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शिवसेना ने नेता विपक्ष के नाम का फैसला लेकर फेंका तुरुप का पत्ता

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मुंबई : चुनाव के पहले गंठबंधन और चुनाव के बाद सरकार में हिस्सेदारी के सवाल पर भाजपा-शिवसेना अपने-अपने दावं चल कर एक दूसरे पर भारी पड़ने की कोशिश कर रही है. लेकिन, शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने एक तुरुप का पत्ता फेंका है, जिससे भाजपा दबाव में आ गयी है. महाराष्ट्र विधानसभा में भाजपा के […]

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मुंबई : चुनाव के पहले गंठबंधन और चुनाव के बाद सरकार में हिस्सेदारी के सवाल पर भाजपा-शिवसेना अपने-अपने दावं चल कर एक दूसरे पर भारी पड़ने की कोशिश कर रही है. लेकिन, शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने एक तुरुप का पत्ता फेंका है, जिससे भाजपा दबाव में आ गयी है. महाराष्ट्र विधानसभा में भाजपा के बाद शिवसेना दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है. ऐसे में अगर वह सरकार में शामिल नहीं होती है, तो उसका लोकतांत्रिक व संवैधानिक हक है कि वह अपना विपक्ष का नेता सदन में बनाये.
सूत्रों के अनुसार, रवींद्र वाइकर का नाम नेता विपक्ष के रूप में शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने तय कर दिया है और भाजपा को यह बता दिया है कि अगर उसकी मांगें नहीं मानी गयी तो वह सदन में अपना नेता विपक्ष देगी. भाजपा को शर्ते मानने के लिए शिवसेना ने 10 नवंबर तक का समय दिया है. दरअसल, शिवसेना के इस दावं से भाजपा की परेशानी बढ़ गयी है. अबतक भाजपा मान रही थी कि शिवसेना हर हाल में उसका समर्थन करेगी, लेकिन अब अगर वह विपक्ष में बैठती है, तो भाजपा की यह मजबूरी हो जायेगी कि वह अल्पमत वाली सरकार चलाये या फिर छोटे दलों व निर्दलियों के भरोसे अल्पमत वाली सरकार चलाये. ऐसे में महाराष्ट्र की देवेंद्र फडनवीस वाली सरकार के लिए राज्य में कोई मजबूत व बड़ा फैसला लेना मुश्किल हो जायेगा.
बहरहाल, शिवसेना के कड़े तेवर के बाद भाजपा ने अपने कद्दावर नेता अरुण जेटली को शिवसेना से बातचीत कर इस मुद्दे को सुलझाने की जिम्मेवारी दी है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी अपने स्तर पर इस समस्या का हल ढूंढने में लगे हैं. शिवसेना के इस चाल के बाद भाजपा नेताओं ने उद्धव ठाकरे को हर हाल में शपथ ग्रहण समारोह में आने के लिए आमंत्रित किया. सूत्रों का कहना है कि स्वयं मुख्यमंत्री फडणवीस ने ठाकरे को फोन किया. इसके अलावा, कई केंद्रीय नेताओं ने भी उन्हें फोन कर समारोह में आने को आमंत्रित किया.

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