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रिद्धिमा पांडे: वो छोटी बच्ची जिसने जलवायु संकट पर संयुक्त राष्ट्र में याचिका दाखिल कर दी

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नयी दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र जेनरल एसेंबली का 74वां सत्र इस समय न्यूयॉर्क में चल रहा है. इस खास बैठक का मुद्दा जलवायु परिवर्तन अथवा संकट से निपटने में वैश्विक प्रयास है. ऐसे में सोमवार को संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन में किशोर पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थुनबर्ग सहित 16 बच्चों ने संयुक्त राष्ट्र में शिकायत […]

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नयी दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र जेनरल एसेंबली का 74वां सत्र इस समय न्यूयॉर्क में चल रहा है. इस खास बैठक का मुद्दा जलवायु परिवर्तन अथवा संकट से निपटने में वैश्विक प्रयास है. ऐसे में सोमवार को संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन में किशोर पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थुनबर्ग सहित 16 बच्चों ने संयुक्त राष्ट्र में शिकायत दर्ज करवाई है.

शिकायत में कहा गया है कि जलवायु संकट से निपटने में यूएन के सदस्य देशों द्वारा किये जा रहे प्रयास नाकाफी हैं. खास बात ये है कि इन 16 बच्चों में से एक भारत की रिद्धिमा पांडे भी हैं जो एक पर्यावरण एक्टिविस्ट की बेटी हैं.

जलवायु परिवर्तन को बाल अधिकार से जोड़ दिया

इन बाल याचिकाकर्ताओं की उम्र 8 से 17 साल के बीच है. इन्होंने यूएन के ‘थर्ड प्रोटोकॉल’ के माध्यम से बाल अधिकारों से संबंधित कन्वेंशन के लिए शिकायत दर्ज करवाई है. बता दें कि ये एक स्वैच्छिक तंत्र है जो बच्चों और व्यस्कों को ये अधिकार देता है कि यदि उनका देश जलवायु संकट से निपटने के अपने प्रयास में विफल रहता है तो वे संयुक्त राष्ट्र में मदद के लिए सीधे अपील कर सकता है.

इसी के तहत दी गयी अपनी शिकायत में बच्चों ने कहा कि सदस्य देश जलवायु संकट से निपटने के प्रयासों में विफल रहे हैं और ये बाल अधिकारों के उल्लंघन की श्रेणी में आता है.

आगामी पीढ़ी का भविष्य बचाना चाहती हैं रिद्धिमा

जो 12 बच्चे संयुक्त राष्ट्र को दी गई याचिका में पक्षकार हैं उनमें से एक भारत की रिद्धिमा भी हैं. रिद्धिमा पहाड़ी राज्य उत्तराखंड की रहने वाली हैं जिनके पिता एक एनवायरमेंट एक्टिविस्ट हैं. रिद्धिमा ने याचिका के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि याचिका के पीछे उनका मिशन भविष्य को बचाना है. उन्होंने कहा कि, मुझे एक बेहतर भविष्य चाहिए. मैं अपना भविष्य बचाना चाहती हूं. आने वाली पीढ़ियों का भविष्य बचाना चाहती हूं.

ये पहली बार नहीं है जब रिद्धिमा ने जलवायु संकट से उबरने की दिशा में कोई सकारात्मक प्रयास किया है. इससे पहले साल 2017 में भी रिद्धिमा पांडे ने अपने अभिभावकों की मदद से जलवायु परिवर्तन तथा संकट से उबरने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ मामला दर्ज करवाया था. उच्चतम न्यायालय में दायर अपनी याचिका में रिद्धिमा ने कहा था कि भारत प्रतिकूल जलवायु परिवर्तन से निपटने में सबसे कमजोर देशों में से एक है.

उन्होंने न्यायालय से मांग की थी कि औद्योगिक परियोजनाओं का आकलन किया जाये. कार्बन डाईऑक्साइड के उत्सर्जन को सीमित करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी योजना बनायी जाये. इसके लिए जुर्माने का प्रावधान किया जाये.

इस संस्था ने दिया था याचिका दायर करने का सुझाव

उन्होंने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करने वाली संस्था थॉमसन रायटर्स फाउंडेशन को बताया था कि, वह कुछ ऐसा करना चाहती थी जिसका सार्थक प्रभाव हो. इसी समय संस्था ने रिद्धिमा को याचिका दायर करने का सुझाव दिया था.

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