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बाला साहब की वसीयत पर बहस जारी, वसीयत को लेकर जयदेव-उद्धव में है विवाद

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मुम्बई : बम्बई उच्च न्यायालय में आज एक गवाह ने कहा कि जब शिवसेना संरक्षक बाल ठाकरे ने जब अपनी वसीयत पर हस्ताक्षर किया था तो शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के अलावा अन्य कोई कानूनी उत्तराधिकारी या उनका रिश्तेदार वहां मौजूद नहीं था. शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे का नवम्बर 2012 में निधन हो गया था. […]

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मुम्बई : बम्बई उच्च न्यायालय में आज एक गवाह ने कहा कि जब शिवसेना संरक्षक बाल ठाकरे ने जब अपनी वसीयत पर हस्ताक्षर किया था तो शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के अलावा अन्य कोई कानूनी उत्तराधिकारी या उनका रिश्तेदार वहां मौजूद नहीं था.
शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे का नवम्बर 2012 में निधन हो गया था. उन्होंने वसीयत में अपनी सम्पत्ति का एक बडा हिस्सा उद्धव के नाम कर दिया जबकि दूसरे पुत्र जयदेव को कुछ भी नहीं दिया.
जयदेव ने वसीयत को यह कहते हुए चुनौती दी है कि जब उनके पिता ने वसीयत पर हस्ताक्षर किया था तब उनकी मानसिक हालत ठीक नहीं थी. इस मामले के गवाह अधिवक्ता एफ डिसूजा से आज जयदेव की वकील सीमा सरनाइक ने न्यायमूर्ति गौतम पटेल के समक्ष जिरह की. ठाकरे ने डिसूजा की मौजूदगी में ही वसीयत पर हस्ताक्षर किया था.
एक सवाल के जवाब में डिसूजा ने कहा कि जब वसीयत बाल ठाकरे के समक्ष पढी गई तब परिवार के सदस्यों में मात्र उद्धव ही मौजूद थे. उद्धव के अलावा वसीयत की तामील कराने वाले अनिल परब, शशि प्रभू, वरिष्ठ अधिवक्ता एवं पूर्व सांसद ए. शिरोडकर और बाल ठाकरे के निजी सहायक रवींद्र महात्रे मौजूद थे.
एक सवाल पर डिसूजा ने कहा कि उन्होंने परिवार के अन्य सदस्यों से सम्पर्क नहीं किया क्योंकि वह उन्हें निजी तौर पर नहीं जानते थे और उनके पास उनके फोन नम्बर भी नहीं थे.
सरनाइक के यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने उद्धव या महात्रे को यह बताया था कि ठाकरे परिवार के अन्य कानूनी उत्तराधिकारियों को मौजूद रहना चाहिए. डिसूजा ने कहा कि उन्होंने अधिवक्ता शिरोडकर से मशविरा किया था जिन्होंने कहा कि यह कानूनी रुप से जरुरी नहीं कि परिवार के सभी सदस्य मौजूद रहें. राज्यसभा के पूर्व सदस्य शिरोडकर का निधन हो गया है. इस मामले में जिरह 12 दिसम्बर को जारी रहेगी.

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