंट्रल कंट्रोल रुम में हर गतिविधि की ताजा तस्वीरें पहुंच रही हैं और दिल्ली पुलिस, अमेरिकी गुप्तचर सेवा और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों का एक संयुक्त दल ने इसकी निगरानी की.
राजपथ के तीन किलोमीटर तक 160 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. हर 18 मीटर पर एक कैमरा लगाया गया है.राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड और दिल्ली पुलिस के अचूक निशानेबाजों को राजपथ के आसपास की इमारतों पर तैनात किया गया है तथा रडार के जरिए हवाई क्षेत्र की निगरानी की जा रही है. किसी भी हवाई हरकत की स्थिति से निपटने के लिए विमान भेदी तोपें भी लगाई गई हैं.
बौछारों से भी नहीं उतरा गणतंत्र दिवस का जोश
बारिश की बौछारों ने इस साल गणतंत्र दिवस समारोह में एक नया रंग बिखेर दिया और इस जश्न के गवाह बनने के लिए दर्शक बडी संख्या में यहां पहुंचे.बारिश का कोई पूर्वानुमान व्यक्त नहीं किया गया था, लेकिन कल राजस्थान के उपर कम दबाव का क्षेत्र बन जाने के कारण आज यहां हल्की बारिश हुई. मौसम विभाग के अनुसार, शहर में सुबह साढे आठ बजे तक लगभग 1.4 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई. अगले तीन दिन तक मौसम ऐसा ही बने रहने की संभावना है.
क्षेत्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र के प्रभारी एम दुरई सामी ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘पहले बारिश का कोई पूर्वानुमान व्यक्त नहीं किया गया था, लेकिन एक चक्रवाती चक्र के जरिए बंगाल की खाडी और अरब सागर से उठी नमी से कल राजस्थान के उपर कम दबाव का क्षेत्र बन गया.’’उन्होंने कहा कि इस वजह से दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में बारिश हुई. आज एक-दो बार हल्की बौछारें या गरज के साथ छींटे पड सकते हैं. अगले दो दिन तक मौसम के ऐसा ही बने रहने की संभावना है.
झांकियों ने दिखाई विविधता की तस्वीर
गणतंत्र दिवस परेड में आज 16 राज्यों और कुछ विभागों की रंगबिरंगी झांकियों ने राजपथ पर देश की सांस्कृतिक विरासत को साकार करने के साथ ही देशभर में सरकार द्वारा चलाए जा रहे विविध कार्यक्रमों की बानगी पेश की.कर्नाटक के चन्नापटना खिलौनों से जम्मू और कश्मीर के लोक नृत्य तक, 16 राज्यों ने परेड में अपनी सांस्कृतिक विरासत और जैवविविधता का प्रदर्शन किया.
66वें गणतंत्र दिवस के लिए विशेष रुप से सजाए गए राजपथ पर झांकियों के कारवां की शुरुआत कर्नाटक की झांकी से हुई, जिसमें लकडी के रंग बिरंगे चन्नापटना खिलौने दिखाए गए थे. इसके बाद आंध्र प्रदेश की झांकी में मकर संक्रांति उत्सवों की रौनक दिखाई गई थी.असम की झांकी का मूल विषय मजौली था. उत्तर प्रदेश की झांकी वाजिद अली शाह पर केंद्रित थी. इस झांकी में सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश दिया गया.
गुजरात की झांकी सरदार सरोवर परियोजना और स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी को ध्यान में रखकर बनाई गई थी. अरुणाचल प्रदेश की झांकी में वहां की इदु मिशमी जनजाति के इगु डांस को प्रदर्शित किया गया था.औद्योगिक उत्पादन और प्रसार विभाग ने मोदी की महत्वाकांक्षी ‘मेड इन इंडिया’ योजना को अपनी झांकी का आधार बनाया, तो सीपीडब्ल्यूडी ने अपनी झांकी मां गंगा को समर्पित की. इसी तरह वित्तीय सेवा विभाग ने जन धन योजना को मूल विषय के रुप में रखकर झांकी का निर्माण किया. कानून और विधि मंत्रालय ने ‘वॉक ऑफ जस्टिस’’ के मूल विषय के साथ लोक अदालत का प्रदर्शन किया.
इस वर्ष की परेड में कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गोवा, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, असम, झारखंड, सिक्किम, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर, हरियाणा, छत्तीसगढ, महाराष्ट्र और गुजरात ने अपनी झांकियां पेश कीं.पिछले वर्ष पश्चिम बंगाल की झांकी को सर्वश्रेष्ठ झांकी का खिताब दिया गया था.

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