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कर्नाटक में त्रिशंकु विधानसभा, भाजपा और कांग्रेस-जदएस ने पेश किया सरकार बनाने का दावा

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बेंगलुरु : कर्नाटक में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति सामने आने के बाद सबसे बड़े दल भाजपा और कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन के सरकार बनाने का दावा पेश करने के बाद राज्य में भावी सरकार को लेकर संशय और गहरा गया है. अब सारी नजरें राज्यपाल वजुभाई वाला पर टिक गयी हैं. राज्यपाल को फैसला करना है […]

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बेंगलुरु : कर्नाटक में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति सामने आने के बाद सबसे बड़े दल भाजपा और कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन के सरकार बनाने का दावा पेश करने के बाद राज्य में भावी सरकार को लेकर संशय और गहरा गया है. अब सारी नजरें राज्यपाल वजुभाई वाला पर टिक गयी हैं.

राज्यपाल को फैसला करना है कि वह सरकार बनाने के लिए सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी भाजपा को आमंत्रित करें या कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन को बुलायें. इस गठबंधन को अब तक घोषित परिणामों और रुझानों के हिसाब से 224 सदस्यीय विधानसभा में स्पष्ट बहुमत मिलता नजर आ रहा है. जदएस नेता कुमारस्वामी ने कहा कि राज्यपाल ने उन्हें बताया कि वह निर्वाचन आयोग से अधिकृत नतीजे आने के बाद इस पर फैसला करेंगे. राज्य की 224 में से 222 विधानसभा सीटों पर 12 मई को मतदान हुआ था. आरआर नगर सीट पर कथित चुनावी कदाचार की वजह से चुनाव टाल दिया गया, जबकि जयनगर सीट पर भाजपा प्रत्याशी के निधन के कारण चुनाव स्थगित किया गया. चुनाव आयोग द्वारा अब तक घोषित परिणाम के अनुसार जिन 222 विधानसभा सीटों पर चुनाव कराये गये थे उसमें से 215 के परिणाम घोषित किये जा चुके हैं. भाजपा ने 99 सीटों पर जीत हासिल कर ली है, जबकि पांच सीटों पर वह आगे चल रही है. कांग्रेस ने 77 सीटों पर जीत दर्ज कर ली है, जबकि एक सीट पर बढ़त हासिल है. जद (एस) ने 37 सीटों पर जीत हासिल की है, जबकि उसकी सहयोगी बसपा ने एक सीट अपनी झोली में डाली है. केपीजेपी को एक सीट मिली है, जबकि एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी आगे चल रहा है.

नतीजे लगभग साफ हो जाने के बाद दोनों पक्षों ने कोई भी समय गंवाये बिना राज्यपाल वजुभाई वाला से मिले और सरकार बनाने का दावा पेश किया. इस दौरान राजभवन के बाहर दोनों पक्षों के समर्थक बड़ी संख्या में मौजूद थे. भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा ने राज्यपाल वजुभाई वाला से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया. उन्होंने कांग्रेस और जद(एस) के सरकार गठन के दावे को पिछले दरवाजे से सत्ता में आने की कोशिश करार दिया. वाला से मुलाकात के बाद केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार के साथ येदियुरप्पा ने संवाददाताओं से कहा, ‘भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है. हमने राज्यपाल से हमें राज्य विधानसभा में बहुमत साबित करने का अवसर देने का आग्रह किया है.’ जद(एस)-कांग्रेस गठजोड़ पर कोई टिप्पणी करने से अनिच्छा दिखाते हुए येदियुरप्पा ने कहा, ‘हमने सरकार बनाने का दावा पेश किया है. हमने कहा है कि हमें अवसर दीजिये, हम विधानसभा में बहुमत साबित करेंगे.’

येदियुरप्पा के राज्यपाल से मुलाकात करने के थोड़ी देर बाद ही कांग्रेस और जदएस के नेताओं ने भी यहां राज्यपाल वजुभाई वाला से मुलाकात की और कर्नाटक में जदएस के नेतृत्ववाली सरकार बनाने का दावा पेश किया. निर्वतमान मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद और मल्लिकार्जुन खड़गे ने जदएस के प्रदेश प्रमुख एचडी कुमारस्वामी समेत दोनों पार्टियों के नेताओं ने वाला से मुलाकात की और सरकार गठन के लिए मौका दिये जाने का अनुरोध किया. राज्यपाल से बैठक के बाद कुमारस्वामी ने कहा, ‘चर्चा के बाद अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने हमारी पार्टी के अध्यक्ष को समर्थन देने का पत्र दिया. अपनी पार्टी की तरफ से कांग्रेस नेताओं के साथ हमने राज्यपाल से कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने का अवसर देने का अनुरोध किया. दो निर्दलीय विधायकों का भी हमें समर्थन है.’ जदएस नेता ने कहा कि राज्यपाल ने उन्हें बताया कि वह निर्वाचन आयोग से अधिकृत नतीजे आने के बाद इस पर फैसला लेंगे.

सिद्धरमैया ने कहा कि अब तक घोषित नतीजों के मुताबिक हमारे आंकड़े ज्यादा हैं और हमने राज्यपाल के संज्ञान में भी यह बात डाल दी है. हमें उम्मीद है कि निर्वाचन आयोग से आधिकारिक जानकारी आने के बाद राज्यपाल कानूनी ढांचे के तहत फैसला लेंगे. कर्नाटक चुनाव के नतीजे शुरुआत से ही काफी उतार-चढ़ाववाले रहे. एक समय ऐसा लगा कि भाजपा स्पष्ट बहुमत हासिल करके राज्य में पांच साल के बाद फिर से सत्ता में लौटेगी. लेकिन, जैसे-जैसे समय बीतता गया यह स्पष्ट हो गया कि पार्टी सरकार बनाने के लिए बहुमत के आंकड़े से कुछ सीटों से पीछे रह जायेगी. राज्य में सरकार गठन के लिए 112 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी. इस बीच, निवर्तमान मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने जद (एस) को समर्थन का ऐलान करके भाजपा की जीत के रंग में भंग डालने की कोशिश की. कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने इंडिया टुडे टीवी चैनल से कहा, ‘हम किसी भी स्थिति के लिए तैयार हैं. इसलिये जब थोड़ी गुंजाइश थी तो हमने हस्तक्षेप किया.’

उन्होंने कहा, ‘सुबह में ऐसा लगा कि भाजपा के पास सरकार गठन के लिए पर्याप्त संख्या बल होगा और उस आधार पर भाजपा ने जीत का जश्न भी मनाना शुरू कर दिया. इस बीच, हमने अच्छा प्रदर्शन किया. जद-एस ने उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं किया. बाद में जब जद (एस) और कांग्रेस की सीटों में इजाफा हुआ तो हमने महसूस किया कि हम सरकार बना सकते हैं.’ आजाद का बयान दिनभर चले रोमांचक घटनाक्रमों का सार प्रस्तुत करता है. कर्नाटक चुनाव के नतीजों को 2019 के आम चुनावों के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा था. इसमें जीतने मिलने से कांग्रेस समेत विपक्षी दलों में उत्साह का संचार होता, वहीं भाजपा की सरकार बनने से उसका मनोबल और बढ़ जाता. कर्नाटक एकमात्र बड़ा गैर भाजपा शासित राज्य था और यहां की हार-जीत दोनों खेमों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई थी.

रुझानों से स्थिति लगभग साफ हो जाने के बाद राष्ट्रीय राजधानी से भाजपा और कांग्रेस के कई नेता बेंगलुरु के लिए रवाना हुए. कांग्रेस के तुरंत जद (एस) को सरकार बनाने के लिए समर्थन देने का ऐलान करने से दिखा कि उसने मणिपुर और गोवा के प्रकरण से सबक ले लिया है. उन दोनों राज्यों में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरने के बावजूद भाजपा की राजनैतिक चपलता की वजह से कांग्रेस सरकार बनाने में नाकाम रही. निवर्तमान मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने गुलाम नबी आजाद सहित कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं के साथ एक बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘हमने साथ मिलकर चर्चा की और यह फैसला किया. कांग्रेस जद (एस) का समर्थन करेगी क्योंकि यहां त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति है, क्योंकि किसी भी पार्टी को जनता से स्पष्ट बहुमत नहीं दिया है.’ सिद्धरमैया ने राज्यपाल वजुभाई वाला को अपना इस्तीफा सौंप दिया. उन्होंने कहा, ‘लोकतंत्र में हमें जनादेश को स्वीकार करना होगा. हमने इसे स्वीकार किया है. हमने जद (एस) को समर्थन देने का फैसला किया है. यह सर्वसम्मति से लिया गया फैसला है.’

हालांकि, भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा ने कांग्रेस पर अनुचित तरीके से सत्ता हासिल करने का प्रयास करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि कर्नाटक की जनता ने सिद्धरमैया सरकार को खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस लोकप्रिय जनादेश को पलटने और पिछले दरवाजे से सत्ता में लौटने का प्रयास कर रही है. कर्नाटक की जनता इसे कभी स्वीकार नहीं करेगी.’ चुनाव आयोग के अनुसार कांग्रेस को 37.9 फीसदी मत मिले हैं, जबकि भाजपा को 36.2 फीसदी मत प्राप्त हुए हैं. पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की जद (एस) को 18.4 फीसी वोट मिले हैं. देवगौड़ा के पुत्र एचडी कुमारस्वामी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं. कांग्रेस के समर्थन का ऐलान करने के तुरंत बाद कुमारस्वामी ने राज्यपाल को पत्र लिखकर सूचित किया कि उन्होंने मुख्यमंत्री बनने की पेशकश स्वीकार कर ली है. आम परंपरा के अनुसार राज्यपाल सबसे बड़ी पार्टी या चुनाव पूर्व गठबंधन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करता है और त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में उसे सदन में बहुमत साबित करने को कहता है. चूंकि कांग्रेस और जद (एस) का चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं है इसलिये यह देखनेवाली बात है कि क्या राज्यपाल कुमारस्वामी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करते हैं अथवा नहीं.

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