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‘तीन तलाक” पर अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

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मुंबई :
बंबई हाईकोर्ट ने सोमवार को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें ‘तीन तलाक’ को दंडनीय अपराध बनाने वाले अध्यादेश के प्रावधानों को चुनौती दी गयी है. पूर्व निगम पार्षद मसूद अंसारी, शहर के एनजीओ ‘राइजिंग वॉइस फाउंडेशन’ और वकील देवेंद्र मिश्रा ने पिछले सप्ताह याचिका दाखिल की थी. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पिछले महीने अध्यादेश को मंजूरी दी थी जिसके अनुसार एक बार में तीन तलाक बोलकर वैवाहिक रिश्ता तोड़ लेना अवैध बताया गया है और इस अपराध के लिए पति को तीन साल की जेल की सजा का प्रावधान रखा गया है.

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न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ए एम धवले की खंडपीठ ने सोमवार को कहा कि वह याचिका पर विचार नहीं कर रही क्योंकि ऐसी ही एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. याचिका में दावा किया गया था कि अध्यादेश के प्रावधान ‘अवैध, अमान्य, अतार्किक और मनमाने’ हैं. याचिका में अध्यादेश के उन प्रावधानों पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की गयी थी जो मुस्लिम समुदाय में बोलकर तलाक लेने की प्रथा को अपराध की श्रेणी में रखते हैं.


मुंबई :
बंबई हाईकोर्ट ने सोमवार को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें ‘तीन तलाक’ को दंडनीय अपराध बनाने वाले अध्यादेश के प्रावधानों को चुनौती दी गयी है. पूर्व निगम पार्षद मसूद अंसारी, शहर के एनजीओ ‘राइजिंग वॉइस फाउंडेशन’ और वकील देवेंद्र मिश्रा ने पिछले सप्ताह याचिका दाखिल की थी. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पिछले महीने अध्यादेश को मंजूरी दी थी जिसके अनुसार एक बार में तीन तलाक बोलकर वैवाहिक रिश्ता तोड़ लेना अवैध बताया गया है और इस अपराध के लिए पति को तीन साल की जेल की सजा का प्रावधान रखा गया है.

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न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ए एम धवले की खंडपीठ ने सोमवार को कहा कि वह याचिका पर विचार नहीं कर रही क्योंकि ऐसी ही एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. याचिका में दावा किया गया था कि अध्यादेश के प्रावधान ‘अवैध, अमान्य, अतार्किक और मनमाने’ हैं. याचिका में अध्यादेश के उन प्रावधानों पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की गयी थी जो मुस्लिम समुदाय में बोलकर तलाक लेने की प्रथा को अपराध की श्रेणी में रखते हैं.

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