चेन्नई : मेडिकल पाठ्यक्रमों के लिए 25-35 लाख रुपये की सालाना फीस पहली नजर में काफी अधिक होने की बात करते हुए मद्रास उच्च न्यायालय ने यूजीसी की फीस तय करने वाली समिति के फैसला करने तक तमिलनाडु के डीम्ड विश्वविद्यालयों को अंतरिम कदम के तौर पर एमबीबीएस पाठ्यक्रमों के लिए 13 लाख रुपये वसूलने को कहा है. मुख्य न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति पीटी आशा की पीठ ने जवाहर लाल षन्मुगम की जनहित याचिका का निस्तारण करते हुए यह निर्देश दिया. याचिकाकर्ता ने कहा कि ये संस्थान काफी ट्यूशन शुल्क वसूलते हैं और सारणीबद्ध कॉलम में इसका ब्योरा दिया.
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘ ऐसा लगता है कि 25 से 35 लाख रुपये सालाना के बीच फीस पहली नजर में काफी अधिक हैं और यूजीसी द्वारा गठित शुल्क समिति को गहन अध्ययन करना चाहिए और ऐसे संस्थानों द्वारा वसूले जाने वाले शुल्कों के बारे में अनुशंसा करनी चाहिए.’ अदालत ने इन विश्वविद्यालयों में शुल्क ढांचा तय करने के लिये 30 जून तक समिति गठित करने के यूजीसी के शपथ पत्र को रिकॉर्ड में लिया. अदालत ने यह साफ कर दिया कि सभी प्रासंगिक कारकों को ध्यान में रखते हुए शुल्क का नियमन करने की आवश्यकता है. पीठ ने निर्देश दिया कि यूजीसी की शुल्क समिति सभी पक्षों को सुनने के बाद छह सप्ताह के बाद अपनी सिफारिश सौंपे.