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नगालैंड : 60 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के लिए सत्ता में बने रहने के साथ-साथ कांग्रेस को रोकने की चुनौती भी

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कोहिमा : नगासंगठनोंकीतमाम मांगों और विरोध को दरकिनार करते हुए नगालैंड में विधानसभा चुनावों की तारीखों का एलान कर दिया गया है. मुख्य चुनाव आयुक्त एके जोति ने गुरुवार को एलान किया कि मेघालय के साथ 27 फरवरी को इस आदिवासी बहुल राज्य में मतदान कराया जायेगा. देश के अधिकतर राज्यों में सत्ता हासिल कर […]

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कोहिमा : नगासंगठनोंकीतमाम मांगों और विरोध को दरकिनार करते हुए नगालैंड में विधानसभा चुनावों की तारीखों का एलान कर दिया गया है. मुख्य चुनाव आयुक्त एके जोति ने गुरुवार को एलान किया कि मेघालय के साथ 27 फरवरी को इस आदिवासी बहुल राज्य में मतदान कराया जायेगा. देश के अधिकतर राज्यों में सत्ता हासिल कर चुकी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) यहां की नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) की अगुवाई वाली सरकार में शामिल है. इसलिए भाजपा पर बेहतर प्रदर्शन का दबाव तो है ही, कांग्रेस को रोकने की चुनौती भी है. यही वजह है कि पार्टी के आलाकमान खुद पूर्वोत्तर के राज्यों पर नजर रख रहे हैं. गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले दिनों विधानसभा चुनावों के मद्देनजर एक महत्वपूर्ण बैठक की थी.

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60 सदस्यीयनगालैंड विधानसभा में एनपीएफ के 45 सदस्य हैं,जबकि भाजपा के 4 और जदयू का एक विधायक है. वर्ष 2013 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 8 सीटें जीती थीं, लेकिन इसके सभी विधायकोंने 21 नवंबर, 2015 को पार्टी का एनपीएफ में विलय कर दिया. एनपीएफने पिछले चुनावों में अन्य पार्टियों का करीब-करीब सूपड़ा ही साफ कर दिया था. फलस्वरूप विधानसभा में किसी पार्टी को विपक्ष का दर्जा नहीं मिल पाया. 19 जुलाई, 2017 से टीआर जेलियांग यहां के मुख्यमंत्री हैं. उन्होंने नेफियू रियो के राष्ट्रीय राजनीति में जाने के बाद उनकी जगह सीएम का पदभार संभाला था.

माना जाता है कि नगालैंड के लोग बेहद जागरूक हैं. यहां का मतदान प्रतिशत राष्ट्रीय औसत से बहुत अधिक है. वर्ष 2013 के विधानसभा चुनावों की ही बात करें, तो प्रदेश में 90 फीसदी से अधिक मतदान हुआ था. इसमें मतदान करने वाली महिलाओं का प्रतिशत पुरुषों की तुलना में 1.76 फीसदी अधिक रहा था. सबसे ज्यादा 98.22 फीसदी मतदान तामलु विधानसभा क्षेत्र में हुआ था. यहां कुल 14,460 मतदाताओं में से 14,203 ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था. जबकि सबसे कम 76.9 फीसदी मतदान त्वेनसैंग सदर-1 में हुआ. यहां 22,084 में से 16,803 वोटरों ने ही मतदान किया.

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नगालैंड देश के उन गिने-चुने विधानसभाओं में है, जहां एक भी महिला जनप्रतिनिधि नहीं है. पिछले चुनाव में पूरे राज्य में सिर्फ दो महिला प्रत्याशी थीं. इसमें एक की जमानत जब्त हो गयी और दूसरी भी जीत दर्ज नहीं कर पायीं. नगालैंड विधानसभा की 60 में से 59 सीटें अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित हैं. राजधानी दीमापुर की दीमापुर-1 विधानसभा सीट एकमात्र अनारक्षित सीट है. इससीटपर पिछली बार एनपीएफ के तोविहोतो अयेमी ने जीत दर्ज की थी.

यहां बताना प्रासंगिक होगा कि चुनावों की घोषणा से पहले ही नगा संगठनों ने विधानसभा चुनावों के बहिष्कार का एलान कर दिया था. आदिवासी समुदाय के नगा की सर्वोच्च संस्था नगा होहो ने साफ कह दिया था कि जब तक राज्य से उग्रवाद का पूरी तरह सफाया नहीं हो जाताऔरराज्य में पूरी तरह शांति बहाल नहीं हो जाती, यहां चुनाव नहीं कराये जाने चाहिए. यदि उनकी मांगें नहीं मानी गयीं, तो नगा होहो विधानसभा चुनावों का बहिष्कार करेगा.

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नगा नेशनल पॉलिटिकल ग्रुप्स (NNPG) की कार्यकारिणी समिति ने भी एक बयान जारी कर कहा था कि यदि नगालैंड विधानसभा चुनावकरायेजाते हैं, तो वर्तमान शांति वार्ता की प्रक्रिया बेपटरी हो सकती है. संगठन ने उम्मीद जतायी थी कि केंद्र सरकार इस चीज की गंभीरता को समझेगी और वार्ता के लिए सौहार्द्रपूर्ण माहौल बनाने के उपाय करेगी, ताकि नगालैंड के तमाम विवादों का हल हो सके.

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