वाशिंगटन : एक अध्ययन के अनुसार मंगल ग्रह की सतह के नीचे लवणीय जल के भंडारों में वहां सूक्ष्मजीवों के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन हो सकती है. इस लाल ग्रह पर जीवन की संभावना के बारे में यह वर्तमान दृष्टिकोण के बिल्कुल विपरीत है. अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि नये अध्ययन के निष्कर्षों से मंगल ग्रह पर अतीत या वर्तमान के जीवन के लिए उपयुक्त स्थितियों के संकेत ढूंढने के लिए भेजे जाने वाले रोवरों के लिए बेहतर लक्ष्य तय किए जा सकते हैं .
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अध्ययन से हुआ खुलासा, मंगल पर पानी में हो सकता है जीवन
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वाशिंगटन : एक अध्ययन के अनुसार मंगल ग्रह की सतह के नीचे लवणीय जल के भंडारों में वहां सूक्ष्मजीवों के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन हो सकती है. इस लाल ग्रह पर जीवन की संभावना के बारे में यह वर्तमान दृष्टिकोण के बिल्कुल विपरीत है. अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि नये अध्ययन के निष्कर्षों से मंगल ग्रह […]
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नासा की जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी (जेपीएल) और कैलीफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलोजी के वैज्ञानिकों के दल का आकलन था कि यदि मंगल पर तरल पानी है तो उस पर खास दशाओं में, पहले जितना सोचा जा रहा था, उससे कहीं अधिक ऑक्सीजन हो सकती है. इस मॉडल के अनुसार ऑक्सीजन का यह स्तर सैद्धांतिक रुप से वायुजीवी जीवन को सहारा प्रदान करने के लिए जरुरी ऑक्सीजन से भी अधिक हो सकता है. मंगल पर तरल पानी के अस्तित्व की अबतक सूचना नहीं थी.
यदि थी तो भी काफी पहले ही अनुसंधानकर्ताओं ने इस विचार को खारिज कर दिया था कि वह ऑक्सीजनकृत होगा क्योंकि मंगल का पर्यावरण धरती के पर्यावरण से 160 गुणा पतला है और उसमें अधिकांश कार्बन डॉइऑक्साईड है. ‘नेचर जियोसाइंस’ में प्रकाशित इस अध्ययन के लेखक एवं जेपीएल के वैज्ञानिक व्लादा स्तामेनकोविच ने कहा, ‘‘जब किसी पर्यावरण की आवासपरकता तय की जाती है तो ऑक्सीजन एक अहम अवयव होता है लेकिन यह मंगल ग्रह पर अपेक्षाकृत बहुत कम है.”
उन्होंने कहा, ‘‘किसी ने कभी नहीं सोचा कि वायुजीवी श्वसन के लिए जरुरी ऑक्सीजन की घुली हुई मात्रा मंगल पर सैद्धांतिक दृष्टि से अधिक हो सकती है.” मंगल पर पानी ढूढना नासा के मंगल कार्यक्रम के बड़े लक्ष्यों में एक है. हाल के महीनों में एक यूरोपीय अंतरिक्षयान के आंकड़ों से पता चला कि मंगल के दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ की सतह के नीचे द्रव पानी हो सकता है.
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