नयी दिल्ली : मतभेदों और विवादों से भरे आज के इस दौर में अगर दुनिया के लगभग सभी देश परस्पर सहमति से किसी एक मुद्दे पर एक साथ एक दूसरे का समर्थन करें तो यह मान लेना चाहिए कि जरूर वह मुद्दा वैश्विक हित से जुड़ा होगा. 21 जून को दुनियाभर में मनाया जाने वाला योग दिवस ऐसा ही एक आयोजन है. भारत में योग को स्वस्थ रहने की लगभग 5000 साल पुरानी मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक पद्धति के रूप में मान्यता प्राप्त है और यह हमारे देश के लोगों की जीवनचर्या का हिस्सा है, लेकिन चार बरस पहले संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का ऐलान करके पूरी दुनिया को स्वस्थ रहने का मंत्र दे दिया.
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international yoga day : साल के सबसे लंबे दिन पर लंबा जीवन जीने की शपथ
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नयी दिल्ली : मतभेदों और विवादों से भरे आज के इस दौर में अगर दुनिया के लगभग सभी देश परस्पर सहमति से किसी एक मुद्दे पर एक साथ एक दूसरे का समर्थन करें तो यह मान लेना चाहिए कि जरूर वह मुद्दा वैश्विक हित से जुड़ा होगा. 21 जून को दुनियाभर में मनाया जाने वाला […]
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में 27 सितंबर 2014 को दुनियाभर में योग दिवस मनाने का आह्वान किया था. अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की घोषणा भारत के लिए एक महान क्षण था क्योंकि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रस्ताव आने के मात्र तीन माह के भीतर इसके आयोजन का ऐलान कर दिया. महासभा ने 11 दिसंबर 2014 को यह ऐलान किया कि 21 जून का दिन दुनिया में योग दिवस के रूप में मनाया जाएगा. यह दुनियाभर के लोगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य तथा आध्यात्मिक संतोष के विकास का अनुपम अवसर था.
अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस के आयोजन का दुनिया के लगभग सभी देशों ने समर्थन किया और दुनिया के 170 से ज्यादा देशों के लोग 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मनाते हैं और योग को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाने का संकल्प लेते हैं. पूरे विश्व में इस दिन योग के फायदों के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिये योग प्रशिक्षण शिविर, योग प्रतियोगिता और सामूहिक योगाभ्यास किया जाता है.
21 जून के दिन को विश्व योग दिवस के लिए चुनने की भी एक खास वजह है. दरअसल यह दिन उत्तरी गोलार्द्ध का सबसे लंबा दिन है, जिसे ग्रीष्म संक्रांति भी कह सकते हैं. भारतीय संस्कृति के दृष्टिकोण से, ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाता है और सूर्य के दक्षिणायन का समय आध्यात्मिक सिद्धियां प्राप्त करने में बहुत लाभकारी है. चूंकि इस दिन दुनियाभर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर मनाया जाता है इसलिए वह खुद इस आयोजन में बढ़ चढ़कर हिस्सेदारी निभाते हैं और उन्हीं की अगुवाई में इस दिन के मुख्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है.
21 जून, 2015 को पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया था, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 35 हजार से अधिक लोगों और 84 देशों के प्रतिनिधियों ने दिल्ली के राजपथ पर योग के 21 आसन किए थे. इस समारोह ने दो गिनीज रिकॉर्ड्स की स्थापना की जिसमें सबसे बड़ी योग क्लास 35,985 लोगों के साथ और 84 देशों के लोगों द्वारा इस आयोजन में एक साथ भाग लेने का रिकॉर्ड बनाया है.
दूसरा योग दिवस 21 जून, 2016 को चंडीगढ़ में मनाया गया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सैकड़ों लोगों ने योग के आसन किये. 2017 में तीसरे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लखनऊ में बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इसमें करीब 51 हजार लोगों ने हिस्सा लिया था. इस बार का मुख्य योग कार्यक्रम देवभूमि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में होगा और साल के इस सबसे लंबे दिन लोग अपने जीवन को अधिक से अधिक लंबा और स्वस्थ बनाए रखने का संकल्प लेंगे.
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