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Delhi Election 2020 : कांग्रेस हर बुजुर्ग को 5,000 रुपये पेंशन

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मिथिलेश झा, उत्पल कांत नयी दिल्ली : दिल्ली के वोटरों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए अन्ना आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने मुफ्त बिजली, पानी देने की घोषणा की. दिल्ली के वोटरों को उनकी बात पसंद आ गयी और उन्होंने केजरीवाल को दिल्ली के तख्त पर बैठा दिया. […]

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मिथिलेश झा, उत्पल कांत

नयी दिल्ली : दिल्ली के वोटरों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए अन्ना आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने मुफ्त बिजली, पानी देने की घोषणा की. दिल्ली के वोटरों को उनकी बात पसंद आ गयी और उन्होंने केजरीवाल को दिल्ली के तख्त पर बैठा दिया. लोगों को बिजली और पानी एक हद तक मुफ्त मिलने लगी. आम आदमी पार्टी को परास्त करके दिल्ली की सत्ता पर एक बार फिर से काबिज होने की चाह में कांग्रेस ने केजरीवाल से भी बड़े-बड़े वादे कर दिये हैं.

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कांग्रेस ने कहा है कि दिल्ली में उसकी सरकार बनी, तो हर बुजुर्ग को 5,000 रुपये प्रति माह पेंशन मिलेगी. हालांकि, पार्टी के घोषणा पत्र में कहा गया है कि हर परिवार को 300 यूनिट बिजली फ्री मिलेगी और उसके बाद के बिल पर 25 से 50 फीसदी तक सरकार सब्सिडी देगी. बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिलेगा. अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी कर दिया जायेगा. दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता प्रो. रतन जैन ने प्रभातखबर.कॉम (prabhatkhabar.com) से एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में ये बातें कहीं.

श्री जैन ने कहा कि अरविंद कजेरीवाल ने 5 साल तक दिल्ली में कोई काम नहीं किया. उन्होंने सिर्फ वोटरों को भ्रमित किया. आधारभूत संरचना पर कोई काम नहीं हुआ. सिर्फ विज्ञापन में विकास का शोर होता रहा. उन्होंने सारी चीजें मुफ्त कर दीं. लोगों को शुरू में ये चीजें अच्छी लगी. अभी भी अच्छी लग रही हैं, लेकिन आने वाले दिनों में यह दिल्ली की जनता पर बड़ा बोझ बन जायेगी.

श्री जैन कहते हैं कि केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी की सरकार राज्य की पूंजी खत्म कर रही है. अर्थव्यवस्था का सिद्धांत है कि जब पूंजी खत्म हो जायेगी, तो खजाना खत्म हो जायेगा और सरकार दिवालिया हो जायेगी. यदि ऐसी नौबत आ गयी, तो दिल्ली की जनता को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी.

प्रो जैन कहते हैं कि दिल्ली को बचाना है, तो शील दीक्षित के विजन को लागू करना होगा. उनके द्वारा शुरू की गयी योजनाओं को आगे बढ़ाना होगा. कांग्रेस नेता ने कहा कि शीला दीक्षित की सरकार ने दिल्ली को बिजली की व्यवस्था दुरुस्त की. पर्यावरण का ख्याल रखा. प्रदेश में कोयले से बिजली का उत्पादन बंद करवाया और दूसरे राज्यों में बिजली संयंत्र स्थापित करवाये. इससे पर्यावरण का संरक्षण भी हुआ और कभी ऑड-ईवन सिस्टम करने की जरूरत नहीं पड़ी.

शीला दीक्षित ने दिल्ली के परिवहन व्यवस्था को दुरुस्त कर दिया था. सड़कें बनवायीं, बसें चलवायीं. दिल्ली में मेट्रो का जाल बिछाया. कांग्रेस सरकार ने दिल्ली में मोनो रेल की शुरुआत करने की योजना बनायी थी, लेकिन अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी सरकार ने उन योजनाओं को ठंडे बस्ते में डाल दिया. इसलिए दिल्ली का दम घुटने लगा है. मेट्रो का भी काम ठप पड़ गया है. दिल्ली को आज 10 हजार बसों की जरूरत है, लेकिन उसके पास सिर्फ 3400 बसें हैं. जब केजरीवाल की सरकार बनी थी, उस वक्त दिल्ली में 5200 बसें थीं. यह है केजरीवाल का विकास.

प्रो. जैन से जब हमने पूछा कि मुफ्त बिजली-पानी से लोग खुश हैं और वह भी 600 यूनिट बिजली फ्री करने का वादा कर रहे हैं, तो केजरीवाल और कांग्रेस के मॉडल में अंतर क्या रह गया. इस पर कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि अभी मात्र 200 यूनिट बिजली फ्री दी जा रही है. महज 15 फीसदी लोगों को इसका लाभ मिल रहा है. लेकिन, कांग्रेस जब 600 यूनिट फ्री करेगी, तो उसका लाभ 80 फीसदी लोगों को मिलेगा.

प्रो. जैन ने कहा कि शीला दीक्षित की सरकार ने बिजली का उत्पादन बढ़ाया था. इन्फ्रास्ट्रक्चर पर काम किया था और बिजली चोरी रोकने का काम किया था. इसका लाभ दिल्ली की जनता को मिलना चाहिए था, लेकिन नहीं मिला. बिजली चोरी से पैसे की बचत हुई और हो रही है, तो दिल्ली की जनता को सस्ती दर पर बिजली मिलनी चाहिए थी. केजरीवाल सरकार ने वह लाभ लोगों को नहीं दिया. उल्टे बिजली कंपनियों को इसका लाभ मिल रहा है.

कांग्रेस प्रवक्ता प्रो. जैन ने कहा कि केजरीवाल की सरकार ने बिजली कंपनियों को काफी फायदा पहुंचाया. सीमित संख्या में लोगों को मुफ्त बिजली की सुविधा दी. इससे बिजली कंपनियों को बिल कलेक्शन नहीं करना पड़ा और उनकी बचत हुई. इस सरकार ने 15 फीसदी लोगों का बोझ बाकी के 85 फीसदी लोगों पर डाल दिया और बिजली का सर्विस चार्ज तीन गुणा बढ़ा दिया. सीधे-सीधे यह पूरा फायदा बिजली कंपनियों को मिला.

कांग्रेस नेता ने कहा कि केजरीवाल मुफ्त पानी देने की बात कर रहे हैं. दिल्ली में सप्लाई का जो पानी आता है, वह पीने के योग्य नहीं है. इसे साफ किये बगैर आप नहीं पी सकते. पीने के लिए लोग पानी खरीदते हैं. इस तरह सरकार लोगों को मुफ्त में पानी देने का दावा भी कर रही है और पानी बेचने वाली कंपनियों की कमाई भी हो रही है, क्योंकि लोगों को पता है कि सप्लाई का गंदा पानी पीयेंगे, तो बीमार पड़ेंगे. इसलिए वे बाजार से आरओ वाटर खरीदकर पीते हैं.

पैसे की बर्बादी कर रहे हैं केजरीवाल

कांग्रेस नेता प्रो रतन जैन का कहना है कि अरविंद केजरीवाल की सरकार का जोर शोर पर रहा. काम से ज्यादा विज्ञापन पर पैसे खर्च करदिये. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने बुजुर्गों के लिए तीर्थयात्रा की शुरुआत की. अखबार, टेलीविजन और सोशल मीडिया के साथ-साथ अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के नेताओं ने अपनी सभाओं में इसके बारे में लोगों को बताया. बाद में हर लाभुक के घर स्पीड पोस्ट से चिट्ठी भेजी. एक स्पीड पोस्ट पर सरकार ने 16 रुपये खर्च किये. एक चिट्ठी पर कम से कम 8 रुपये खर्च हुए होंगे. यानी सिर्फ एक चिट्ठी पर इस सरकार ने 24 रुपये खर्च कर दिये. यह सरकारी धन का अपव्यय नहीं, तो और क्या है!

दिल्ली में 5 साल तक चली ढाई लोगों की सरकार

प्रो. जैन ने कहा कि दिल्ली में 5 साल तक ढाई लोगों की सरकार चली. उन्होंने कहा कि चुनाव लड़ने से पहले राजनीतिक पार्टियों में पारदर्शिता पर केजरीवाल ने बड़ी-बड़ी बातें कीं. जब सत्ता में आये, तो इस सिद्धांत को उन्होंने ताक पर रख दिया. आम आदमी पार्टी की नीतियों से दुखी होकर पार्टी छोड़ने वाले आदर्श शास्त्री ने पिछले दिनों कहा कि 5 साल में मुश्किल से 5 बार वह अरविंद केजरीवाल से मिल पाये. प्रो. जैन कहते हैं कि केजरीवाल दूसरी पार्टियों में हाईकमान की बात करते थे. किसी भी पार्टी में 4-5 बड़े नेता होते हैं, लेकिन आम आदमी पार्टी में केजरीवाल के अलावा कोई नेता नहीं है.

काम नहीं करने का बहाना बनाते रहे केजरीवाल

कांग्रेस प्रवक्ता ने एक सवाल के जवाब में कहा केजरीवाल काम नहीं करने का बहाना बनाते रहे. उन्होंने कहा कि दिल्ली में शीला दीक्षित ने 15 साल तक शासन किया. इस दौरान लंबा अरसा ऐसा रहा, जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार नहीं थी. कांग्रेस का उपराज्यपाल (एलजी) भी नहीं था. फिर भी शीला जी ने केंद्र को अपनी नीतियों के बारे में बताया, दिल्ली की जरूरतों के बारे में समझाया और प्रदेश का विकास किया. लेकिन, अरविंद केजरीवाल ने कभी भी केंद्र के साथ समन्वय स्थापित करने की कोशिश नहीं की. वह मीडिया में केंद्र सरकार को कोसते रहे. उन्होंने कहा कि यदि शीला दीक्षित काम कर सकती हैं, तो कोई भी काम कर सकता है. यदि केजरीवाल काम नहीं कर पाये, तो यह दर्शाता है कि वह काम करना ही नहीं चाहते.

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