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भारत ने किया स्वदेश में विकसित HSTDV का सफल परीक्षण

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बालासोर(ओडिशा): भारत ने ओडिशा तट के पास एक बेस से स्वदेश में विकसित हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर व्हीकल(एचएसटीडीवी) का बुधवार को पहला सफल परीक्षण किया.

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के सूत्रों ने बताया कि यह परीक्षण डीआरडीओ ने बंगाल की खाड़ी में डॉ. अब्दुल कलाम द्वीप के एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) के प्रक्षेपण परिसर-चार से दिन में करीब 11 बजकर 25 मिनट पर किया.

सूत्रों ने बताया कि एचएसटीडीवी हाइपरसोनिक गति से उड़ान भरने वाले यान के लिए मानवरहित प्रदर्शक वाहन है. यह 20 सेकेंड में मैक-छह की रफ्तार और 32.5 किलोमीटर ऊंचाई तक जा सकता है. सूत्रों ने बताया कि हाइपरसोनिक और लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलों के लिए यान के तौर पर प्रयोग किए जाने के अलावा यह एक दोहरे उपयोग की प्रौद्योगिकी है जो कई असैन्य कार्यों में भी प्रयोग की जाएगी.

बेहद कम लागत पर उपग्रहों के प्रक्षेपण में भी इसका इस्तेमाल होगा. डीआरडीओ के वरिष्ठ वैज्ञानिकों और रक्षा अधिकारियों की मौजूदगी में परीक्षण किया गया. उन्होंने कहा कि एचएसटीडीवी 20 सेकेंड में 32.5 किलोमीटर ऊंचाई तक जा सकता है और ऐसा होने पर भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो जाएगा जिसके पास ऐसी प्रौद्योगिकी होगी.

उन्होंने कहा, एचएसटीडीवी परियोजना पिछले कुछ साल से चल रही थी. इसके जरिए हम 15 से 20 किलोमीटर की कम ऊंचाई पर स्क्रैमजेट का प्रदर्शन करना चाहते थे. कार्यक्रम से जुड़े डीआरडीओ के एक वैज्ञानिक ने कहा, इस परियोजना के तहत हम स्क्रैमजेट इंजन से लैस हाइपरसोनिक यान को विकसित कर रहे हैं.

बालासोर(ओडिशा): भारत ने ओडिशा तट के पास एक बेस से स्वदेश में विकसित हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर व्हीकल(एचएसटीडीवी) का बुधवार को पहला सफल परीक्षण किया.

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के सूत्रों ने बताया कि यह परीक्षण डीआरडीओ ने बंगाल की खाड़ी में डॉ. अब्दुल कलाम द्वीप के एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) के प्रक्षेपण परिसर-चार से दिन में करीब 11 बजकर 25 मिनट पर किया.

सूत्रों ने बताया कि एचएसटीडीवी हाइपरसोनिक गति से उड़ान भरने वाले यान के लिए मानवरहित प्रदर्शक वाहन है. यह 20 सेकेंड में मैक-छह की रफ्तार और 32.5 किलोमीटर ऊंचाई तक जा सकता है. सूत्रों ने बताया कि हाइपरसोनिक और लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलों के लिए यान के तौर पर प्रयोग किए जाने के अलावा यह एक दोहरे उपयोग की प्रौद्योगिकी है जो कई असैन्य कार्यों में भी प्रयोग की जाएगी.

बेहद कम लागत पर उपग्रहों के प्रक्षेपण में भी इसका इस्तेमाल होगा. डीआरडीओ के वरिष्ठ वैज्ञानिकों और रक्षा अधिकारियों की मौजूदगी में परीक्षण किया गया. उन्होंने कहा कि एचएसटीडीवी 20 सेकेंड में 32.5 किलोमीटर ऊंचाई तक जा सकता है और ऐसा होने पर भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो जाएगा जिसके पास ऐसी प्रौद्योगिकी होगी.

उन्होंने कहा, एचएसटीडीवी परियोजना पिछले कुछ साल से चल रही थी. इसके जरिए हम 15 से 20 किलोमीटर की कम ऊंचाई पर स्क्रैमजेट का प्रदर्शन करना चाहते थे. कार्यक्रम से जुड़े डीआरडीओ के एक वैज्ञानिक ने कहा, इस परियोजना के तहत हम स्क्रैमजेट इंजन से लैस हाइपरसोनिक यान को विकसित कर रहे हैं.

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