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थंबीदुरई को लोकसभा उपाध्यक्ष बनाने के पीछे का सच !

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लोकसभा उपाध्यक्ष को लेकर देश के राजनीतिक गलियारे में चल रही अटकलों पर लगभग विराम लग गया है.अन्नाद्रमुकके सांसद एम थंबीदुरई का लोकसभा का डिप्‍टी स्‍पीकर चुना जाना अब लगभग तय है. कांग्रेस समेत सभी प्रमुख दलों के समर्थन देने के साथ ही अन्नाद्रमुक के एम थम्बीदुरई का निर्विरोध लोकसभा उपाध्यक्ष चुना जाना तय हो […]

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लोकसभा उपाध्यक्ष को लेकर देश के राजनीतिक गलियारे में चल रही अटकलों पर लगभग विराम लग गया है.अन्नाद्रमुकके सांसद एम थंबीदुरई का लोकसभा का डिप्‍टी स्‍पीकर चुना जाना अब लगभग तय है. कांग्रेस समेत सभी प्रमुख दलों के समर्थन देने के साथ ही अन्नाद्रमुक के एम थम्बीदुरई का निर्विरोध लोकसभा उपाध्यक्ष चुना जाना तय हो गया है. थंबीदुरई के लोकसभा उपाध्यक्ष चुने जाने के पीछे की राजनीति क्या है? आखिर अन्नाद्रमुक को ही लोकसभा में उपाध्यक्ष का पद दिये जाने पर क्यों विचार हो रहा है?

लोकसभा में कांग्रेस के बाद तीसरी बडी पार्टी

अन्नाद्रमुक के लोकसभा में 37 सांसद है और वह भाजपा तथा कांग्रेस के बाद सदन में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है. भाजपा के लोकसभा में 279 सदस्य हैं जबकि कांग्रेस के 44 सांसद हैं. सरकार चाहती होगी कि लोकसभा में इसको प्रतिनिधित्व देकर राज्यसभा में भी अन्नाद्रमुक से समर्थन लेने में सहूलियत होगी.

कांग्रेस को हरसंभव दूर रखने का प्रयास

अन्नाद्रमुक को लोकसभा में उपाध्यक्ष का पद देकर मोदी सरकार कांग्रेस को किसी लायक नहीं छोडना चाहती है. एक तो संवैधानिक रुप से उन्हें लोकसभा में विपक्ष का दर्जा देने को लेकर भी अभी तक मामला स्पष्ट नहीं है, दूसरी ओर चाहती है कि अन्नाद्रमुक का समर्थन हासिल कर उसे और कमजोर किया जाय.

राज्यसभा में समर्थन हासिल करने का एक तरीका

बीजेपी का लोकसभा में तो पूर्ण बहुमत है किन्तु राज्यसभा के संदर्भ में ऐसा नहीं है. राज्यसभा में अन्नाद्रमुक के 11 सांसद हैं. कई बिल ऐसे होते हैं जिसमें लोकसभा के साथ साथ राज्यसभा के मंजूरी आवश्यक होती है. कई में दोनों जगह अलग-अलग बिल को पास करवाना होता है. कुछ बिल ऐसे भी हैं जिसमें राज्यसभा की ही प्रमुखता होती है. ऐसे में बीजेपी चाहती है कि लोकसभा में उपाध्यक्ष का पद देने के बदले उसे राज्यसभा में कई बिलों पर अन्नाद्रमुक का समर्थन मिले.

ममता-जयललिता को भी साथ लाने का एक प्रयास

जानकार ऐसा भी मानते हैं कि इस निर्णय के तहत मोदी सरकारतृणमुल कांग्रेस की ममता बनर्जी और जयललिता को भी एक मंच पर लाने की कोशिश कर सकती है. इससे अन्नाद्रमुक के साथ-साथ तृणमुल के राज्यसभा सांसदों का समर्थन भी वह राज्यसभा में बिल पास करवाने में हासिल करना चाहेगी.

अब कारण चाहे जो भी हो लेकिन अब यह तो लगभग तय है कि थंबीदुरई ही लोकसभा उपाध्यक्ष होंगे. तेदेपा, शिवसेना, लोजपा जैसे राजग के सहयोगी और बीजद, टीआरएस, वाईएसआर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस तथा सपा जैसे दलों ने भी इनके समर्थन में हामी भर दी है. कल अध‍िकारिक रूप से उनके निर्वाचन की घोषणा हो जाएगी.

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