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जानें, करुणानिधि के जीवन से जुड़ी 15 खास बातें

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चेन्‍नई : डीएमके अध्यक्ष और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि का 94 साल की उम्र में निधन हो गया. मंगलवार शाम 6 बजकर 10 मिनट में आखिरी सांस ली. कावेरी हॉस्पिटल ने करुणानिधि के निधन के बारे में हेल्‍थ बुलेटिन जारी कर बताया. अस्‍पताल की ओर से जारी बयान में कहा गया, हमारे डॉक्टरों […]

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चेन्‍नई : डीएमके अध्यक्ष और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि का 94 साल की उम्र में निधन हो गया. मंगलवार शाम 6 बजकर 10 मिनट में आखिरी सांस ली. कावेरी हॉस्पिटल ने करुणानिधि के निधन के बारे में हेल्‍थ बुलेटिन जारी कर बताया. अस्‍पताल की ओर से जारी बयान में कहा गया, हमारे डॉक्टरों और नर्सों की टीम ने पूर्व मुख्‍यमंत्री को बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन उनकी जान बचाने में असफल रहे.

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गौरतलब है कि करुणानिधि को रक्तचाप की समस्या के बाद 28 जुलाई को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. करुणानिधि अक्टूबर, 2016 से ही बीमार चल रहे थे. आइये जानें उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातों को…

1. एम करुणानिधि यानी कि मुत्तुवेल करुणानिधि का जन्म 3 जून 1924 को हुआ था. उनका जन्‍म मद्रास के तिरुकुवालाई में हुआ था. उनके पिता का नाम मुथूवेल और माता का नाम अंजुगम था.

2. करुणानिधि ने तीन शादियां की थी. तीन पत्नियों में पद्मावती, दयालु और रजती हैं. जिसमें पद्मावती का निधन हो चुका है. तीन पत्नियों से उन्‍हें 6 बच्‍चे हैं. चार बेटे और दो बेटियां. बेटों में एमके मुथू को पद्मावती ने जन्म दिया और दयालु की संतानें एमके अलागिरी, एमके स्टालिन, एमके तमिलरासू और बेटी सेल्वी हैं. उनकी दूसरी बेटी कनिमोई रजति की संतान हैं.

3. करुणानिधि महज 14 साल की उम्र में ही राजनीति के मैदान पर उतर गए थे. उन्‍होंने अपनी राजनीति की शुरुआत ‘हिंदी-हटाओ आंदोलन’ से किया. वर्ष 1937 में हिन्दी भाषा को स्कूलों में अनिवार्य भाषा की तरह लाया गया और दक्षिण में इसका विरोध शुरू हो गया.

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करुणानिधि भी विरोध में उतर गये. उन्‍होंने हिंदी को अनिवार्य बनाये जाने के विरोध में जमकर लिखा. हिंदी के विरोध में और लोगों के साथ रेल की पटरियों पर लेट गये और यहीं से उनको पहचान मिली और राजनीति में उनकी धमाकेदार एंट्री हुई.

4. करुणानिधि ने 20 वर्ष की उम्र में तमिल फिल्म उद्योग में बतौर पटकथा लेखक के रूप में अपना करियर शुरू किया. अपनी पहली फिल्म ‘राजकुमारी’ से ही वे लोकप्रिय हो गए. उनकी लिखीं 75 से अधिक पटकथाएं काफी लोकप्रिय हुईं. उनकी लिखी ‘परासाक्षी’जैसी फिल्में सुपर हिट रहीं. करुणानिधि की अधिकतर फिल्मों में सामाजिक बुराईयों पर चोट और ‘द्रविड़ अस्मिता’ पर होती थी.

5. करुणानिधि को उनके समर्थक ‘कलाईनार’ यानी कि कला का विद्वान’ कहते थे.

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6. एम करुणानिधि कोयंबटूर में रहकर व्यावसायिक नाटकों और फिल्मों के लिए स्क्रिप्ट लिख रहे थे. कहा जाता है कि इसी दौरान पेरियार और अन्नादुराई की नजर उन पर पड़ी. उनकी प्रतिभा को देखकर उन्हें पार्टी की पत्रिका ‘कुदियारासु’ का संपादक बना दिया गया.हालांकि 1947 में पेरियार और अन्नादुराई के बीच मतभेद हो गया और 1949 में नयी पार्टी ‘द्रविड़ मुनेत्र कड़गम’ यानी डीएमके की स्थापना हुई. यहां से पेरियार और अन्नादुराई के रास्ते अलग हो गए. डीएमके की स्थापना के बाद एम. करुणानिधि की अन्नादुराई के साथ नजदीकियां बढ़ती चली गईं. पार्टी की नींव मजबूत करने और पैसा जुटाने की जिम्मेदारी करुणानिधि को मिली. करुणानिधि ने इस दायित्व को बखूबी निभाया.

7. वर्ष 1957 में डीएमके पहली बार चुनावी मैदान में उतरी और विधानसभा चुनाव लड़ी. उस चुनाव में पार्टी के कुल 13 विधायक चुने गए. जिसमें करुणानिधि भी शामिल थे. इस चुनाव के बाद डीएमके की लोकप्रियता बढ़ती गई और सिर्फ 10 वर्षों के अंदर पार्टी ने पूरी राजनीति पलट दी. वर्ष 1967 के विधानसभा चुनावों में डीएमके ने पूर्ण बहुमत हासिल किया और अन्नादुराई राज्य के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने. हालांकि सत्ता संभालने के दो ही साल बाद ही वर्ष 1969 में अन्नादुराई का देहांत हो गया.

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8. अन्नादुराई की मौत के बाद करुणानिधी ने सत्ता की कमान संभाली. वर्ष 1971 में वे दोबारा अपने दम पर जीतकर आये और मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली. इसी दौरान उनकी अभिनेता एमजीआर से नजदीकी बढ़ी, लेकिन यह ज्यादा दिनों तक नहीं चला. एमजीआर ने एआईडीएमके (AIADMK) के नाम से अपनी नयी पार्टी बना ली. 1977 के चुनावों में एमजीआर ने करुणानिधि को करारी शिकस्त दी.

9. 1977 के बाद से तमिलनाडु में शह-मात का सिलसिला चलता रहा. अपने 60 साल से ज्यादा के राजनीतिक करियर में करुणानिधि पांच बार तमिलनाडु के सीएम बने. उनके नाम सबसे ज्यादा 13 बार विधायक बनने का रिकॉर्ड भी है.

10. करुणानिधि को चलती-फिरती लाइब्रेरी के रूप में जाना जाता था. अपने जीवन में पढ़ी सारी किताबें उन्हें याद थी.

11. एम करुणानिधि राजनीतिज्ञ, फिल्म पटकथा लेखक, पत्रकार के साथ-साथ तमिल साहित्यकार के रूप भी प्रसिद्ध हैं. उन्होंने कविताएं, उपन्यास, जीवनी, निबंध, गीत आदि भी रचे हैं. उन्‍होंने 100 से अधिक किताबों लिखी. उनके घर में भी एक लाइब्रेरी है जिसमें 10,000 से ज्यादा किताबें हैं.

12. करुणानिधि को योग बहुत पसंद था. वे सामान्य दिनों में योगाभ्यास करते थे.

13. करुणानिधि ने अपना मकान दान कर दिया था. उनकी इच्छा थी कि मौत के बाद उनके घर को गरीबों के लिए अस्पताल में तब्दील कर दिया जाए.

14. करुणानिधि पांच बार 1969–71, 1971–76, 1989–91, 1996–2001 और 2006–2011 में मुख्यमंत्री रहे. 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने तमिलनाडु और पुदुचेरी में डीएमके के नेतृत्व वाली डीपीए (यूपीए और वामपंथी दल) का नेतृत्व किया और लोकसभा की सभी 40 सीटों को जीत लिया.इसके बाद 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने डीएमके द्वारा जीती गयी सीटों की संख्या को 16 से बढ़ाकर 18 कर दिया और तमिलनाडु और पुदुचेरी में यूपीए का नेतृत्व कर बहुत छोटे गठबंधन के बावजूद 28 सीटों पर विजय प्राप्त की.

15. करुणानिधि पहले मांसाहारी थे लेकिन बाद में शाकाहारी हो गये थे.

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