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Vaccination Update: 18 लाख लोगों को प्रिकॉशन डोज, मोलनुपिराविर का नहीं होगा कोविड-19 के इलाज में इस्तेमाल

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Vaccination Update: मोलनुपिराविर को कोविड-19 ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल में शामिल नहीं किया गया है. इसके इस्तेमाल में वैज्ञानिकों को खतरा दिख रहा है. इस बीच वैक्सीनेशन की रफ्तार तेज हो गयी है. पढ़ें ताजा रिपोर्ट...

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Vaccination Update: कोरोना वायरस के संक्रमण की रफ्तार ने सरकार की टेंशन बढ़ा दी है, तो दूसरी तरफ कोरोना को हराने के लिए भारत सरकार ने वैक्सीनेशन का प्रिकॉशन डोज भी शुरू कर दिया है. 18 लाख से अधिक लोगों को बूस्टर डोज/प्रिकॉशन डोज (Booster Dose/Precaution Dose) लग चुके हैं. भारत सरकार की ओर से जारी आंकड़ों में बताया गया है कि मंगलवार शाम 7 बजे तक 153.70 करोड़ कोरोना वैक्सीन की डोज लोगों को दी जा चुकी है. पिछले 24 घंटे के दौरान 76 लाख डोज दी गयी. हालांकि, आईसीएमआर ने ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल में बैक्टीरिया रोधी दवा मोलनुपिराविर को शामिल करने से इंकार कर दिया है.

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इस बीच, लक्षद्वीप ने दावा किया है कि उसने 15 से 18 साल की आयु के सभी टीनएजर्स को वैक्सीन लगा दिया है. केंद्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप के जिला कलेक्टर और सचिव एस असकर अली ने यह जानकारी दी है. जिला कलेक्टर ने कहा है कि 15 से 18 साल की आयु वर्ग के सभी किशोरों को वैक्सीन लगाने वाला लक्षद्वीप देश का पहला राज्य (केंद्रशासित प्रदेश) बन गया है.

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के कोविड-19 संबंधी राष्ट्रीय कार्यबल ने विषाणु रोधी दवा मोलनुपिराविर को अभी कोरोना वायरस संक्रमण के चिकित्सीय ​​प्रबंधन प्रोटोकॉल में शामिल नहीं करने का फैसला किया है. आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी. कार्यबल के विशेषज्ञों ने सुरक्षा चिंताओं का हवाला दिया और तर्क दिया कि कोविड उपचार में मोलनुपिराविर ज्यादा फायदेमंद नहीं है.

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, मोलनुपिराविर एक एंटीवायरल (विषाणु रोधी) दवा है, जो सार्स-कोव-2 को विषाणु उत्परिवर्तन संबंधी प्रतिकृति बनाने से रोकती है. इस कोविड रोधी गोली को आपात स्थिति में प्रतिबंधित उपयोग के लिए 28 दिसंबर को भारत के औषधि नियामक से मंजूरी मिल गयी थी. इस संबंध में एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, ‘कोविड-19 संबंधी राष्ट्रीय कार्यबल के सदस्य इस दवा को राष्ट्रीय उपचार दिशानिर्देशों में शामिल करने के पक्ष में नहीं हैं, क्योंकि इससे कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज में ज्यादा फायदा नहीं होता है और सुरक्षा संबंधी चिंताएं हैं.’

Also Read: बूस्टर/प्रिकॉशन डोज : जानें कौन लोग ले सकेंगे तीसरी खुराक, क्या हैं नियम-शर्तें

आईसीएमआर के प्रमुख डॉक्टर बलराम भार्गव ने पिछले हफ्ते कहा था कि मोलनुपिराविर से सुरक्षा संबंधी बड़ी चिंताएं जुड़ी हैं. उन्होंने कहा था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और ब्रिटेन ने भी इसे उपचार में शामिल नहीं किया है. उन्होंने कहा था, ‘हमें यह याद रखना होगा कि इस दवा से प्रमुख सुरक्षा चिंताएं जुड़ी हैं. यह भ्रूण विकार उत्पन्न कर सकती है और मांसपेशियों को भी नुकसान पहुंचा सकती है.’

मोलनुपिराविर के होते हैं साइड इफेक्ट्स

श्री भार्गव ने कहा था कि दवा लेने के बाद तीन महीने तक पुरुष और महिलाओं-दोनों को गर्भनिरोधक उपाय अपनाने चाहिए, क्योंकि भ्रूण विकार संबंधी स्थिति के प्रभाव के बीच पैदा हुआ बच्चा समस्या से ग्रस्त हो सकता है. ब्रिटिश औषधि एवं स्वास्थ्य देखरेख उत्पाद नियामक एजेंसी ने गत 4 दिसंबर को कोविड के हल्के और मध्यम लक्षणों से पीड़ित उन वयस्कों के उपचार के लिए विशेष परिस्थितियों में मोलनुपिराविर के इस्तेमाल की मंजूरी दी थी, जिनके सामने बीमारी के गंभीर होने संबंधी कम से कम एक जोखिम कारक हो.

अमेरिका में हो रहा है मोलनुपिराविर का इस्तेमाल

वहीं, अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (यूएसएफडीए) ने हल्के और मध्यम लक्षणों से पीड़ित उन वयस्कों के उपचार में 23 दिसंबर को मोलनुपिराविर का आपात इस्तेमाल करने की मंजूरी दी थी, जिन्हें बीमारी के गंभीर होने, अस्पताल में भर्ती होने या मृत्यु का जोखिम हो, और ऐसे लोगों के उपचार के लिए भी, जिनके लिए वैकल्पिक उपचार विकल्प सुलभ या चिकित्सकीय रूप से उपयुक्त नहीं है. शर्तों के अनुसार, दवा केवल चिकित्सा विशेषज्ञों के परामर्श पर खुदरा बिक्री के तहत बेची जानी चाहिए और अनुशंसित खुराक पांच दिनों के लिए प्रतिदिन दो बार 800 मिलीग्राम की होनी चाहिए.

एजेंसी इनपुट के साथ

Posted By: Mithilesh Jha

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