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‘Proud Daughter’ शर्मिष्ठा आखिर क्यों हैं ‘बाबा’प्रणब मुखर्जी से असहमत?

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नयी दिल्ली : पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी आज नागपुर में आरएसएस के एक कार्यक्रम को संबोधित करने वाले हैं, जब से यह खबर प्रकाश में आयी है विवाद छिड़ गया है. इसी क्रम में कल उनकी सबसे करीबी मानी जाने वाली शर्मिष्ठा मुखर्जी ने भी इस मामले में अपनी आपत्ति जतायी और लिखा कि आपने […]

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नयी दिल्ली : पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी आज नागपुर में आरएसएस के एक कार्यक्रम को संबोधित करने वाले हैं, जब से यह खबर प्रकाश में आयी है विवाद छिड़ गया है. इसी क्रम में कल उनकी सबसे करीबी मानी जाने वाली शर्मिष्ठा मुखर्जी ने भी इस मामले में अपनी आपत्ति जतायी और लिखा कि आपने भाजपा और आएसएस को बातें बनाने का मौका दे दिया है, लोग आपके स्पीच को भूल जायेंगे, लेकिन वेन्यू को याद रखेंगे. शर्मिष्ठा बनर्जी ने एक तरह से अपने बाबा (पापा) को आगाह किया है कि आपने नागपुर जाकर गलती कर दी.

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शर्मिष्ठा मुखर्जी प्रणब दा की बहुत करीबी मानी जाती हैं. वे हमेशा अपने पिता के साथ रहती हैं और उनके हर फैसले को मजबूती से अपना समर्थन भी देती हैं. वर्ष 2012 में जब प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति बने थे उस वक्त शर्मिष्ठा ने कहा था- वे जिस विभाग में रहे अपने काम के साथ न्याय किया. उन्होंने हमेशा अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन किया है. इसलिए मुझे लगता है कि राष्ट्रपति के रूप में वे अपने कार्यालय को नये आयाम देंगे. उन्होंने कहा था कि पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने पार्टी लाइन से बाहर जाकर लोगों से अच्छे रिश्ते बनाये हैं, जो निश्चित रूप से उनकी मदद करेगा. उस वक्त चहकते हुए शर्मिष्ठा ने कहा था- मैं आज भारत की सबसे गौरवान्वित बेटी हूं, लेकिन आज शर्मिष्ठा अपने बाबा के फैसले से असहमत हैं. शर्मिष्ठा कांग्रेस की नेता हैं और 2015 में ग्रेटर कैलाश से विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुकी हैं. अपनी बातों को मजबूती से रखने के लिए शर्मिष्ठा जानी जाती हैं. उन्होंने महिला अधिकारों की हमेशा वकालत की है. एक बार जब फेसबुक पर उनसे एक आदमी ने अश्लील बातें की थीं, तो उन्होंने उस बातचीत को शेयर कर दिया था और महिलाओं से अपील की थी कि वे अधिक से अधिक उस पोस्ट को शेयर करें ताकि महिलाओं के साथ इस तरह का व्यवहार करने वालों को सबक मिले.

प्रणब दा के संबोधन को हमेशा भुनायेगा संघ

प्रणब दा अपने राजनीतिक जीवन में कट्टर कांग्रेसी रहे और हमेशा शीर्ष विभागों को संभाला, इंदिरा गांधी के बाद ऐसी संभावना भी जतायी गयी थी कि वे प्रधानमंत्री हो सकते हैं, लेकिन राजीव के आने के बाद यह संभव नहीं हुआ. बाद में भी सोनिया के सबसे सशक्त रणनीतिकार होने के बावजूद उन्हें प्रधानमंत्री की कुर्सी नहीं मिली, लेकिन वे कांग्रेसी ही रहे. कांग्रेस और संघ के विचारों में जमीन-आसमान का अंतर है, यही कारण है कि संघ राष्ट्रपति के संबोधन को भुनाकर यह साबित करना चाहता है कि वह अस्पृश्य नहीं है. शायद इसी बात का डर शर्मिष्ठा के मन में भी है, इसलिए उन्होंने अपने पिता को आगाह किया. नागपुर में प्रणब दा के संबोधन की खबरों के बीच ऐसी खबरें भी आयीं थी कि 2019 के चुनाव में शर्मिष्ठा भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ेंगी, शायद इस कयास का खंडन करने के लिए भी शर्मिष्ठा ने ऐसा ट्‌वीट किया हो. शर्मिष्ठा ने यह भी कहा है कि मैं अगर राजनीति करूंगी तो कांग्रेस में रहकर ही करूंगी. कांग्रेस नेता अजय माकन ने भी इन अफवाहों का खंडन किया है.

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