15.1 C
Ranchi
Saturday, February 15, 2025 | 09:44 am
15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनावों में मामा से ‘मामू’ बन गये शिवराज सिंह चौहान

Advertisement

मिथिलेश झा लोकतंत्र में पांच साल में एक बार चुनाव होता है. लोग अपनी इच्छा से अपनी सरकार चुनते हैं. अपने प्रतिनिधि से उनकी कई अपेक्षाएं और आकांक्षाएं होती हैं. कई बार नेता और पार्टी अपेक्षाओं पर खरे उतरते हैं, तो लोग उन्हें फिर से मौका देते हैं. उम्मीदों को तोड़ते हैं, तो सत्ता से […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

मिथिलेश झा

लोकतंत्र में पांच साल में एक बार चुनाव होता है. लोग अपनी इच्छा से अपनी सरकार चुनते हैं. अपने प्रतिनिधि से उनकी कई अपेक्षाएं और आकांक्षाएं होती हैं. कई बार नेता और पार्टी अपेक्षाओं पर खरे उतरते हैं, तो लोग उन्हें फिर से मौका देते हैं. उम्मीदों को तोड़ते हैं, तो सत्ता से बेदखल कर दिये जाते हैं. मध्यप्रदेश समेत तीन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सत्ता हाथ से चली गयी. शिवराज सिंह चौहान को जनभावनाओं का अनादर करना महंगा पड़ा. वोट (मत) तो उनके पक्ष में ज्यादा पड़े, लेकिन मतगणना में शिवराज और उनकी पार्टी हार गयी. सबसे बड़ी बात तो यह है कि मध्यप्रदेश के लोगों ने वहां के लोकप्रिय मामा को इस विधानसभा चुनाव में ‘मामू’ बना दिया.

इसे भी पढ़ें : मध्यप्रदेश में चूक गये चौहान : मतदान में जीती बीजेपी, मतगणना में हार गयी

विशेषज्ञ बताते हैं कि शिवराज सिंह चौहान ने चुनाव से ठीक पहले कुछ ऐसी गलतियां कर दी, जिसकी वजह से उन्हें अपनी सरकार गंवानी पड़ी. इसमें स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों पर अमल करने की मांग कर रहे किसानों पर पुलिस की फायरिंग के अलावा आरक्षण के मुद्दे पर मामा का दिया गया बयान भी उनकी हार का बड़ा कारण बना. उनकी सरकार के मंत्रियों के भ्रष्टाचार और उनकी संपत्ति में हुई अनाप-शनाप वृद्धि ने भी लोगों को नाराज कर दिया. रही-सही कसर बेरोजगारी ने पूरी कर दी.

इसे भी पढ़ें : राजस्थान : 6 जिलों में भाजपा का सूपड़ा साफ, तीन जिलों में नहीं खुला कांग्रेस का खाता

शिवराज सिंह चौहान को मध्यप्रदेश के कद्दावर नेता अनिल माधव दवे की कमी भी खली. भाजपा के गंभीर नेता दवे अब इस दुनिया में नहीं हैं. मध्यप्रदेश में बागियों को साधने की जिम्मेवारी वह बखूबी निभाते थे. उनकी अनुपस्थिति में भाजपा के बागी उम्मीदवारों से ठीक से नहीं निबटा जा सका, जिसका खामियाजा पार्टी और शिवराज को भुगतना पड़ा.

किसानों का गुस्सा

किसानों ने स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को लागू करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य के मुद्दे पर मध्यप्रदेश के किसानों ने मंदसौर में बड़ा आंदोलन किया. इस आंदोलन को पुलिस ने जिस तरह से कुचला, उसने किसानों को शिवराज सिंह चौहान का दुश्मन बना दिया. 6 जून, 2017 को हुई फायरिंग में 6 किसानों की मौत हो गयी. इस मामले में सरकार ने उन पुलिस वालों को क्लीन चिट दे दी, जिन्होंने किसानों पर गोलियां चलायी थीं. वहीं, शिवराज ने यह भी घोषणा कर दी कि वह किसानों का कर्ज माफ नहीं करेंगे. उन्होंने यहां तक कह दिया कि उन्होंने किसानों को बहुत कुछ दिया है. उन्हें कर्ज चुकाने के लिए सरकारी मदद की जरूरत नहीं है. वहीं, राहुल गांधी ने अपनी हर सभा में एलान किया कि यदि कांग्रेस की सरकार बनती है, तो 15 दिन के अंदर सभी किसानों के कर्ज माफ कर दिये जायेंगे. कर्जमाफी की उम्मीद में किसानों ने भाजपा का साथ छोड़कर कांग्रेस का ‘हाथ’ थाम लिया.

आरक्षण का समर्थन पड़ा महंगा

पिछड़े वर्गों को खुश करने के लिए शिवराज सिंह चौहान खुलकर आरक्षण के पक्ष में खड़े हो गये थे. उन्होंने साफ कह दिया था कि ‘कोई माई का लाल आरक्षण खत्म नहीं कर सकता’. इससे सवर्ण वोटर नाराज हो गये और परिणाम यह हुआ कि जीतकर भी शिवराज हार गये.

मंत्रियों का भ्रष्टाचार

मध्यप्रदेश में कई मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे. मंत्रियों की संपत्ति में तेजी से वृद्धि हुई. उनकी बड़ी-बड़ी गाड़ियों और बंगलों ने लोगों के मन में इस धारणा को पुष्ट कर दिया कि शिवराज के मंत्रियों ने अनाप-शनाप कमाई की है. राहुल गांधी लोगों को यह समझाने में सफल हो गये कि शिवराज सरकार भ्रष्टाचार में लिप्त है और वह मध्यप्रदेश का भला नहीं कर सकते.

रोजगार देने में विफलता

शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में 15 साल चली सरकार युवाओं को रोजगार देने में पूरी तरह विफल रही. उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान वादा किया कि वह आने वाले 5 साल में 50 लाख लोगों को रोजगार देंगे. लेकिन, विशेषज्ञों की मानें, तो 15 साल में उनकी सरकार सिर्फ 2.45 लाख लोगों को रोजगार दे पायी. इम्प्लॉयमेंट एक्सचेंज के आंकड़े बताते हैं कि शिवराज के शासनकाल में मध्यप्रदेश में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या 23 लाख तक पहुंच गयी. मामा की सरकार इस समस्या से निबटने में नाकाम रही. ऐसे में कांग्रेस बेरोजगार युवाओं और उनके परिवारों को अपनी ओर खींचने में कामयाब रही. कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में कहा कि यदि उसकी सरकार बनी, तो प्रदेश में हर परिवार से कम से कम एक व्यक्ति को नौकरी दी जायेगी. बेरोजगार युवाओं को 10,000 रुपये का बेरोजगारी भत्ता भी देने का पार्टी ने एलान किया, जिससे युवा उसकी ओर आकर्षित हुए.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें