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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस : महिलाओं की आबादी 50%, संसद व विधानसभा में भागीदारी 15 % भी नहीं

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अनुज कुमार सिन्हा महिला आरक्षण का वादा सभी दलों के घोषणा पत्र में, पर टिकट देने में सभी पीछे आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है. सामने लाेकसभा चुनाव है. चुनाव के दाैरान फिर राजनीतिक दल यह वादा करेंगे कि संसद-विधानसभा में महिलाओं काे अारक्षण दिया जायेगा. कई साल बीत जाने के बावजूद महिलाओं काे 33 फीसदी […]

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अनुज कुमार सिन्हा
महिला आरक्षण का वादा सभी दलों के घोषणा पत्र में, पर टिकट देने में सभी पीछे
आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है. सामने लाेकसभा चुनाव है. चुनाव के दाैरान फिर राजनीतिक दल यह वादा करेंगे कि संसद-विधानसभा में महिलाओं काे अारक्षण दिया जायेगा. कई साल बीत जाने के बावजूद महिलाओं काे 33 फीसदी अारक्षण देने का मामला लटका हुआ है.
यह बात सही है कि कुछ राजनीतिक दल महिलाओं काे अारक्षण देने के पक्ष में हैं, लेकिन कई दल ऐसे हैं जिनका इस संबंध में दाेहरा चरित्र रहा है और वे महिला आरक्षण विधेयक का विराेध करते रहे हैं. इस पर राजनीति हाेती रही है. यही कारण है कि देश में महिलाओं की आबादी लगभग 50 फीसदी हाेने के बावजूद संसद और विधानसभाओं में यह संख्या 15 फीसदी तक भी नहीं पहुंचती. कुछ चुनाव में कुछ राज्याें में इसके अपवाद मिल सकते हैं.
आंकड़ाें के बल पर इसे आैर आसानी से समझा जा सकता है. इसमें काेई दाे राय नहीं कि चुनाव के दाैरान टिकट बांटने में महिलाआें की उपेक्षा की जाती है. कम से कम महिलाआें काे ही टिकट देकर राजनीतिक दल काम चलाने की काेशिश करते हैं. संसद-विधानसभा तक पहुंचते-पहुंचते यह आंकड़ा आैर भी कम हाे जाता है.
चुनाव में कम टिकट बांटने या कम सांसद-विधायक चुने जाने का मामला काेई नया नहीं है. आजादी के बाद जब 1951-52 में पहली बार चुनाव हुए, ताे सिर्फ 24 महिला सांसद चुन कर आयीं. दूसरे चुनाव में 23, तीसरे में 37 महिलाएं जीत कर आयीं. 13वें आम चुनाव में पहली बार यह आंकड़ा 50 पार पहुंचा, जब 52 महिला सांसद बनीं. 2014 का चुनाव इस दृष्टिकाेण से सबसे अच्छा रहा जब 61 महिला सांसद चुनाव जीत कर संसद में पहुंची. यह रिकॉर्ड है.
प बंगाल सबसे आगे
गत चुनाव यानी 2014 के लाेकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा 14 महिला सांसद पश्चिम बंगाल से बनीं. दूसरे स्थान पर उत्तर प्रदेश रहा, जहां से 13 महिला सांसद बनीं. कई ऐसे राज्य हैं, जहां से एक भी महिला सांसद नहीं हैं. ऐसे राज्याें में झारखंड भी है. सिर्फ 17 राज्याें और दाे केंद्र शासित प्रदेश से ही महिला सांसद हैं. अन्य राज्याें से काेई भी महिला प्रतिनिधित्व नहीं है.
2014 : सबसे ज्यादा महिला सांसद भाजपा से
2014 के आम चुनाव में सबसे ज्यादा 31 महिला सांसद भाजपा से चुनी गयीं. स्वाभाविक भी है, क्याेंकि उनकी सीटाें की संख्या ज्यादा है. कांग्रेस से सिर्फ चार महिला सांसद चुनी गयीं. उसने 60 महिलाओं काे टिकट दिया था, मगर 56 महिलाएं चुनाव मैदान में खुद को सिद्ध करने में पिछड़ गयीं.
2014 चुनाव
महिला सांसद
61 कुल महिला सांसदों की संख्या
14 महिला सांसद बंगाल से सबसे अधिक
बिहार-झारखंड की तस्वीर ज्यादा निराशाजनक
अगर पिछले आम चुनाव में झारखंड और बिहार में महिलाओं के साथ न्याय नहीं हुआ. अव्वल तो पार्टियों ने उन्हें टिकट देने में अन्याय किया, ऊपर से अधिकांश काे मतदाताओं ने वाेट नहीं दिये. लिहाजा, 10.38 कराेड़ की आबादी वाले से सिर्फ तीन महिला सांसद हैं. झारखंड में और खराब हाल रहा. झारखंड की कुल आबादी 3.29 कराेड़ में 1.6 कराेड़ महिलाएं हैं, लेकिन संसद में झारखंड से एक भी महिला प्रतिनिधि नहीं है.
2014 में ही नहीं, 2009 के चुनाव में भी झारखंड से काेई महिला सांसद नहीं थी. यानी दस साल से झारखंड से काेई महिला सांसद नहीं है. यह असंतुलन बताता है. ऐसी बात नहीं है कि यहां संसद में जानेवाली याेग्य महिलाएं नहीं हैं. सच यह है कि राजनीतिक दल टिकट बांटने के दाैरान इस बात का ध्यान रखते हैं कि हर हाल में चुनाव जीतनेवाले काे ही टिकट दिया जायेगा. यह देखा जाता है कि उनमें चुनाव जीतने का दम है या नहीं.
इतिहास गवाह है कि इसी बिहार और झारखंड ने महिलाओं काे तब संसद में भेजा था, जब राजनीति में महिलाओं की भागीदारी कम हाेती थी. झारखंड ताे तब बिहार का ही हिस्सा था और पहले चुनाव में ही बिहार ने पटना पूर्वी से तारकेश्वरी सिन्हा (कांग्रेस) और भागलपुर सुषमा सेन काे संसद में भेजा था. उसके बाद भी बिहार से कई महिला सांसद बन चुकी हैं जिन्हाेंने मंत्री तक का पद संभाला है. अब समय आ गया कि महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित हों, ताकि काेई भी, किसी दल से भी जीते, जीतेंगी महिलाएं ही.
झारखंड की महिला एमपी मंत्री भी बनीं
दूसरे आम चुनाव (1957) में हजारीबाग से ललिता राज लक्ष्मी (राजमाता) और चतरा से विजया राजे चुनाव जीती थीं. दाेनाें रामगढ़ राज परिवार से थीं और छाेटानागपुर-संताल परगना जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीत कर संसद में पहुंची थीं. राजमाता 1962 का चुनाव औरंगाबाद (बिहार) से और 1967 का चुनाव धनबाद से जीती थीं.
विजया राजे ने ताे चतरा से ही 1962 और 1967 का चुनाव जीता था. रामगढ़ राजा के परिवार से शशांक मंजरी भी थी, जिन्हाेंने 1962 का चुनाव पलामू से जीता. यानी 1967 तक झारखंड क्षेत्र से जाे भी महिलाएं संसद गयीं, उनमें रामगढ़ राजपरिवार से जुड़े लाेग ही थे. इसके बाद कई अन्य महिलाएं भी चुनाव जीतीं.
इनमें कमला कुमारी (पलामू), रीता वर्मा (धनबाद), आभा महताे (जमशेदपुर), सुमति उरांव (लाेहरदगा) शामिल हैं. सुशीला केरकट्टा, सुमन महताे काे भी संसद में जाने का माैका मिला. रीता वर्मा धनबाद से 1991 से 1999 तक लगातार चार बार सांसद रहीं. कमला कुमारी पलामू से तीन बार सांसद रहीं. रीता वर्मा व सुमति उरांव मंत्री भी रहीं.
1952-2014
लाेकसभा महिला सांसद
पहली 24
दूसरी23
तीसरी 37
चाैथी 33
पांचवीं 28
छठी 21
सातवीं 32
आठवीं 45
नाैंवी 28
दसवीं 42
ग्यारहवीं 41
बारहवीं 44
तेरहवीं 52
चाैदहवीं 52
पंद्रहवीं 59
सोलहवीं 61
बिहार की महिला सांसद
1952-2014
1952 सुषमा सेन (भागलपुर), तारकेश्वरी सिन्हा (पटना पूर्व)
1957 सत्यभामा देवी (नवादा), शकुंतला देवी (बांका), तारकेश्वरी सिन्हा (बाढ़)
1962 सत्यभामा देवी (जहानाबाद), शकुंतला देवी (बांका), रामदुलारी सिन्हा (पटना), तारकेश्वरी सिन्हा (बाढ़)
1967 तारकेश्वरी सिन्हा (बाढ़)
1971 काेई नहीं (झारखंड क्षेत्र काे हटा दिया गया है)
1977 काेई नहीं
1980 कृष्णा शाही (बेेगूसराय), माधुरी सिंह (पूर्णिया), किशाेरी सिन्हा (वैशाली), रामदुलारी सिन्हा (शिवहर)
1984 मनाेरमा सिंह (बांका), चंद्रभानु देवी (बलिया), प्रभावती देवी (माेतिहारी), कृष्णा शाही (बेगूसराय), माधुरी सिंह (पूर्णिया), किशाेरी सिन्हा (वैशाली), रामदुलारी सिन्हा (शिवहर)
1989 उषा सिन्हा (वैशाली)
1991 लवली आनंद (वैशाली), गिरिजा देवी (महाराजगंज), कृष्णा शाही (बेगूसराय)
1996 भागवती देवी (गया), कांति सिंह (विक्रमगंज)
1998 रमा देवी (माेतिहारी), मालती देवी (नवादा)
1999 कांति सिंह (विक्रमगंज), रेणु कुमारी सिंह (खगड़िया), श्यामा सिंह (आैरंगाबाद)
2004 मीरा कुमार (सासाराम), रंजीत रंजन (सहरसा) कांति सिंह (आरा), मीना सिंह (विक्रमगंज)
2009 मीना सिंह (आरा), मीरा कुमार (सासाराम), पुतुल कुमारी (बांका), अश्वमेघ देवी (उजियारपुर), रमा देवी (शिवहर)
2014 वीणा देवी (मुंगेर), रमा देवी (शिवहर), रंजीत रंजन (सुपाैल)
नोट : बिहार की महिला सांसदों में से जो झारखंड निर्माण के पहले इस क्षेत्र से चुनी गयी थीं, अलग राज्य बनने के बाद उनके नाम बिहार की सांसद सूची से हटा दिये गये.

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