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नयी दिल्ली: खुद पर विश्वास और कुछ कर गुजरने का हौसला हो तो कामयाबी जरूर मिलती है. जरूरत होती है लगन और लगातार परिश्रम की. अगर ये तीन-चार बातेें किसी में हो और वो कुछ करने की ठान ले तो अपना लक्ष्य पा ही लेता है. हाल के दिनों में इसके सबसे बड़ी मिसाल बने […]

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नयी दिल्ली: खुद पर विश्वास और कुछ कर गुजरने का हौसला हो तो कामयाबी जरूर मिलती है. जरूरत होती है लगन और लगातार परिश्रम की. अगर ये तीन-चार बातेें किसी में हो और वो कुछ करने की ठान ले तो अपना लक्ष्य पा ही लेता है. हाल के दिनों में इसके सबसे बड़ी मिसाल बने हैं हरपीत सिंह जिन्होंने सीमा पर देश की रक्षा करते हुये चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में रहकर संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास कर ली.

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पंजाब के दोराहा के रहने वाले हरपीत सिंह ने साल 2018 में आयोजित संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 19वां रैंक हासिल किया. हरपीत का ये छठा प्रयास था. इससे पहले उन्होंने चार प्रयास और किये थे. पहली परीक्षा में वो केवल प्रीलिम्स ही निकाल पाए और इसके बाद तीन प्रयास में वो साक्षात्कार तक पहुंचे. साल 2017 में उन्हें 454वीं रैंक हासिल की. उन्हें भारतीय ट्रेड सर्विस के लिये चुना गया. फिर 2018 में उन्होंने एक बार फिर से परीक्षा दी और इसबार उन्होंने देशभर में 19वीं रैंक हासिल कर ली.

बांग्लादेश बॉर्डर पर तैनात थे हरपीत

अपनी इस कामयाबी से हरपीत काफी खुश हैं. उन्होंने बताया कि कॉलेज की पढ़ाई खत्म करने के बाद ही उन्हें IBM में नौकरी मिल गई थी. लेकिन नौकरी से वो खुश नहीं थे और कुछ अलग करना चाहते थे. उन्होंने नौकरी छोड़ दी और सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में जुट गये. इस दौरान कोचिंग के पहले ही साल में उन्होंने असिस्टेंट कमांडेंट की परीक्षा पास कर ली. उन्होंने बीएसएफ ज्वाइन किया और उनकी पोस्टिंग बांग्लादेश बॉर्डर पर हो गयी. लेकिन आईएएस बनने का धून अब भी सवार था. इसलिये उन्होंने बॉर्डर पर देश की सेवा करने हुये अपनी तैयारी जारी रखी.

नोट्स बनाकर पढ़ाई करते थे हरपीत

हरपीत ने बताया कि कड़ी ट्रेनिंग और ड्यूटी के बाद तैयारी के लिये बहुत कम समय मिल पाता था. लेकिन उन्होंने कम समय में बेहतर तैयारी के लिये अपना तरीका इजाद किया. हरपीत बताते हैं कि उन्होंने सभी विषयों का नोट्स बनाना शुरू किया. लिखकर पढ़ने की आदत डाली. विषयों का गहन अध्ययन किया और सबका विस्तृत नोट्स तैयार किया. इस तरीके से उन्हें काफी मदद मिली.

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