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The Eyes of Darkness किताब में 39 साल पहले ही हो चुकी थी कोरोना वायरस की चर्चा, जानें क्या है सच्चाई…

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नयी दिल्ली : चीन में कोरोना वायरस से मरने वालों का आंकड़ा 1800 को पार कर गया है. अब यह वायरस पूरे विश्व के लिए चिंता का कारण बन गया है, लेकिन अभी तक इसपर लगाम कसने का कोई ठोस उपाय नजर नहीं आया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि 1981 में Dean Koontz के द्वारा लिखे गये थ्रिलर उपन्यास The Eyes of Darkness में कोरोना वायरस की चर्चा हो चुकी है. इस उपन्यास में इसे एक जैविक हथियार ‘Wuhan-400’ के रूप में उल्लेखित किया गया है.

DarrenPlymouth नाम के ट्विटर यूजर ने इस बात का खुलासा सोशल मीडिया पर किया. उन्होंने किताब की कवर पेज और उस अंश को ट्‌वीट किया है, ‘Wuhan-400’ का उल्लेख किया गया है. उन्होंने ट्‌विटर पर लिखा है कल्पना कई बार अजीब हो सकती है.ट्‌विटर पर इस किताब के अंश को शेयर किया गया है, जिसमें यह बताया गया है कि चीन के एक वैज्ञानिक Li Chen ने ‘Wuhan-400’ नाम के जैविक हथियार को विकसित किया था. इसे एक सटीक जैविक हथियार बताया जा रहा है क्योंकि यह सिर्फ इंसानों पर ही असर करता है.

https://twitter.com/DarrenPlymouth/status/1229110623222554626?ref_src=twsrc%5Etfw

हालांकि उस किताब के जैविक हथियार और कोरोना वायरस के बीच समानातएं हैं, लेकिन इस बात के कोई सुबूत नहीं हैं कि यह सच है. संभवत: यह कोरी कल्पना ही है, लेकिन सोशल मीडिया पर यह चर्चा का विषय बन चुका है.इधर कुछ समय से विशेष तौर पर अमेरिका तथा यूरोपीय देशों में कोरोना वायरस के चीन द्वारा निर्मित होने की बात को लेकर विश्वास कायम हो गया था. इसका कारण यह था कि कुछ अखबारों ने ठोस शब्दों में इसको छापा था. चीन सरकार के आलोचक कई बड़े नेताओं ने भी इस अफवाह को विश्वसनीय बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी.इन्हीं नेताओं में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पूर्व प्रमुख रणनीतिक सलाहकार स्टीव बेनन का नाम उल्लेखनीय है. बीते सोमवार को स्टीव बेनन के बयान के बाद अफवाह को और भी ज्यादा बल मिला था.

इस बीच रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर टॉम कॉटन ने फॉक्स न्यूज से बातचीत में दावा किया था कि कोरोना वायरस चीन के वुहान प्रांत स्थित एक हाई सिक्योरिटी लैब में विकसित किया गया था. हालांकि उन्होंने कहा कि हमारे पास इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि कोरोना वायरस विकसित किया गया है लेकिन आशंका है कि इसे बनाया गया था. क्योंकि चीन ने कोरोना वायरस को लेकर शुरुआत से ही संदेहास्पद रुख दिखाया है.

नयी दिल्ली : चीन में कोरोना वायरस से मरने वालों का आंकड़ा 1800 को पार कर गया है. अब यह वायरस पूरे विश्व के लिए चिंता का कारण बन गया है, लेकिन अभी तक इसपर लगाम कसने का कोई ठोस उपाय नजर नहीं आया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि 1981 में Dean Koontz के द्वारा लिखे गये थ्रिलर उपन्यास The Eyes of Darkness में कोरोना वायरस की चर्चा हो चुकी है. इस उपन्यास में इसे एक जैविक हथियार ‘Wuhan-400’ के रूप में उल्लेखित किया गया है.

DarrenPlymouth नाम के ट्विटर यूजर ने इस बात का खुलासा सोशल मीडिया पर किया. उन्होंने किताब की कवर पेज और उस अंश को ट्‌वीट किया है, ‘Wuhan-400’ का उल्लेख किया गया है. उन्होंने ट्‌विटर पर लिखा है कल्पना कई बार अजीब हो सकती है.ट्‌विटर पर इस किताब के अंश को शेयर किया गया है, जिसमें यह बताया गया है कि चीन के एक वैज्ञानिक Li Chen ने ‘Wuhan-400’ नाम के जैविक हथियार को विकसित किया था. इसे एक सटीक जैविक हथियार बताया जा रहा है क्योंकि यह सिर्फ इंसानों पर ही असर करता है.

https://twitter.com/DarrenPlymouth/status/1229110623222554626?ref_src=twsrc%5Etfw

हालांकि उस किताब के जैविक हथियार और कोरोना वायरस के बीच समानातएं हैं, लेकिन इस बात के कोई सुबूत नहीं हैं कि यह सच है. संभवत: यह कोरी कल्पना ही है, लेकिन सोशल मीडिया पर यह चर्चा का विषय बन चुका है.इधर कुछ समय से विशेष तौर पर अमेरिका तथा यूरोपीय देशों में कोरोना वायरस के चीन द्वारा निर्मित होने की बात को लेकर विश्वास कायम हो गया था. इसका कारण यह था कि कुछ अखबारों ने ठोस शब्दों में इसको छापा था. चीन सरकार के आलोचक कई बड़े नेताओं ने भी इस अफवाह को विश्वसनीय बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी.इन्हीं नेताओं में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पूर्व प्रमुख रणनीतिक सलाहकार स्टीव बेनन का नाम उल्लेखनीय है. बीते सोमवार को स्टीव बेनन के बयान के बाद अफवाह को और भी ज्यादा बल मिला था.

इस बीच रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर टॉम कॉटन ने फॉक्स न्यूज से बातचीत में दावा किया था कि कोरोना वायरस चीन के वुहान प्रांत स्थित एक हाई सिक्योरिटी लैब में विकसित किया गया था. हालांकि उन्होंने कहा कि हमारे पास इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि कोरोना वायरस विकसित किया गया है लेकिन आशंका है कि इसे बनाया गया था. क्योंकि चीन ने कोरोना वायरस को लेकर शुरुआत से ही संदेहास्पद रुख दिखाया है.

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