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महाराष्ट्र के राज्यपाल ने कहा – आरएसएस सर्वाधिक धर्मनिरपेक्ष और समावेशी संगठन

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नागपुर (महाराष्ट्र) : महाराष्ट्र के राज्यपाल सी विद्यासागर राव ने मंगलवार को कहा कि आरएसएस सबसे धर्मनिरपेक्ष और समावेशी संगठनों में से एक है क्योंकि इसने हर व्यक्ति के मत और धर्म के पालन के अधिकार का हमेशा सम्मान किया है. पास के रामटेक में कविकुलगुरू कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय (केकेएसवी) में आरएसएस के दिवंगत सरसंघचालक […]

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नागपुर (महाराष्ट्र) : महाराष्ट्र के राज्यपाल सी विद्यासागर राव ने मंगलवार को कहा कि आरएसएस सबसे धर्मनिरपेक्ष और समावेशी संगठनों में से एक है क्योंकि इसने हर व्यक्ति के मत और धर्म के पालन के अधिकार का हमेशा सम्मान किया है.

पास के रामटेक में कविकुलगुरू कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय (केकेएसवी) में आरएसएस के दिवंगत सरसंघचालक गोलवलकर गुरुजी के नाम पर नये अकादमिक परिसर और गुरुकुलम के शुभारंभ के दौरान राज्यपाल ने कहा कि संघ की यात्रा शानदार और कठिन रही है. गुरुजी के नाम से प्रख्यात एमएस गोलवलकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के दूसरे सरसंघचालक थे. एक आधिकारिक विज्ञप्ति में राव के हवाले से कहा गया है, संघ के रूप में (आरएसएस संस्थापक) डॉ केबी हेडगेवार द्वारा लगाया गया पौधा वटवृक्ष बन गया है, जिसकी शाखाएं पूरी दुनिया में हैं. उन्होंने कहा, (आरएसएस की) यात्रा शानदार और कठिन रही है. संघ के सामने सबसे बड़ी चुनौती महात्मा गांधी की हत्या के बाद पैदा हुई थी, जब चार फरवरी 1948 को इस पर सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था.

राव ने कहा कि गोलवलकर ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की और जेल से ही राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह का आह्वान किया. उन्होंने कहा, गुरुजी ने सरकार को आरएसएस के खिलाफ लगाये गये आरोपों को साबित करने की चुनौती दी या प्रतिबंध हटाने का अनुरोध किया. आखिरकार, गोलवलकर के निरंतर प्रयासों के कारण 12 जुलाई, 1949 को पाबंदी खत्म हुई. राव ने कहा, संघ के प्रतिद्वंद्वी जो कहते हैं, उसके विपरीत आरएसएस सर्वाधिक धर्मनिरपेक्ष और समावेशी संगठनों में से एक है. आरएसएस ने हर व्यक्ति के मत और धर्म के पालन के अधिकार का हमेशा सम्मान किया है. राज्यपाल ने कहा कि आरएसएस सुबह की अपनी प्रार्थना में देश के विभिन्न भागों के संतों, समाज सुधारकों और देशभक्तों को याद करता है, यह संघ के समावेशी दृष्टिकोण को दिखाता है. उन्होंने कहा कि विश्व गुरु का अपना वैभव फिर से पाने के लिए हमें ऐसी शिक्षा व्यवस्था की जरूरत है, जो भारतीय हो और जो पूछताछ, नवाचार और उद्यमशीलता की भावना को बढ़ावा दे.

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