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अमेठी लोकसभा सीट पर 15 में से 13 चुनाव-उपचुनाव जीत चुकी है कांग्रेस, इस बार भाजपा देगी टक्‍कर

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उत्तर प्रदेश की हाइ प्रोफाइल अमेठी लोकसभा सीट पर शुरू से कांग्रेस की बादशाहत रही है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार तीसरी बार यहां से सांसद बने हैं. उनके ठीक पहले यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी को यहां से संसद पहुंची थीं. हालांकि, आपातकाल के बाद हुए 1977 के चुनाव में कांग्रेस विरोधी लहर में यह […]

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उत्तर प्रदेश की हाइ प्रोफाइल अमेठी लोकसभा सीट पर शुरू से कांग्रेस की बादशाहत रही है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार तीसरी बार यहां से सांसद बने हैं. उनके ठीक पहले यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी को यहां से संसद पहुंची थीं.
हालांकि, आपातकाल के बाद हुए 1977 के चुनाव में कांग्रेस विरोधी लहर में यह सीट जनता पार्टी की झोली में गयी और 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी के पक्ष चली हवा ने यहां भाजपा को कामयाबी दिलायी, मगर इन दो चुनावों को छोड़ कर हर चुनाव का परिणाम कांग्रेस के पक्ष में गया, यहां तक कि 2014 की मोदी लहर में भी यह सीट कांग्रेस के खाते में बनी रही. खास बात यह है कि अमेठी लोकसभा सीट 1951-52 में हुए देश के पहले चुनाव के वक्त अस्तित्व में नहीं थी. तब यह इलाका सुल्तानपुर दक्षिण लोकसभा सीट का हिस्सा था, जहां से कांग्रेस के बालकृष्ण विश्वनाथ केशकर सांसद बने थे. 1957 में यह क्षेत्र मुसाफिरखाना लोकसभा सीट का हिस्सा बना. केशकर उस बार भी यहां के सांसद बने. 1962 में भी यह सीट कांग्रेस के खाते में गयी. अमेठी के राजा रणंजय सिंह सांसद बने थे.
1967 में अमेठी लोकसभा सीट अस्तित्व में आयी. अब तक 13 बार (देश में 16 बार) आम चुनाव और दो बार1981 और 1991 में उपचुनाव हुए.
पहला उपचुनाव कांग्रेस के संजय गांधी के निधन और दूसरा उपचुनाव राजीव गांधी के निधन के बाद कराना पड़ा. दोनों उपचुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी जीते. संजय गांधी की जगह राजीव गांधी और राजीव गांधी की जगह सतीश शर्मा चुनाव जीते. 1977 और 1998 के चुनाव को छोड़ दें, तो 13 आम चुनावों में से 11 के परिणाम कांग्रेस के पक्ष में रहे. इनमें भी आठ बार गांधी परिवार के कोई न कोई सदस्य यहां से निर्वाचित हुए.
इस बार भाजपा-कांग्रेस आमने-सामने
इससे पहले के चुनावों में बसपा भी एक कोण होती थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में आम अादमी पार्टी ने भी उम्मीदवार दिया था. कवि-राजनेता डॉ कुमार विश्वास को उसने पूरे दम-खम के साथ यहां उतारा था. हालांकि विश्वास को केवल 2.92 फीसदी वोट मिले थे और वह अपनी जमानत तक नहीं बचा सके थे. बसपा तीसरे नंबर पर रही थी और उसे 6.6 फीसदी वोट मिले थे. तब भी मुख्य मुकाबला कांग्रेस-भाजपा के बीच ही था.
समाजवादी पार्टी इस सीट पर नहीं उतारती है अपना प्रत्याशी
सपा रायबरेली (जहां से पहले इंदिरा गांधी सांसद थीं और अब सोनिया गांधी हैं) के साथ-साथ अमेठी सीट पर भी अपना उम्मीदवार नहीं देती है. 2019 के चुनाव में सपा से गठबंधन होने के कारण बसपा भी इस बात पर राजी हो गयी है कि महागठबंधन की ओर से अमेठी सीट पर कोई उम्मीदवार नहीं दिया जायेगा. लिहाजा, इस बार भाजपा-कांग्रेस आमने-सामने होंगी.
जीत पर पिता की बराबरी करेंगे राहुल
संजय गांधी 01
राजीव गांधी 04
सोनिया गांधी 01
राहुल गांधी 03
पारंपरिक सीट रही अमेठी
संजय गांधी 1980, राजीव गांधी (1984, 89, 91), सोनिया गांधी (1999) और राहुल गांधी (2004, 2009, 2014) यहां से सांसद बने.

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