अगरतला : त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब को इस टिप्पणी को लेकर आलोचना का शिकार होना पड़ा कि रबींद्रनाथ टैगोर ने ब्रिटिश सरकार के विरोध में नोबेल पुरस्कार लने से इनकार कर दिया था.
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त्रिपुरा के सीएम फिर विवादों में, इस बार टैगोर पर की गयी टिप्पणी के लिए हो रही आलोचना
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अगरतला : त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब को इस टिप्पणी को लेकर आलोचना का शिकार होना पड़ा कि रबींद्रनाथ टैगोर ने ब्रिटिश सरकार के विरोध में नोबेल पुरस्कार लने से इनकार कर दिया था. टैगोर की जयंती के मौके पर बुधवार को गोमती जिले में एक कार्यक्रम में बांग्ला भाषा में मुख्यमंत्री ने कहा […]
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टैगोर की जयंती के मौके पर बुधवार को गोमती जिले में एक कार्यक्रम में बांग्ला भाषा में मुख्यमंत्री ने कहा था, ‘रबींद्रनाथ टैगोर ने ब्रिटिश सरकार के विरोध में न केवल नोबेल पुरस्कार से इनकार किया था, बल्कि उन्हें ‘गीतांजलि’ के लिए विश्वश्रेष्ठ पुरस्कार भी मिला. हालांकि, टैगोर को (गीतांजलि के लिए मिले) पुरस्कार तक सीमित नहीं किया जा सकता. ‘त्रिपुरा के शाही परिवार से आनेवाले और टीपीसीसी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रद्युत किशोर देवबर्मन ने कहा कि वह मुख्यमंत्री की टिप्पणी से ‘बहुत नाखुश’ हैं. उन्होंने कहा, ‘टैगोर ने 1919 में पंजाब में जलियांवाला बाग में नरसंहार के विरोध में उन्हें मिला ‘नाइटहुड’ सम्मान वापस कर दिया था. मेरे दादा भी इस घटना से बहुत आहत थे. मैंने उनकी डायरी में यह देखा. अगर हमारे मुख्यमंत्री ने ऐसा कहा है तो यह अच्छा नहीं है. इसका कोई मतलब नहीं है.’
त्रिपुरा के राजाओं से टैगोर के संबंधों पर कई पुस्तक लिखनेवाले लेखक पन्ना लाल रॉय ने कहा कि टैगोर सात बार त्रिपुरा गये थे और वह चार राजाओं बीरचंद्र, राधाकिशोर, बीरेंद्र किशोर और अंतिम राजा बीर बिक्रम किशोर माणिक्य बहादुर के करीबी थे. दरअसल, टैगोर को 1913 में उनकी कृति ‘गीतांजलि’ के लिए साहित्य का नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उन्होंने 1919 में जलियावाला बाग नरसंहार के विरोध में ‘नाइटहुड’ सम्मान स्वीकार करने से इनकार कर दिया था.
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