चंडीगढ: कांग्रेस से 35 सालों के अपने लंबे संबंधों को समाप्त करते हुए पूर्व सीडब्ल्यूसी सदस्य जगमीत बराड ने आज पार्टी से इस्तीफा दे दिया और आरोप लगाया कि यह ‘‘सिर्फ परिवार के हितों को बढाने वाली’’ पार्टी हो गयी है.
कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद बराड ने हालांकि यह घोषणा नहीं कि वह किसी अन्य राजनीतिक पार्टी में शामिल होंगे. फिर भी, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कामकाज की शैली तथा मादक पदार्थों का मुद्दा उठाने के लिए उनकी तारीफ की और कहा कि भाजपा वंशवाद की राजनीति नहीं करती.
लोकसभा के पूर्व सदस्य बराड को पार्टी के कामकाज की आलोचना करने के बाद पिछले साल अगस्त में निलंबित कर दिया गया था. उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी में ‘‘आंतरिक लोकतंत्र’’ नहीं है तथा यह ‘‘चापलूसों’’ से घिरी हुयी है जिससे पार्टी के क्षेत्रीय नेता ‘‘हाशिए पर पहुंच गए हैं.’’
बराड ने यहां मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि अपनी पार्टी द्वारा किए गए ‘‘अपमान’’ को वह सहन नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए अपने मन की बात करने पर उनके खिलाफ हाल के दिनों में कई ‘‘अनैतिक प्रतिबंध’’ लगाए गए. उन्होंने कहा कि उन्होंने लंबे समय तक प्रतीक्षा की कि प्रतिबंध वापस ले लिए जाएंगे.
बराड ने कहा, ‘‘ मैं इस अपमान को और सहन नहीं कर सकता था और मैंने फैसला किया है कि उनके (खिलाफ उठाये गये कदम) वापस लिए जाने के लिए और प्रतीक्षा नहीं की जाएगी. मैं खुद से सवाल करता रहा हूं : इस पार्टी में नियंत्रक को कौन नियंत्रित करता है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘ ऐसा प्रतीत होता है कि मेरी पार्टी राजनीतिक पार्टी में राजनीतिक ईमानदारी गंभीर राजनीतिक कार्रवाई, राष्ट्र के लिए राजनीतिक सेवा के लिहाज से नहीं समझी जाती बल्कि राजनीतिक ईमानदारी का मापदंड चापलूसी की मात्र से तय किया जाता है, जिसके लिए मेरी नैतिक राजनीतिक इच्छाशक्ति इतने सालों में तैयार नहीं हो सकी.’’ उन्होंने कहा कि पार्टी लोकतंत्र की मांग होती है कि जमीनी स्तर पर लोग फैसला करते हैं कि उनका नेतृत्व किसे करना चाहिए न कि दिल्ली में तथाकथित आलाकमान को.
उन्होंने कहा, ‘‘ मैं इस कुलीनतंत्रीय दृष्टिकोण में, वह लोकतांत्रिक विश्वसनीयता की कमी पाता हूं जो हमारे महान नेताओं महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरु ने कभी भारत में सभी राजनीतिक दलों की जननी (कांग्रेस) को प्रदान किया था.’’ बराड ने कहा कि उन्होंने पार्टी से अपने सभी संबंधों को तोडते हुए 23 दिसंबर को कांग्रेस अध्यक्ष (सोनिया गांधी) को एक संक्षिप्त पत्र भेज कर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) की प्राथमिक सदस्यता से अपने इस्तीफे की पेशकश कर दी.
कांग्रेस पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा, ‘‘इसके साथ ही मैंने 35 साल लंबी अपनी प्रतिबद्ध, निस्वार्थ और ईमानदार निष्ठा को समाप्त कर दिया है.’’ बराड ने कहा कि उन्होंने पार्टी के साथ अपने संबंधों के दौरान वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं दिवंगत इंदिरा गांधी, दिवंगत राजीव गांधी और सोनिया गांधी की ‘‘बातें मानी.’’
उन्होंने कहा, ‘‘ मैंने 35 सालों तक उनकी बातें मानी.’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘ मैं पिछले पांच महीने से प्रतीक्षा कर रहा था कि मेरी पार्टी को सद्बुद्धि आएगी और वह मुझे स्पष्टीकरण देने के लिए एक मौका देगी. लेकिन ऐसा नहीं हो सका.’’ बराड और उनके सहयोगियों के साथ उनके भाई तथा पूर्व विधायक रिपजीत बराड ने भी कांग्रेस छोड दी.
बराड ने दावा किया कि लोकसभा चुनावों में ‘‘शर्मनाक’’ हार के बाद पार्टी के अंदर कोई आत्मविश्लेषण नहीं हुआ.