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सीसैट परीक्षा बन गयी है हिंदीभाषी परीक्षार्थियों की सफलता में बाधा?

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हिंदी भाषी छात्रों द्वारा संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के सिविल सेवा परीक्षा से सीसैट को वापस लिये जाने की मांग को देखते हुए केंद्र ने आश्वासन दिया था कि सीसैट परीक्षा को समाप्त कर दिया जायेगा. लेकिन कल जब आयोग ने आगामी परीक्षा के लिए प्रवेश पत्र जारी करना शुरू किया, तो हिंदीभाषी छात्रों […]

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हिंदी भाषी छात्रों द्वारा संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के सिविल सेवा परीक्षा से सीसैट को वापस लिये जाने की मांग को देखते हुए केंद्र ने आश्वासन दिया था कि सीसैट परीक्षा को समाप्त कर दिया जायेगा. लेकिन कल जब आयोग ने आगामी परीक्षा के लिए प्रवेश पत्र जारी करना शुरू किया, तो हिंदीभाषी छात्रों ने दिल्ली में उग्र प्रदर्शन शुरू कर दिया.
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उनके प्रदर्शन के बावजूद आयोग की ओर से ऐसा कोई आश्वासन नहीं मिला है कि सीसैट को समाप्त किया जायेगा. छात्रों के प्रदर्शन के मद्देनजर आज यह मुद्दा लोकसभा में उठा. छात्रों पर किये गये लाठीचार्ज और बदसलूकी के खिलाफ सांसदों ने आवाज उठायी. राजद के पप्पू यादव, जयप्रकाश नारायण यादव, सपा के धर्मेंद्र यादव, अक्षय यादव व जदयू के कौशलेंद्र कुमार ने यूपीएससी परीक्षा में शामिल होने वाले आंदोलनकारी छात्रों के समर्थन में आवाज बुलंद की. सवाल यह नहीं है कि छात्रों के साथ यह दुर्व्यवहार क्यों किया गया? सवाल यह है कि आखिर ऐसी परिस्थिति क्यों पैदा कर दी गयी कि छात्र आंदोलित हो गये?

आंदोलन के कारण

यूपीएससी परीक्षा के सवाल अंग्रेजी में तैयार किये जाते हैं. लेकिन जब उन सवालों का हिंदी अनुवाद किया जाता है, तो वे इस तरह से अनुवाद किये जाते हैं कि उनका जवाब देना हिंदी भाषी छात्रों के लिए मुश्किल हो जाता है. यही कारण है कि वे सीसैट परीक्षा का विरोध कर रहे हैं.यूपीएससी की परीक्षा प्रणाली में 2010 में बदलाव किया गया है. 2011 में सीसैट परीक्षा प्रणाली शुरू की गयी थी.

संभव है हिंदी भाषी छात्रों की समस्या का समाधान

हिंदी भाषी छात्र सीसैट परीक्षा से नहीं, बल्कि उसकी भाषा से आतंकित हैं. अगर सरकार और आयोग ऐसी व्यवस्था कर दे कि हिंदी भाषी छात्रों को प्रश्न समझने में कोई परेशानी न हो, तो वे सीसैट परीक्षा का विरोध नहीं करेंगे. इसके लिए जरूरी है, तो सिर्फ यह कि अंग्रेजी के प्रश्नों का अनुवाद योग्य अनुवादक करें.

क्यों नहीं हो रहा समस्या का समाधान

सीसैट परीक्षा के प्रश्नों को लेकर जो विवाद उत्पन्न हुआ है, उसका समाधान बहुत सहज है. लेकिन नौकरशाही ने इसे प्रतिष्ठा का सवाल बना दिया है. साथ ही अंग्रेजीदां लोग भी इस बात के समर्थन में नहीं हैं कि सीसैट परीक्षा के स्वरूप में बदलाव लाया जाये.

सीसैट परीक्षा बन गयी हैसफलता मेंबाधा

वर्ष 2011 से सीसैट परीक्षा प्रणाली लागू की गयी थी. उस समय से हिंदी भाषी छात्रों के लिए यह परीक्षा मुसीबत बन गयी है और हिंदी माध्यम से आईएसएस की परीक्षा में सफल होने वाले छात्रों की संख्या घट गयी है. ऐसे में उन छात्रों के लिए परेशानी खड़ी हो गयी है, जो गरीब परिवारों से आते हैं, मेधावी हैं, लेकिन उनकी भाषा अंग्रेजी नहीं है. यूपीएससी के आंकडों के मुताबिक,2008 में 5082 छात्रों ने हिन्दी भाषा में सिविल सेवा परीक्षा दी थी जो 2011 में घटकर 1682 रह गयी. 2008 में तेलगू भाषा में 117 छात्रों ने परीक्षा दी थी जो 2011 में घटकर 29 रह गयी. 2008 में तमिल भाषा में 98 छात्रों ने परीक्षा दी थी जो 2011 में घटकर 5 रह गयी.ऐसे में यह सवाल लाजिमी है कि क्या गरीब परिवार के बच्चे प्रशासनिक सेवा में नहीं जा सकते?

हिंदी प्रेमी मोदी जी क्या समझेंगे हिंदीभाषी परीक्षार्थियों की पीड़ा?

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंग्रेजीदां नहीं हैं और उनका हिंदी प्रेम जगजाहिर है. यहां तक कि अपनी विदेश यात्रा के दौरान भी उन्होंने हिंदी का प्रयोग किया.ऐसे में हिंदी भाषी छात्र-छात्राएं उन्हें उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं. सूत्र भी बताते हैं कि सरकार सीसैट परीक्षा के पक्ष में नहीं है. ऐसे में सीसैट मुद्दे को लेकर मोदी सरकार की कार्रवाई पर लोगों की नजरें टिकीं हैं.

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