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अयोध्या मामला : अधिवक्ता राजीव धवन को धमकी देने वालों को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

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नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में मुस्लिम पक्षकारों की पैरवी करने के कारण वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन को कथित रूप से धमकी देने वाले दो व्यक्तियों को मंगलवार को नोटिस जारी किया. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस भूमि विवाद पर 18वें […]

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नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में मुस्लिम पक्षकारों की पैरवी करने के कारण वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन को कथित रूप से धमकी देने वाले दो व्यक्तियों को मंगलवार को नोटिस जारी किया.

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प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस भूमि विवाद पर 18वें दिन सुनवाई शुरू होते ही राजीव धवन की अवमानना याचिका पर ये नोटिस जारी किये. पीठ अवमानना के इस मामले की सुनवाई दो सप्ताह बाद करेगी. संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एसए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चंद्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं. प्रमुख याचिकाकर्ता एम सिद्दीक तथा ऑल इंडिया सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से पेश हो रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने पूर्व सरकारी अधिकारी एन षणमुगम और राजस्थान के निवासी संजय कलाल बजरंगी के खिलाफ शुक्रवार को शीर्ष अदालत में अवमानना याचिका दायर की थी. उनका आरोप है कि मुस्लिम पक्षकारों की ओर पैरवी करने की वजह से उन्हें धमकी दी जा रही है.

उन्होंने आरोप लगाया कि सेवानिवृत्त शिक्षा अधिकारी एन षणमुगम से 14 अगस्त, 2019 को उन्हें एक पत्र मिला, जिसमें उन्हें मुस्लिम पक्षकारों की ओर से पेश होने की वजह से धमकी दी गयी थी. धवन ने यह भी कहा है कि उन्हें राजस्थान के निवासी संजय कलाल बजरंगी से व्हाट्सऐप संदेश मिला है और वह भी न्याय के प्रशासन में हस्तक्षेप करने का प्रयास है. उन्होंने आरोप लगाया कि अनेक व्यक्ति धमकी भरे व्यवहार के साथ उन पर न्यायालय परिसर और घर तक टिप्पणी करते रहते हैं. उन्होंने याचिका में कहा कि इस तरह से पत्र भेजकर कथित अवमाननाकर्ता ने आपराधिक अवमानना की है क्योंकि वह शीर्ष अदालत में एक पक्षकार की ओर से पेश होकर अपने दायित्व का निर्वहन करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता को धमकी दे रहा है और उसे इस तरह का पत्र नहीं लिखना चाहिए था.

धवन ने न्यायालय से अनुरोध किया है कि न्यायालय के समक्ष पेश तथ्यों के आधार पर संविधान के अनुच्छेद 129 और न्यायालय की अवमानना कानून की धारा 15 के तहत इसका स्वत: संज्ञान लिया जाये और इन दोनों के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही की जाये.

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