चंडीगढ़ : पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और क्रिकेटर से नेता बने नवजोत सिंह सिद्धू के बीच जारी गतिरोध के बीच कैबिनेट मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा ने शनिवार को अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगी सिद्धू से अपील की कि वह ऊर्जा मंत्रालय का प्रभार संभाल लें.
यद्यपि विपक्षी दलों शिरोमणि अकाली दल (शिअद), भाजपा और आप ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए उनके नेतृत्व पर सवाल उठाया और दावा किया कि दोनों के बीच जारी गतिरोध से राज्य में एक ‘संवैधानिक संकट’ उत्पन्न हो गया है. स्थानीय निकाय मंत्री मोहिंद्रा ने कहा, मैं उनसे (सिद्धू) अपील करना चाहता हूं कि उन्हें अपने विभाग का प्रभार संभाल लेना चाहिए. वह (ऊर्जा मंत्रालय) एक अच्छा और शक्तिशाली प्रभार है.
छह जून को मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सिद्धू से शहरी निकाय के साथ पर्यटन एवं सांस्कृतिक मामले विभाग वापस ले लिए थे और उन्हें ऊर्जा एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग का प्रभार सौंपा था. अमरिंदर ने सिद्धू से विभाग वापस लेते हुए इसके लिए उनके खराब प्रदर्शन को जिम्मेदार ठहराया था और इसके बाद से दोनों के बीच तनाव सार्वजनिक हो गया था.
कैबिनेट फेरबदल के एक महीने बाद भी सिद्धू को अभी अपना नया प्रभार संभालना है. मोहिंद्रा ने कहा कि प्रभार में फेरबदल मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है, सिद्धू को यदि कोई शिकायत है तो उन्हें प्रभार संभालने के बाद मुख्यमंत्री के साथ सुलझा लेना चाहिए था.
भाजपा के राष्ट्रीय सचिव तरुण चुग ने अमरिंदर सिंह और सिद्धू पर निशाना साधा और कहा कि राज्य में उपभोक्ता बिजली की उच्च दर के चलते ‘प्रभावित’ हो रहे हैं क्योंकि दोनों आमने सामने हैं. चुग ने कहा, ‘यह संभवत: ऐसा पहला मामला है जिसमें एक कैबिनेट मंत्री अपने मुख्यमंत्री का आदेश मानने के लिए तैयार नहीं हैं. वर्तमान में कांग्रेस सरकार के लिए कुछ भी सही नहीं हो रहा है.’
उन्होंने कहा, या तो मुख्यमंत्री सिद्धू से ऊर्जा मंत्रालय का प्रभार वापस ले लें या मंत्री को स्वयं हट जाना चाहिए. भाजपा की सहयोगी शिअद के प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने कहा, यह संवैधानिक संकट का मामला है क्योंकि एक मंत्री अपने मुख्यमंत्री के आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं. यह पहली बार है जब एक मंत्री अपना प्रभार नहीं संभाल रहे हैं। कैबिनेट ने एक खराब परंपरा बनायी है.
कल यदि कोई नौकरशाह अपनी ड्यूटी ज्वाइन नहीं करता है तो क्या होगा. आप नेता एवं विधायक हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि यदि सिद्धू प्रभार नहीं संभालना चाहते तो उन्हें हटा देना चाहिए और किसी और को मौका दिया जाना चाहिए.