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बंद कमरे में मिले संघ प्रमुख मोहन भागवत और अमित शाह, राम मंदिर, धर्मांतरण पर खुलकर हुई चर्चा

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अहमदाबाद : अयोध्या में राम मंदिर बनाने की रणनीति पर चर्चा के लिए अहमदाबाद में एक अहम बैठक हुई है. बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के अलावा कुछ हिंदू संत भी मौजूद थे. बैठक में शाह ने संघ प्रमुख और हिंदू […]

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अहमदाबाद : अयोध्या में राम मंदिर बनाने की रणनीति पर चर्चा के लिए अहमदाबाद में एक अहम बैठक हुई है. बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के अलावा कुछ हिंदू संत भी मौजूद थे. बैठक में शाह ने संघ प्रमुख और हिंदू नेताओं को भरोसा दिया कि अयोध्या में मंदिर का निर्माण होगा. बताया जाता है कि अमित शाह और भागवत ने बंद कमरे में डेढ़ घंटे तक गुफ्तगू की.

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अहमदाबाद से 210 किलोमीटर दूर स्थित राजकोट में शुक्रवार को हुई बैठक में शामिल कुछ नेताओं ने मीडिया को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि अयोध्या में विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल पर मंदिर निर्माण को लेकर आगे के रास्तों पर चर्चा हुई.

उन्होंने बताया कि अहमदाबाद से 210 किलोमीटर दूर राजकोट में दो दिवसीय हिंदू आचार्य सभा की बैठक में मौजूद भागवत और संतों ने स्पष्ट रूप से विचार व्यक्त किया कि मई, 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कार्यकाल पूरा होने से पहले मंदिर का निर्माण शुरू हो जाना चाहिए.

बैठक में हिस्सा लेने वाले आचार्य सतगिरि महाराज ने कहा, ‘मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की गयी. एक रास्ता विधिक रास्ता है. नेता अपना काम कर रहे हैं. संतों ने कहा कि वे राममंदिर निर्माण को जितना जल्दी संभव हो आगे बढ़ाना चाहते हैं.’ राजस्थान के जोधपुर के रहने वाले सतगिरि महाराज ने कहा, ‘मैं उम्मीद करता हूं कि वे दो-तीन महीने में कुछ करेंगे.’

सुप्रीम कोर्ट में बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि मालिकाना हक विवाद पर जनवरी में सुनवाई की उम्मीद है. यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा को मंदिर का निर्माण वर्ष 2019 से पहले शुरू करने का एक अल्टीमेटम दिया गया, सतगिरि ने ना में जवाब दिया. सतगिरि ने कहा, ‘मोहनजी ने अपनी इच्छा व्यक्त की कि राममंदिर का निर्माण 2019 चुनाव से पहले शुरू होना चाहिए, लेकिन कोई अल्टीमेटम नहीं दिया गया.’

एक अन्य संत ने कहा कि शाह ने बैठक में विधिक मामले की जानकारी साझा की और सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले की सुनवाई जनवरी में लिये जाने की संभावना के बारे में बात की. संत ने कहा, ‘शाह ने हमें भरोसा दिया कि मंदिर का निर्माण उसी स्थल (अयोध्या में वहीं जो कि विवादों में है) पर होगा.’ एक तीसरे संत ने धैर्य रखने की बात की और कहा, ‘वे (आरएसएस और भाजपा) जो भी जरूरी है, करेंगे (मंदिर निर्माण के लिए).’

आरएसएस प्रवक्ता विजय ठाकुर ने कहा कि हिंदू आचार्य सभा का आयोजन प्रत्येक दो वर्ष पर होता है, जिसमें हिंदू समाज से संबंधित सामाजिक, राजनीतिक और शैक्षणिक मुद्दों पर चर्चा होती है. हिंदू सभा में भागवत और शाह के अलावा राम माधव और सुब्रमण्यम स्वामी जैसे नेताओं ने भी हिस्सा लिया. स्वामी ने कहा कि दलीलें हिंदुओं के पक्ष में हैं कि उन्हें राम मंदिर के लिए जमीन मिल जायेगी, लेकिन सवाल यह है कि सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई कब करेगा.

उन्होंने कहा, ‘(पूर्व प्रधानमंत्री) नरसिंह राव ने कहा था कि यदि यह साबित हो जाता है कि उसी स्थान पर एक मंदिर था, तो हम जमीन हिंदुओं को दे देंगे, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने भी यह साबित किया है.’ उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला दिया है कि नमाज के लिए मस्जिद जरूरी हिस्सा नहीं है, जो कि कहीं भी की जा सकती है. सभी चीजें और दलीलें हमारे पक्ष में है.’ उन्होंने कहा, ‘अब देखना है कि सुनवाई कब होती है और फैसला कब आता है.’

बैठक राजकोट में अर्ष विद्या मंदिर में हुई, जिसमें करीब 100 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया. आरएसएस सहित हिंदू संगठनों ने पिछले कुछ महीनों में मंदिर निर्माण जल्द करने को लेकर अपनी मांग तेज कर दी है और भागवत सहित कई इसके लिए कानून बनाने पर जोर दे रहे हैं.

हिंदू आचार्य सभा में पहुंचे अविचलदासजी महाराज ने कहा कि धर्म सभा में आचार्य सम्मेलन, कुंभ के लिए आमंत्रण और राम मंदिर के बारे में बात हुई है. राममंदिर पर अध्यादेश के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस सभा में इस तरह की कोई बात नहीं हुई.

धर्मांतरण के मुद्दे पर भी हुई खुलकर बात

धर्म सभा में राम मंदिर के मुद्दे के अलावा धर्मांतरण के मुद्दे पर भी खुल कर चर्चा हुई. मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव हारने के बाद भाजपा राम मंदिर के मुद्दे पर फूंक-फूंक कर रणनीति बनाने में लगी है, ताकि इसका फायदा 2019 के चुनाव में मिल पाये.

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