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मकर संक्रांति : अरुणाचल प्रदेश के परशुराम कुंड में लगायी जाती है डुबकी, त्रिपुरा के गोमती तट पर पितरों का पिंडदान

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नयी दिल्ली : माघ महीने में पृथ्वी के साक्षात देव सूर्य भगवान का मकर राशि में प्रवेश करने के मौके पर पूरे भारत में मकर संक्रांति का त्योहार बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है. दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में इस मौके पर कई दिनों तक उत्सव मनाया जाता है, तो […]

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नयी दिल्ली : माघ महीने में पृथ्वी के साक्षात देव सूर्य भगवान का मकर राशि में प्रवेश करने के मौके पर पूरे भारत में मकर संक्रांति का त्योहार बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है. दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में इस मौके पर कई दिनों तक उत्सव मनाया जाता है, तो उत्तर-पूर्व भारत में भी इसे बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है. उत्तर-पूर्व भारत के अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा में मकर संक्रांति के मौके पर लोहित झील और गोमती के संगम तट पर डुबकी लगाकर मेले का आनंद उठाते हैं. त्रिपुरा में गोमती के संगम पर लोग-बाग अपने पितरों का पिंडदान भी करते हैं.

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उत्तर-पूर्व के इन राज्यों में ऐसे मनाया जाता है मकर संक्रांति का त्योहार

इसे भी पढ़ें : मकर संक्रांति 14 जनवरी को है या 15 जनवरी को? जानें…!

असम

उत्तर-पूर्व भारत के राज्यों में शुमार असम में मकर संक्रांति का त्योहार माघ बिहू या फिर भोगाली बिहू के नाम से मनाया जाता है. यह असम में हिंदू धर्मावलंबियों की ओर से मनाया जाने वाला त्योहार है. यहां पर मकर संक्रांति की शुरुआत एक दिन पहले ही होती है. इस राज्य में मकर संक्रांति के एक दिन पहले शाम से ‘उरुका’ उत्सव की शुरुआत की जाती है, जिसमें लोग प्रार्थना करते हैं, एक-दूसरे को मिठाइयां बांटते हैं और घास, सूखे पत्तों और बांस से झोंपड़ियां बनाते हैं. इसे यहां ‘मेजिस’ कहा जाता है. पूरे असम के लोग मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर इस मेजिस के इर्द-गिर्द एकत्र होते हैं और ढोल बजाकर धार्मिक गीत गाते हैं.

अगले दिन सुबह लोग-बाग अहले सुबह उठकर नहाकर दोबारा मेजिस के इर्द-गिर्द एकत्र होते हैं और फिर उसे जला देते हैं. इसके साथ ही, इस झोपड़ी के पास एकत्र लोग जलते मेजिस की आग में चावल का बना पीठा और तिल का लड्डू फेंककर भगवान से अगले साल अच्छी फसल देने की प्रार्थना करते हैं. भगवान से प्रार्थना करने के बाद पूरे दिन लोग मुर्गा लड़ाई, भैंसों की लड़ाई और अन्य आयोजनों का लुत्फ उठाते हैं.

मेघालय-मिजोरम

मेघालय और मिजोरम में असमी लोगों की बहुतायत है, इसलिए इन दोनों राज्यों में मकर संक्रांति का त्योहार असम ही की तरह बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है.

अरुणाचल प्रदेश

अरुणाचल प्रदेश में मकर संक्रांति के मौके पर श्रद्धालु खास स्थान पर जाते हैं. कालिका पुराण, श्रीमद्भागवत और महाभारत के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश के तेझू जिले में महर्षि परशुराम ने खुद के पापों को धोने के लिए लोहित झील का निर्माण किया था. इस झील को अब परशुराम कुंड के नाम से जाना जाता है. इसी पौराणिक मान्यता को मानते हुए अरुणाचल प्रदेश के श्रद्धालु इस झील में मकर संक्रांति के अवसर पर स्नान करने आते हैं. इसके बाद मकर संक्रांति का त्योहार बड़े धूम-धाम से मनाते हैं.

त्रिपुरा

अरुणाचल प्रदेश ही की तरह त्रिपुरा में भी बड़ी संख्या में हिंदू धर्मावलंबी इस त्योहार को मनाते हैं. यहां पर इसे ‘पौष संक्रांति’ के नाम से जाना जाता है. पौष संक्रांति के अवसर पर यहां के निवासी दक्षिण तीर्थमुख जिले में गोमती में मिलने वाली दो नदियों रायमा और सरमा के संगम स्नान-दान करने के साथ पृथ्वी के साक्षात देवता सूर्य देव की पूजा-आराधना करते हैं. इसके अलावा, कई लोग अपने पितरों को तर्पण देने के साथ पिंडदान भी करते हैं. स्थानीय लोग गोमती के संगम पर स्नान करने के बाद तीर्थमुख मेला का आनंद उठाते हैं.

मणिपुर

उत्तर-पूर्व भारत के राज्य मणिपुर में मकर संक्रांति के त्योहार के अवसर पर ‘कंग्सुबि’ नामक केक काटते हैं. इसके साथ ही वे लैनिंगथू भगवान की प्रार्थना करते हैं और तुलसी जी के पौधे के सामने आराधना करते हैं. काफी संख्या में लोग मंदिरों में पूजा-अर्चना करने के लिए जाते हैं. इस मौके पर कई लोग इंफाल स्थित श्री गोविंदाजी मंदिर में भी दर्शन करने जाते हैं.

नागालैंड

नागालैंड में मकर संक्रांति के त्योहार को नहीं मनाया जाता है.

दक्षिण और उत्तर-पूर्व भारत में इस नाम से मनाया जाता है मकर संक्रांति का उत्सव

तमिलनाडु : पोंगल, उझवर तिरुनल
केरल और आंध्र प्रदेश : संक्रांति
कर्नाटक : मकर संक्रमण
असम : माघ बिहू या भोगाली बिहू्
कश्मीर : शिशुर सेंक्रांत
अरुणाचल प्रदेश : मकर संक्रांति
त्रिपुरा : पौष संक्रांति
मणिपुर : कंग्सुबि
नागालैंड : संक्रांति का पर्व नहीं मनाया जाता.

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