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छठी कतार में क्यों बैठे राहुल ? सोशल मीडिया और राजनीति में चर्चा तेज

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नयी दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को गणतंत्र दिवस समारोह में छठी कतार में बैठाया गया. इसे लेकर खूब बवाल मचा और सोशल मीडिया पर भी लोगों ने तस्वीर साझा करते हए इसे गलत बताया. राहुल गांधी की एक तस्वीर ने सोशल मीडिया पर बहस के साथ राजनीतिक रंग भी ले लिया है. कहा जा रहा है यह पहली बार है जब कांग्रेस अध्यक्ष को पहली कतार में जगह नहीं मिली.

इस घटना को लेकर खबर है कि राहुल गांधी को चौथी कतार में जगह मिली थी. सुरक्षा कारणों से एसपीजी की टीम ने उन्हें छठी कतार में बैठने का आग्रह किया. इस खबर पर भी लोगों ने सवाल खड़े किये कि आखिर इतने बड़े समारोह में सिर्फ राहुल गांधी को खतरा था. एसपीजी के अनुसार किसी बड़ी घटना के होने पर चौथी की बजाय छठी कतार पर किनारे की सीट पर बैठना सुरक्षित इसलिए था क्योंकि चौथी कतार की बजाय छठी कतार से बाहर निकलना आसान था. सुरक्षा को देखते हुए छठी कतार की सीट उनके लिए ज्यादा बेहतर थी. राहुल के साथ ठीक उनके बगल में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद बैठे थे. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी उनसे दो पंक्ति आगे बैठी दिखी थीं.
राहुल गांधी के छठे कतार मे बैठने पर जितने सवाल खड़े हुए कांग्रेस नेताओं ने उतने ही सवाल बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के पहली पंक्ति में बैठने पर खड़े किये. कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया. केंद्र सरकार ने जान बूझकर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को छठी पंक्ति में बैठाया.मोदी सरकार की ओछी राजनीति जग जाहिर हो गई है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को गणतंत्र दिवस के राष्ट्रीय पर्व पर अंहकारी शासकों ने सारी परंपराओं को दरकिनार करके पहले चौथी पंक्ति और फिर छठी पंक्ति में जानबूझकर बैठाया. हालांकि हमारे लिए संविधान का उत्सव ही सर्व प्रथम है.
इस पर वरिष्ठ पत्रकार राजदीप ने भी ट्वीट किया. उन्होंने कहा, राहुल गांधी को इस मौके का लाभ उठाना चाहिए था. रिपब्लिक डे परेड में चौंथी पंक्ति में सीट देने का यह क्या चक्कर है स्पष्ट रूप से कुछ नहीं जानता हूं. मैं राहुल गांधी के जगह पर होता, तो एक आम आदमी का टिकट खरीदता और जनता के साथ बैठकर इसे बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना देता. राजनीति में आपको मौकों का फायदा उठाना पड़ता है.

नयी दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को गणतंत्र दिवस समारोह में छठी कतार में बैठाया गया. इसे लेकर खूब बवाल मचा और सोशल मीडिया पर भी लोगों ने तस्वीर साझा करते हए इसे गलत बताया. राहुल गांधी की एक तस्वीर ने सोशल मीडिया पर बहस के साथ राजनीतिक रंग भी ले लिया है. कहा जा रहा है यह पहली बार है जब कांग्रेस अध्यक्ष को पहली कतार में जगह नहीं मिली.

इस घटना को लेकर खबर है कि राहुल गांधी को चौथी कतार में जगह मिली थी. सुरक्षा कारणों से एसपीजी की टीम ने उन्हें छठी कतार में बैठने का आग्रह किया. इस खबर पर भी लोगों ने सवाल खड़े किये कि आखिर इतने बड़े समारोह में सिर्फ राहुल गांधी को खतरा था. एसपीजी के अनुसार किसी बड़ी घटना के होने पर चौथी की बजाय छठी कतार पर किनारे की सीट पर बैठना सुरक्षित इसलिए था क्योंकि चौथी कतार की बजाय छठी कतार से बाहर निकलना आसान था. सुरक्षा को देखते हुए छठी कतार की सीट उनके लिए ज्यादा बेहतर थी. राहुल के साथ ठीक उनके बगल में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद बैठे थे. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी उनसे दो पंक्ति आगे बैठी दिखी थीं.
राहुल गांधी के छठे कतार मे बैठने पर जितने सवाल खड़े हुए कांग्रेस नेताओं ने उतने ही सवाल बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के पहली पंक्ति में बैठने पर खड़े किये. कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया. केंद्र सरकार ने जान बूझकर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को छठी पंक्ति में बैठाया.मोदी सरकार की ओछी राजनीति जग जाहिर हो गई है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को गणतंत्र दिवस के राष्ट्रीय पर्व पर अंहकारी शासकों ने सारी परंपराओं को दरकिनार करके पहले चौथी पंक्ति और फिर छठी पंक्ति में जानबूझकर बैठाया. हालांकि हमारे लिए संविधान का उत्सव ही सर्व प्रथम है.
इस पर वरिष्ठ पत्रकार राजदीप ने भी ट्वीट किया. उन्होंने कहा, राहुल गांधी को इस मौके का लाभ उठाना चाहिए था. रिपब्लिक डे परेड में चौंथी पंक्ति में सीट देने का यह क्या चक्कर है स्पष्ट रूप से कुछ नहीं जानता हूं. मैं राहुल गांधी के जगह पर होता, तो एक आम आदमी का टिकट खरीदता और जनता के साथ बैठकर इसे बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना देता. राजनीति में आपको मौकों का फायदा उठाना पड़ता है.

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