नयी दिल्ली : कंधार अपहरण के करीब 15 वर्ष बाद अब शीघ्र ही संसद में एक अपहरण-रोधी संशोधन बिल लाया जायेगा. इसमें अपहरणकर्ताओं को मौत की सजा देने का प्रावधान होगा. साथ ही सुरक्षा बलों को यह अधिकार दिया जायेगा कि वे मिसाइल के तौर पर इस्तेमाल किये जा सकनेवाले विमान को मार गिरायें.
नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधिकारी बहुप्रतीक्षित अपहरण-रोधी (संशोधन) बिल को आगे बढ़ाने के लिए कानून और न्याय मंत्रालय में अपने समकक्षों से बात कर रहे हैं. 1982 के कानून को संशोधित करनेवाले इस विधेयक को मार्च, 2010 में पीएम के नेतृत्ववाली सरकार ने सहमति दी थी. इसके बाद इस बिल को तत्कालीन नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल अगस्त, 2010 में राज्यसभा में लाये थे.
इसे यातायात, पर्यटन और संस्कृति की स्थायी समिति को सौंप दिया गया था. समिति ने अपनी रिपोर्ट उस साल अक्तूबर में दी. उसके बाद से यह विधेयक आगे नहीं बढ़ा. आधुनिक वैश्विक अपहरण-रोधी नियमों को लागू करने और भारतीय कानून को संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन के बीजिंग प्रोटोकॉल के अनुरूप लाने की भी चर्चा है.
– बिल को यूपीए ने दी थी मंजूरी
* विधेयक क्यों : 1999 में इंडियन एयरलाइंस के विमान आइसी-814 के अपहरण और 11 सितंबर, 2011 को अमेरिका में आतंकी हमले जैसी बड़ी घटनाओं ने दिखाया कि नागरिक विमानों का अपहरण कर उनका इस्तेमाल व्यापक स्तर पर नरसंहार के लिए किया गया. ऐसे खतरों में होनेवाली वृद्धि को देखते हुए मसौदा विधेयक में अपहरण-रोधी कानून, 1982 में संशोधन का प्रस्ताव है.
* जवानों को मिलेगा अधिकार : प्रस्तावित कानून किसी विमान को गतिहीन करने या उसे उड़ान भरने से रोकने के लिए संबद्ध एजेंसियों या सुरक्षा बलों को भी अधिकार देगा. भारतीय वायु सेना को अधिकार देगा कि वह किसी अपहृत विमान को बीच में रोकने और जबरन उतारने के लिए अपने लड़ाकों को भेज सके. विमान का इस्तेमाल किसी महत्वपूर्ण प्रतिष्ठान को निशाना बनाने के लिए मिसाइल के रूप में किये जा सकने के साक्ष्य मिलने पर, इस विमान को गिराया भी जा सकता है.