16.1 C
Ranchi
Monday, February 24, 2025 | 03:45 am
16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

GST : 70 साल बाद आज आधी रात का जश्न, दूर रहेंगे कांग्रेस-कम्युनिस्ट

Advertisement

।।प्रेम कुमार।। नयी दिल्ली : 70 साल पहले 15 अगस्त 1947 की आधी रात को जब ब्रिटिश ध्वज उतारा गया, भारतीय तिरंगा लहराया गया. सदियों की दासता ख़त्म हो गयी, आज़ाद हिन्दुस्तान नयी फिजां में सांस लेता हुआ आगे बढ़ने लगा. एक बार फिर वैसा ही ऐतिहासिक लम्हा, वैसा ही यादगार पल रचा जाने वाला […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

।।प्रेम कुमार।।

नयी दिल्ली : 70 साल पहले 15 अगस्त 1947 की आधी रात को जब ब्रिटिश ध्वज उतारा गया, भारतीय तिरंगा लहराया गया. सदियों की दासता ख़त्म हो गयी, आज़ाद हिन्दुस्तान नयी फिजां में सांस लेता हुआ आगे बढ़ने लगा. एक बार फिर वैसा ही ऐतिहासिक लम्हा, वैसा ही यादगार पल रचा जाने वाला है जब 30 जून की आधी रात आते ही 1 जुलाई शुरू हो जाएगी और पूरे देश के लिए एक कर, एक बाजार का सपना पूरा हो जाएगा. मल्टीपल टैक्स का काला अध्याय खत्म हो जाएगा। जी हां, GST लागू हो जाएगी.

GST: आधी रात को संसद के सेंट्रल हाॅल में सजेगी सितारों की महफिल, राजनेताआें में कुछ करेंगे शिरकत, तो कुछ बायकाॅट

आजादी के बाद दूसरे मध्यरात्रि के जश्न से दूर रहेंगे कांग्रेस-कम्युनिस्ट

1947 में 15 अगस्त को हमारे साथ ‘वे’ नहीं थे और 16 अगस्त को ‘उनके’ साथ हम नहीं थे. 30 जून की आधी रात के ऐतिहासिक मौके पर इस बार परतंत्र व एकीकृत हिन्दुस्तान की पार्टियां भी, चाहे वे देश की सबसे पुरानी पार्टियां कांग्रेस हो या कम्युनिस्ट पार्टी, इस समारोह से दूर रहेंगी। और, अगर बीजेपी की बात करें तो 70 साल पहले इस पार्टी ने जन्म भी नहीं लिया था. इसलिए बीजेपी के लिए आजादी के बाद मध्य रात्रि के जश्न का यह पहला मौका होगा.

जीएसटी की मूल सोच कांग्रेस की, मोदी भी थे विरोधी

ऐसा नहीं है कि GST की कल्पना, जो वास्तविकता बनकर देश का भाग्य बदलने वाली साबित हो सकती है, उसे बनाने में गैर बीजेपी दलों का कोई योगदान न हो। दरअसल इस सोच को जन्म देने का श्रेय तो कांग्रेस को जाता है. 2010 में इसे लागू करने की घोषणा भी तब वित्तमंत्री रहे प्रणब मुखर्जी कर चुके थे. लेकिन, यूपीए सरकार जीएसटी पर सबका साथ लेने में सफल नहीं रही. वहीं, तब बीजेपी की भूमिका भी सहयोग की नहीं थी. बीजेपी शासित राज्यों ने इसका विरोध किया। तब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर अपने पार्टी के आदेश का पालन कर रहे थे.

GST: इनपुट क्रेडिट का अधिक दावा करने वाले व्यापारियों को करना होगा 24 फीसदी ब्याज का भुगतान

जीएसटी का हर दल था कभी विरोधी, कभी समर्थक

जीएसटी की खासियत यही है कि जो कोई भी राजनीतिक पार्टी सत्ता में रही है, कभी न कभी इसके साथ रही, या इसके खिलाफ रही. बावजूद इसके नरेंद्र मोदी सरकार को यह श्रेय जाता है कि उसने जीएसटी बिल को दोनों सदनों में पारित कराने के लिए राजनीतिक दलों को मना लिया। राज्यसभा में अल्पमत में रहने पर भी यह बिल पारित करा लेना मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि रही.

मोदी सरकार ने किया जीएसटी पर सपना बुनने का काम

जीएसटी की सोच भले ही कांग्रेस की रही हो, लेकिन इससे जुड़ा सपना बुनने का काम मोदी सरकार ने किया. एक देश, एक कर, एक व्यापार के साथ-साथ बहुकर प्रणाली से मुक्ति, कारोबार का माहौल, निवेशकों के लिए आकर्षण, सभी प्रदेशों का समग्र विकास, रोजगार के अवसरों में वृद्धि जैसी संभावनाओं की पैकिजिंग कर इसे एक सपने के तौर पर बेचने में मोदी सरकार सफल रही. इसी सफलता का दबाव था कि कांग्रेस न चाहते हुए भी जीएसटी के विरोध का खतरा राज्यसभा में नहीं उठा सकी.

GST: इनपुट क्रेडिट का अधिक दावा करने वाले व्यापारियों को करना होगा 24 फीसदी ब्याज का भुगतान

हर विरोध से निपटती रही केंद्र सरकार

राज्यों की राजनीति भी चाहे जो रही हो, लेकिन जीएसटी के सवाल पर कोई तार्किक विरोध लेकर सामने नहीं आया. व्यावहारिक स्तर पर शंकाएं-आशंकाएं सामने आयीं, लेकिन उन्हें जीएसटी काउंसिल की 17 बैठकों में दूर कर लिया गया. इस तरह क्षेत्रीय दलों और क्षेत्रीय राजनीति के लिए भी जीएसटी को नकार पाना अगर मुश्किल रहा है, तो इसका श्रेय मोदी सरकार की रणनीति को जाता है.

बीजेपी विरोध की राजनीति ही बहिष्कार की वजह

अगर कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम, तृणमूल कांग्रेस समेत कई दलों ने 30 जून की मध्यरात्रि के समारोह से खुद को दूर रखने का फैसला किया है तो उसके पीछे की राजनीतिक वजह जनता समझ रही है. पी चिदंबरम ने अपनी पार्टी से इस समारोह में शामिल होने की अपील की थी. खुद मनमोहन सिंह भी इसके पक्ष में रहे हैं. इसलिए बीजेपी के साथ नहीं दिखने की राजनीतिक विवशता ही कांग्रेस के फैसले के पीछे मूल वजह है. बाकी दल बीजेपी विरोध के राजनीतिक ध्रुव को बनाए रखना चाहते हैं. इसके साथ ही वे जीएसटी से जुड़े विरोध के साथ भी बने रहना चाहते हैं ताकि कोई ऊंच-नीच होने की स्थिति में विरोधी दल का नैतिक दायित्व निभा सकें.

राज्य सरकारों में नहीं दिखता है प्रबल विरोध

मध्यरात्रि के समारोह में कौन दल शामिल हो रहे हैं, कौन नहीं- यह सवाल अब उतना महत्वपूर्ण नहीं है. महत्वपूर्ण ये है कि राज्य सरकारों के बीच जीएसटी को लागू करने को लेकर उत्साह है या नहीं. ममता बनर्जी के राजनीतिक विरोध को एक तरफ कर दें, तो कांग्रेस शासित राज्य भी इसका विरोध नहीं कर रहे हैं। ऐसे में ममता का बंगाल या सीपीएम शासित केरल के लिए इससे दूर रहना मुश्किल है. समर्थन तो वे पहले ही दे चुके हैं.

कारोबार के लिए माहौल बनाना राज्य सरकार की जिम्मेदारी

जीएसटी विभिन्न राज्यों को एक कर और एक बाजार तो उपलब्ध कराता है लेकिन कारोबार का माहौल बनाना तो खुद राज्य सरकारों की जिम्मेदारी रहेगी. इसके अलावा किसी राज्य में जल संसाधन हैं तो किसी राज्य में खनिज भंडार, कहीं पर्यटन की संभावना है तो कहीं विज्ञान और तकनीक विकास की. इसलिए क्षमतानुसार अपने-अपने राज्य को विकसित करने की पहल खुद राज्यों को ही लेनी होगी. इतना जरूर है कि केंद्र का सहयोगात्मक रुख उन्हें उनके उद्देश्य हासिल करने में उपयोगी साबित होगा और अगर रवैया उल्टा रहा, तो इसका खामियाजा भी भुगतना होगा.

हर तरह की हिंसा को रोकना जरूरी

मोदी सरकार देश में राजनीतिक भेदभाव के बिना जीएसटी को लागू करने, पूरा सहयोग देने और निवेश का माहौल बनाने का वादा करती रही है. ऐसे में राज्यों के लिए यह सुनहरा मौका है कि वे माहौल बनाने पर ध्यान दें. देश-दुनिया में निवेश के लिए माहौल बनाने का काम मोदी सरकार ने बखूबी किया है लेकिन कानून-व्यवस्था, राजनीतिक स्थिरता, आंदोलन रहित वातावरण दिए बगैर निवेशक बड़ा जोखिम नहीं उठाएंगे. ये नहीं हो सकता कि भीड़ पीट-पीट कर हत्या की घटनाओं को अंजाम देता रहे, इस मामले में राजनीति होती रहे और निवेशक इन घटनाओं की परवाह न करें.

सांप्रदायिक सौहार्द निवेश की अनिवार्य शर्त

कश्मीर को लेकर दुनिया में भारत चर्चा का विषय बना रहता है लेकिन कश्मीर के कारण देश में सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़े और उसकी दुनिया में चर्चा हो, तो इसका निवेश पर, देश की तरक्की पर बुरा असर पड़ेगा. इसलिए सांप्रदायिक सौहार्द को बनाए रखना राज्य और केंद्र सरकार की सामूहिक जिम्मेदारी होनी चाहिए। यह जीएसटी को सफल बनाने की अनिवार्य शर्तों में शामिल है.

आर्थिक कायाकल्प का अचूक अस्त्र है जीएसटी

बिजली, सड़क, ऊर्जा, रक्षा और सुरक्षा निवेश की दृष्टि से अहम हैं. मोदी सरकार ने इन क्षेत्रों में ध्यान दिया है. रेलवे में सुधार, आंतरिक जल परिवहन का विकास, सड़क यातायात, सामुद्रिक परिवहन जैसे क्षेत्रों में भी केंद्र सरकार सक्रिय रही है. इसलिए एक बार अगर जीएसटी को लागू करने में राज्य और केंद्र सरकारें शिद्दत से जुट जाएं, टैक्स बेस बड़ा हो जाए, राजस्व में बढ़ोतरी होने लगे और समांतर अर्थव्यवस्था खत्म करने की दिशा में हम आगे बढ़ जाएं तो विकास की नयी बयार बहते देर नहीं लगेगी. उम्मीद की जानी चाहिए कि जीएसटी और इससे पहले नीति आयोग देश के आर्थिक कायाकल्प के अचूक उपकरण साबित होंगे.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें