नयी दिल्ली: जबरन धर्मान्तरण एवं काला धन वापस लाने सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष के भारी हंगामे के कारण राज्यसभा की बैठक आज फिर बार बार बाधित हुयी और चार बार के स्थगन के बाद कार्यवाही अंतत: दिन भर के लिए स्थगित कर दी गयी.
सुबह सदन की बैठक शुरु होने पर एक प्रस्ताव पारित कर मुंबई हमले के मुख्य षड्यंत्रकर्ता जकी उर रहमान लखवी को पाकिस्तान में जमानत दिये जाने की भर्त्सना की गयी और पाकिस्तान से यह सुनिश्चित करने को कहा गया कि प्रत्येक आतंकवादी गतिविधि के षड्यंत्रकर्ता को दंड मिले.
इसके बाद जदयू, सपा सहित विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने कहा कि उन्होंने नियम 267 के तहत कार्यस्थगन प्रस्ताव दिया है. आसन की अनुमति से जदयू के शरद यादव ने कहा कि सरकार ने अपने एक भी वादे को पूरा नहीं किया है.यादव ने कहा कि सत्तारुढ दल ने सत्ता में आने से पहले पांच करोड युवाओं को रोजगार देने, काला धन वापस लाने और खेती करने वालों को उनकी लागत का डेढ गुना देने का वादा किया था. लेकिन सरकार ने इन वादों को पूरा करने के बदले एक नया अभियान ही शुरु कर दिया है.
उन्होंने कहा कि सरकार ने घर वापसी का अभियान शुरु कर दिया है जिसका चुनाव के पहले कोई उल्लेख नहीं किया गया था. उन्होंने कहा कि गुजरात, केरल और उत्तर प्रदेश मे इस तरह घर वापसी के कार्यक्रम हुए हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को अपने वादे पूरे करने चाहिए.जदयू नेता ने कहा कि जबरन धर्मातरण के बारे में भाजपा के सांसद और नेता भी बयान दे रहे हैं. सदन के नेता एवं वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सरकार की ओर से कहा कि विपक्ष के कार्यस्थगन प्रस्ताव पर चर्चा नहीं हो सकती क्योंकि इन मुद्दों पर सदन के इसी सत्र में चर्चा हो चुकी है.
जेटली ने कहा कि शरद यादव ने जो मुद्दा उठाया है, उस पर सदन में इसी सत्र में चर्चा हो चुकी है और सदन के नियम के तहत एक ही सत्र में उस मुद्दे पर दोबारा चर्चा नहीं हो सकती. उन्होंने कहा कि विपक्ष यदि किसी अन्य मुद्दे पर चर्चा करने के लिए चाहे तो सरकार तैयार है और चर्चा अभी शुरु की जा सकती है.सपा के राम गोपाल यादव ने कहा कि इस सरकार ने काला धन वापस लाने, पांच करोड युवाओं को रोजगार देने सहित कई वादे किए थे. उन्होंने कहा कि आज दिल्ली के जंतर मंतर पर मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में विभिन्न विपक्षी दल सरकार द्वारा काला धन वापस नहीं लिए जाने सहित विभिन्न वादों को पूरा नहीं करने के विरोध में धरना दे रहे हैं.
माकपा के सीताराम येचुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने लाल किले से देश में अगले दस वर्षो तक कोई भी सांप्रदायिक घटना नहीं होने का आश्वासन दिया था. लेकिन आज देश में प्रलोभन देकर धर्मातरण की घटनाएं हो रही हैं.तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि विपक्ष चर्चा से भाग नही रहा है. विपक्ष चर्चा चाहता है लेकिन सरकार और प्रधानमंत्री धर्मातरण के मुद्दे पर चुप क्यों हैं? उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को सदन में आकर बयान देना चाहिए.कांग्रेस के आनंद शर्मा ने कहा कि यह विषय गंभीर है और प्रधानमंत्री को सदन में आकर चर्चा सुननी चाहिए और अपनी बात कहनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि चर्चा से विपक्ष नहीं सरकार और प्रधानमंत्री बच रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ताधारी दल के सदस्य और मंत्री विपक्षी नेताओं को बोलने नहीं दे रहे हैं.भाकपा के डी राजा ने धर्मातरण के नाम पर कुछ संगठनों द्वारा दिए जा रहे बयानों को निंदनीय करार देते हुए इस मुद्दे पर चर्चा कराए जाने की मांग की.
इसी दौरान सपा और जदयू के सदस्य हाथों में पोस्टर लिए और नारेबाजी करते हुए कई बार आसन के समीप आ गए.
भोजनावकाश के बाद संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि एक विशेष महत्वपूर्ण विधेयक है जिसके पारित नहीं होने पर दिल्ली में अनधिकृत कालोनियों में 31 दिसंबर के बाद परिसरों की सीलिंग की समस्या पैदा हो सकती है.उप सभापति कुरियन ने दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र विधि (विशेष उपबंध) दूसरा संशोधन विधेयक 2014 पर चर्चा शुरु करने को कहा. लेकिन जदयू और सपा के सदस्य नारेबाजी करते हुए आसन के समक्ष आ गए.
वहीं कांग्रेस के सदस्य भी अपने स्थानों पर नारेबाजी करते दिखे. तृणमूल कांग्रेस, माकपा सहित कई दलों के सदस्य भी अपने स्थानों पर ही खडे होकर कोई मुद्दा उठाते दिखे.हंगामे के बीच ही संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण विधेयक है और इस पर सदस्यों को चर्चा शुरु करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि हजारों गरीब लोग बेघर होने वाले हैं. उनके घर टूट जाएंगे और उन्हें बचाने की जरुरत है. उन्होंने कहा कि यह विधेयक उन लोगों को राहत प्रदान करने के लिहाज से अहम है.
कुरियन ने भी सदस्यों से इस विधेयक पर चर्चा शुरु करने की अपील की. लेकिन हंगामा कर रहे सदस्यों पर उनकी अपील का कोई असर नहीं हुआ और कुरियन ने दोपहर बाद तीन बजकर करीब पांच मिनट पर बैठक दिन भर के लिए स्थगित कर दी.
उल्लेखनीय है कि जबरन धर्मातरण मुद्दे पर प्रधानमंत्री के बयान की मांग पर विपक्ष के हंगामे के चलते पिछले सप्ताह भी उच्च सदन की कार्यवाही लगातार बाधित हुयी थी.
संघ प्रमुख मोहन भागवत के एक कार्यक्रम में भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने और लोगों को हिंदू धर्म में शामिल करने संबंधी बयान देने पर संसद के दोनों सदनों में हंगामा हुआ. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने राज्यसभा में आज कार्य स्थगन का नोटिस दिया है. माकपा सांसद सीताराम येचुरी ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर चर्चा कराने की मांग की है. मालूम हो कि संसद के शीताकालीन सत्र का मंगलवार को समापन हो जायेगा.
लोक सभा में विपक्ष के हमले के बीच संसदीय कार्य मंत्री वैंकैया नायडु ने आज कहा कि सरकार धर्मांतरण के समर्थन में नहीं है. नायडू ने कहा कि यदि कोई जबरदस्ती किसी व्यक्ति का धर्म परिवर्तन कराना चाहता है तो राज्य सरकार उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है. विपक्ष के हंगामे के बीच नायडू ने कहा कि न हीं सरकार और न हीं भाजपा इस तरह के काम में शामिल है और यदि कोई भी कानून का उल्लंघन करता है तो राज्य सरकार उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है.
तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, हम चर्चा से भाग नहीं रहे हैं, हम धर्मांतरण के मुद्दे पर चर्चा चाहते हैं लेकिन हम चाहते हैं कि पीएम सदन में आये और अपना बयान दे.
पिछले दो सप्ताह से राज्यसभा में पहले साध्वी निरंजन ज्योति के मुद्दे पर और फिर धर्मातरण के मुद्दे पर हंगामा जारी है. सदन में कोई कामकाज भी ढंग से नहीं हो पाया है. हालांकि सत्ता पक्ष की ओर से अरुण जेटली ने राज्यसभा की कार्यवाही को स्थगित करने को विपक्ष के संख्या बल के अहंकार की संज्ञा दी. वहीं, विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से धरमतरण व भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के मुद्दे पर बयान चाहता है.
इस बीच राज्यसभा में सदन के नेता अरुण जेटली ने धर्मातरण व मोहन भागवत के बयान पर चर्चा कराने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर सदन में चर्चा हो चुकी है, अगर विपक्ष किसी अन्य मुद्दे पर चर्चा चाहता है तो सत्ता पक्ष इसके लिए तैयार है. वहीं, विपक्ष के उपनेता आनंद शर्मा ने कहा कि चर्चा से सरकार और प्रधानमंत्री भाग रहे हैं. उन्होंने कहा कि सदन में गतिरोध है, जिसकी जिम्मेवारी सरकार पर है. इस बीच विपक्ष के हंगामे के कारण राज्यसभा की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी है.
सदन की कार्यवाही 12 बजे शुरू हुई तो फिर विपक्ष के सांसद हंगामा करने लगे. इस कारण सभापति ने कार्यवाही 12:15 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया. फिर 12 :15 बजे कार्यवाही शुरू होने पर विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया. इस कारण सदन दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया.