नयी दिल्ली : सोशल मीडिया के किंग हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. लेकिन, किरण यादव फेसबुक की नयी सेंसेशन हैं. कुछ ही दिनों में एफबी पर उनके फॉलोअर्स की संख्या 9 लाख से अधिक हो गयी है. उनके किसी भी पोस्ट को हजारों लाइक्स मिलते हैं. सैकड़ों लोग उनके पोस्ट को शेयर करते हैं.
वह अलग-अलग विषयों पर पोस्ट करती रहती हैं. उनके अधिकतर पोस्ट राजनीतिक होते हैं. लेकिन, वह राजनेता नहीं हैं. यदा-कदा सामाजिक मुद्दों को भी फेसबुक पर उठाती हैं, लेकिन वह सामाजिक कार्यकर्ता नहीं हैं. वह कोई सेलिब्रिटी नहीं हैं, फिल्म या टीवी की एक्ट्रेस नहीं हैं. फिर भी दुनिया के सबसे बड़े सोशल साइट पर लोग उनके दीवाने हैं.
वह ‘हलो’ भी लिख दें, तो उसे सैकड़ों लोग लाइक करते हैं. सोशल साइट पर सक्रिय लोगों को उनसे ईर्ष्या होने लगी है. बहुत कम दिनों में जितनी लोकप्रिय हुई हैं किरण यादव, वैसी लोकप्रियता बड़े-बड़े स्टार को भी नहीं मिली. आश्चर्य की बात यह है कि किरण के बारे में कोई बहुत ज्यादा जानता भी नहीं. किसी को नहीं पता कि वह कौन हैं? क्या करती हैं? कहां रहती हैं?
लेकिन, उनके फेसबुक पोस्ट से यह स्पष्ट है कि किरण यादव भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की घोर आलोचक हैं. उनके हालिया पोस्ट में ज्यादातर पोस्ट में भाजपा और संघ की आलोचना की गयी है. वह चाहे प्रधानमंत्री के विदेश दौरे का मामला हो या नोटबंदी अथवा जीएसटी लागू करने का. हर मुद्दे पर उन्होंने भाजपा को खरी-खोटी सुनायी है.
और तो और, किरण ने राष्ट्रपति पद तक पर अभद्र टिप्पणी कर दी है. लोगों की आस्था पर भी किरण ने चोट किया है. ईश्वर की मूर्तियों और तसवीरों पर भी सवाल खड़े किये हैं. एक पोस्ट में उन्होंने लिखा है, ‘मेरी शादी 16 साल की उम्र में ही मेरे मां-बाप ने कर दी. इस संसार के बारे में समझने की कोशिश ही कर रही थी कि मैं पारिवारिक बंधन में बंध गयी. सोच ही रही थी कि इस संसार में आयी हूं, तो कुछ अच्छा करके मरूं, लेकिन मुझे पूरी जिंदगी अफसोस रहेगा मैं कुछ कर न सकी.’
वह आगे लिखती हैं, ‘यह तो मेरी जिंदगी की बात है. अब आते हैं अंधविश्वास पर. क्या मिट्टी, पत्थर की मूर्ति या कैलेंडरों में भगवान की जो तसवीर है, क्या भगवान वैसे ही थे. आज से 10 हजार साल पहले न तो कैमरा था, न कागज. फिर भगवान के फोटो किसने खींचे. सच्चाई यह है कि फोटो में बनायी गयी पत्थर की जो मूर्तियां बनी हैं, वे भगवान के ही हैं या नहीं, यह कौन बतायेगा. यह सब झूठ है.’
किरण कहती हैं, ‘इस झूठ को फैलाने में कांग्रेस का भी हाथ है. कांग्रेस ने भी आरएसएस से मिल कर रामायण महाभारत की कहानी गढ़ कर टीवी के माध्यम से अंधविश्वास फैलाया. आपलोग जानते हैं कुछ न्यूज चैनल तो स्वर्ग तक कैमरा लेकर पहुंच गये थे. ये लोग भी झूठ फैला रहे हैं.’
किरण फेसबुक पर लगातार सक्रिय नहीं हैं. लेकिन, कुछ दिनों के अंतराल पर अपनी प्रोफाइल पिक्चर चेंज करती रहती हैं. अलग-अलग ड्रेस में दिखनेवाली यह युवती दलितों के मुद्दे पर भी भाजपा के खिलाफ मुखर दिखती है.
वह बिल्कुल मंझे हुए राजनेता की तरह किसी दलित को प्रधानमंत्री या वित्त मंत्री बनाने की मांग करती हैं. कहती हैं कि इससे दलितों का भला होगा. दलित हित के मुद्दे पर तो किरण यादव ने मायावती और लालू प्रसाद यादव की लाइन पकड़ी है. अपने एक पोस्ट में लालू, मायावती की तर्ज पर ही भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला किया है.
किरण यादव के पोस्ट बताते हैं कि उनकी हिंदी बहुत अच्छी नहीं है, लेकिन विचार लोगों को भावनात्मक रूप से उद्वेलित करते हैं. उनकी तसवीरें को लोगों को खूब भाती हैं. अच्छी बात यह है कि इन तसवीरों में कहीं अश्लीलता नहीं है. ऐसा भी नहीं है कि वह सिर्फ अपनी तसवीरें ही पोस्ट करती हों.
साड़ी में किरण ने एक तसवीर पोस्ट की है. इसमें उनकी उम्र 30 से 40 साल के बीच लगती है. साड़ी में वह सुघड़ भारतीय महिला दिखती हैं. उनके कुछ पोस्ट विचारोत्तेजक हैं, तो कुछ पोस्ट पर आपको हंसी भी आ जायेगी. उनके कई पोस्ट पर लोगों की प्रतिक्रिया भी वैसी ही है. यानी कई बार उन्हें बेइज्जत करनेवाला, कई बार हंसी में उड़ा देनेवाले.
बहरहाल, फेसबुक पर इस युवती ने अपनी कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की है. प्रोफाइल में सिर्फ चार जानकारी दी गयी है. एक, वह बिहार के वैशाली जिला की रहनेवाली है. दूसरा, हाजीपुर के डीसी कॉलेज से पढ़ाई की है, तीसरा, वह दिल्ली में रहती हैं और चौथा, किरण सेल्फ इंप्लाइ़ड हैं.