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कांग्रेस के लिए गांधी परिवार बना जरूरत, अबतक 42 साल चलाया पार्टी, राहुल को खारिज करना भी जल्दबाजी

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नयी दिल्ली : राहुल गांधी तमाम कयासों के बीच आखिरकार 133 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष घोषित कर दिये गये. राहुल गांधी ने कांग्रेस की कमान ऐसे वक्त में संभालने जा रहे हैं, जब पार्टी सबसे मुश्किल दौर में है. राहुल गांधी व कांग्रेस पर विरोधी दल द्वारा बेहद तीखे हमले किये जा रहे […]

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नयी दिल्ली : राहुल गांधी तमाम कयासों के बीच आखिरकार 133 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष घोषित कर दिये गये. राहुल गांधी ने कांग्रेस की कमान ऐसे वक्त में संभालने जा रहे हैं, जब पार्टी सबसे मुश्किल दौर में है. राहुल गांधी व कांग्रेस पर विरोधी दल द्वारा बेहद तीखे हमले किये जा रहे हैं और राहुल गांधी अकेले इसका मुकाबला करते दिख रहे हैं. उनकी पार्टी में उनकी टक्कर का कोई दूसरा नेता भी नहीं है या यहभी कह सकते हैं कि उस स्तर का नेता परिस्थितिवश उभर नहीं पाया. ऐसे में राहुल गांधी के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कांग्रेस को फिर से खड़ा कर देना और देश की राजनीति के केंद्र में ले आना. राहुल के अध्यक्ष घोषित होने के बाद कांग्रेस के नेता-कार्यकर्ता यह उम्मीद जता रहे हैं कि राहुल गांधी करिश्माई नेता साबित होंगे. उनकी दादी को जब गुंगी गुड़िया बोला जाता था तब वे करिश्माई नेता बन कर उभरीं. जब सोनिया गांधी के बारे में यह कहा जाता था कि वे भारतीय राजनीति के बारे में कुछ नहीं जानतीं तो कैसे पार्टी संभालेंगी और उसे सरकार में लायेंगी, तब उन्होंने करिश्माई नेता अटल बिहारी वाजपेयी को उनकी सरकार के अच्छे प्रदर्शन के बावजूद चुनाव हराया और लगातार दो बार पार्टी को सत्ता में लेकर आयीं. ऐसे में नेहरू-गांधी परिवार के पुराने इतिहास को देखते हुए राहुल गांधी को पूरी तरह से खारिज कर देना किसी विश्लेषक के लिए नासमझी होगी और उनके विरोधियों की बड़ी राजनीतिक भूल. शायद यही वह वजह है किगुजरातचुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह राहुल गांधी को केंद्र में रख कर ही कांग्रेस पर हमला बोलते हैं, भले ही उनकी पार्टी भाजपा के उभरते नेता व यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ यह कहते हों कि राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के कांग्रेस पार्टी का स्वत: समापन हो जायेगा.

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ऐसे बनी थी कांग्रेस

कांग्रेस की स्थापना 72 प्रतिनिधियों की उपस्थिति में 28 दिसंबर 1885 को बॉम्बे के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत महाविद्यालय में हुई थी. इसकीस्थापना एओ ह्यूमनेकी थी.उस समय कांग्रेस के पहले अध्यक्ष के रूप मे व्योमेश चंद्र बनर्जी को चुनागयाथा. उस समय कांग्रेस को अंगरेज शासन का सेफ्टी वॉल्व कहा गया था. देश की इस सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी पर सबसे लंबे वक्त तक नेहरू-गांधी परिवार का कब्जा रहा है. नेहरू-गांधी परिवार ने लगभग 42 साल तक कांग्रेस को चलाया है और अब राहुल गांधी उसकी बागडोर संभालने जा रहे हैं.

राहुलगांधी की मां सोनिया गांधी ने नेहरू-गांधी परिवार ही सभी पूर्व अध्यक्षों के के सारे रिकार्ड तोड़ दिये और वे 19 साल कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं. उनके परिवार के पांच लोग लगभग 42 साल तक पार्टी अध्यक्ष रहे हैं.

कांग्रेस में अध्यक्षों की सूची लंबी रही है. पहले हर साल कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव होता था लेकिन समय के साथ नीति बदली और कांग्रेस के नाम के साथ गांधी शब्द टैग हो गया. इस पार्टी के लिए गांधी सरनेम ऑक्सीजन की तरह हो गया.

नेहरू-गांधी परिवार ने इस तरह चलाया कांग्रेस

कांग्रेस में सबसे पहले नेहरू परिवार से मोतीलाल नेहरू 1919 में अध्यक्ष चुने गयेथे. एक साल अध्यक्ष रहने के बाद 1929 में उन्हें दोबारा अध्यक्ष चुना गया. इस तरह दो बार मोतीलाल नेहरू पार्टी के अध्यक्ष बने. मोतीलाल के बाद पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू अध्यक्ष बने. नेहरू छह बार अध्यक्ष बने साल 1930, 1936, 1937, 1951, 1953 और 1954 में कांग्रेस अध्यक्ष रहे. पंडित नेहरू के बाद बेटी इंदिरा गांधी अध्यक्ष के पद पर रहीं. साल 1959 में उन्हें पहली बार कांग्रेस अध्यक्ष की कुरसी मिली. 1960 तक वह बनी रहीं.

दोबारा 1978 में इंदिरा की वापसी हुई. इसके बाद लगातार छह सालों तक कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर रहीं. इंदिरा के बाद बेटे राजीव गांधी 1984 को अध्यक्ष बने और 1991 तक इस पद पर रहे. राजीव गांधी के निधन के बाद नेहरू गांधी परिवार ने कांग्रेस से दूरी बनाये रखी लेकिन साल 1998 में राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी ने पार्टी की जिम्मेदारी संभाली और अध्यक्ष चुनी गयीं.

इस प्रकार पंडित मोतीलालनेहरू 2 साल, जवाहरलाल नेहरू 6 साल, इंदिरा गांधी 8 साल, राजीव गांधी 7 साल पार्टी के अध्यक्ष रहे. सोनिया 1998 से अब तक, लगभग 19 साल से कांग्रेस के अध्यक्ष के पद पर हैं. यानी 42 साल यह परिवार अध्यक्ष पद पर रहा है.

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