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एक मंदिर ऐसा,जहां रोज होगी रावण की पूजा

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इंदौर : देश में भले ही दशहरे को अच्छाई की बुराई पर जीत के रुप में मनाया जाता है लेकिन कुछ ऐसे जगह भी हैं जहां बुराई के प्रति रावण की पूजा की जाती है. मान्यता की माने तो दशमी के दिन भगवान राम ने रावण को मार कर बुराई का अंत किया था. इसके […]

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इंदौर : देश में भले ही दशहरे को अच्छाई की बुराई पर जीत के रुप में मनाया जाता है लेकिन कुछ ऐसे जगह भी हैं जहां बुराई के प्रति रावण की पूजा की जाती है. मान्यता की माने तो दशमी के दिन भगवान राम ने रावण को मार कर बुराई का अंत किया था. इसके बाद से ही इस दिन को लोग दशहरे के रुप में मनाते हैं और इस दिन वे रावण का पुतला दहन करते हैं.

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रावण की इस बुरी छवि के वावजूद देश में एक ऐसा मंदिर बनने जा रहा है जहां रोज रावण की पूजा की जायेगी. इंदौर में बहुचर्चित पौराणिक चरित्र को यहां बरसों से पूज रहे लोगों के संगठन ने अपने आराध्य का मंदिर बनवाने का काम लगभग पूरा कर लिया है. जय लंकेश मित्र मंडल के अध्यक्ष महेश गौहर इस बारे में बताते हैं, हमने शहर के परदेशीपुरा क्षेत्र में रावण का मंदिर बनवाने का काम 10 अक्तूबर 2010 को शुरू किया था. इस मंदिर का करीब 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है.

अगर सबकुछ योजना के मुताबिक रहा, तो वर्ष 2015 के दशहरे से पहले इस मंदिर में रावण की 10 फुट उंची मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा हो जायेगी. उन्होंने कहा, हम रावण का मंदिर इसलिए बनवा रहे हैं, ताकि हर रोज अपने आराध्य की विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर सकें.

‘दशानन पूजा’ की रिवायत यहां चार दशक से चली आ रही है, जो हिंदुओं की प्रचलित धार्मिक मान्यताओं से एकदम अलग है. इस परंपरा के पीछे संगठन का अपना तर्क है. गौहर ने जोर देकर कहा, रावण, भगवान शिव के परम भक्त और प्रकांड विद्वान थे.

इसलिए हम करीब 40 साल से विजयादशमी पर रावण की पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनका संगठन अलग-अलग कार्यक्रमों के जरिये लोगों से लगातार अनुरोध भी करता है कि दशहरे पर रावण का पुतला फूंकने का सिलसिला बंद हो. गौहर ने कहा, अगर दशहरे पर रावण का पुतला फूंकने की परंपरा बंद होती है, तो इससे पर्यावरण को खासा फायदा भी होगा.

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