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#Chandrayaan 2: चेन्नई के इंजीनियर ने तस्वीरों में खोज निकाला विक्रम लैंडर, फिर NASA को दी जानकारी

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चेन्नईः करीब -करीब तीन माह के बाद आखिरकार चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर के बारे में पता चल गया कि वह कहां है और किस हालत में हैं. नासा (NASA) ने मंगलवार को तस्वीर जारी कर कहा कि विक्रम लैंडर का मलबा मिल गया है और जहां क्रैश हुआ. नासा के इस खबर में बहुत बड़ा […]

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चेन्नईः करीब -करीब तीन माह के बाद आखिरकार चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर के बारे में पता चल गया कि वह कहां है और किस हालत में हैं. नासा (NASA) ने मंगलवार को तस्वीर जारी कर कहा कि विक्रम लैंडर का मलबा मिल गया है और जहां क्रैश हुआ. नासा के इस खबर में बहुत बड़ा हाथ भारतीयइंजीनियरका था. दरअसल, अंतरिक्ष में रुचि लेने वाले एकचेन्नई के इंजीनियर शानमुगा सुब्रमण्यन(शान) ने खुद लूनर रिकनाइसांस ऑर्बिटल कैमरा (एलआरओसी) से तस्वीरें डाउनलोड कीं. इसकी पुष्टि नासा और एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी ने सोमवार को की.

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सुब्रमण्यन ने उस मलबे का पता किया, जिसकी तलाश वैज्ञानिक कर रहे थे और उन्होने वैज्ञानिकों की वह जगह खोजने में मदद की, जहां विक्रम लैंडर क्रैश हुआ था. अमेरिका के ऑर्बिटिंग कैमरा से चंद्रमा की तस्वीरों का निरीक्षण करने के बाद नासा ने कहा कि उसे भारतीय चंद्रयान-2 विक्रम लैंडर का दुर्घटनास्थल और मलबा मिला है. नासा ने शानमुगा के इस सहयोग के लिए उन्हें शुक्रिया कहते हुए उनकी तारीफ की है.

नासा ने अपने बयान में कहा कि शानमुगा ने सबसे पहले मैन क्रैश साइट से लगभग 750 मीटर उत्तर पश्चिम में मलबा देखा. नासा ने कहा कि पहली धुंधली तस्वीर दुर्घटनास्थल की हो सकती है जो एलआरओसी द्वारा 17 सितंबर को ली गई तस्वीरों से बनाई गई है. कई लोगों ने विक्रम के बारे में जानने के लिए इस तस्वीर को डाउनलोड किया. नासा ने कहा कि उनमें से एक सुब्रमण्यन ने मलबे की सकारात्मक पहचान के साथ एलआरओसी प्रोजेक्ट से संपर्क किया. एलआरओसी एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी (एएसयू) में स्थित है.यह जानकारी मिलने के बाद एलआरओसी टीम ने पहले और बाद की तस्वीरों की तुलना कर पहचान की पुष्टि कर दी.

मीडिया से बात करते हुए सुब्रमण्यम ने कहा, मैंने विक्रम लैंडर का संभावित मार्ग खोजने में कड़ी मेहनत की. मैं बहुत खुश हूं. बहुत मेहनत करनी पड़ी. मुझे हमेशा से अंतरिक्ष विज्ञान का शौक रहा है. मैंने कभी भी कोई लॉन्च नहीं छोड़ा. शानमुगा सुब्रमण्यन मैकेनिकल इंजीनियर और कंप्यूटर प्रोग्रामर हैं. फिलहाल वह चेन्नई में ही लेनॉक्स इंडिया टेक्नॉलजी सेंटर में टेक्निकल आर्किटेक्ट के तौर पर काम कर रहे हैं.
वो मदुरै के रहने वाले हैं और इससे पहले कॉन्निजेंट जैसी कंपनियों में भी काम कर चुके हैं बता दें कि सात सितंबर 2019 को हुई विक्रर लैंडर की चांद पर हुई हार्ड लैंडिंग के इस पहलू की खोज करके शानमुगा ने बड़ा योगदान दिया है .विक्रम से संपर्क टूटने के बाद से ही इसरो (ISRO) और नासा इसकी तलाश में जुटी हुई थीं.

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