चेन्नई: कार्टोसैट-2 सीरीज के तीसरे स्पेसक्राफ्ट की लॉन्चिंग शुक्रवार को श्रीहरिकोटा से की गयी. लेटेस्ट रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट की लॉन्चिंग के बाद आतंकी कैंप और दुश्मन के बंकर्स को खोजने में और ज्यादा मदद भारत को मिलेगी. इस सीरीज में पहले लॉन्च किये गये सैटेलाइट का रिजोल्यूशन 0.8 मीटर था जबकि तीसरे सेटेलाइट का रिजोल्यूशन […]
चेन्नई: कार्टोसैट-2 सीरीज के तीसरे स्पेसक्राफ्ट की लॉन्चिंग शुक्रवार को श्रीहरिकोटा से की गयी. लेटेस्ट रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट की लॉन्चिंग के बाद आतंकी कैंप और दुश्मन के बंकर्स को खोजने में और ज्यादा मदद भारत को मिलेगी. इस सीरीज में पहले लॉन्च किये गये सैटेलाइट का रिजोल्यूशन 0.8 मीटर था जबकि तीसरे सेटेलाइट का रिजोल्यूशन 0.6 मीटर है. इसका अर्थ साफ है कि ये और ज्यादा छोटी वस्तु की तस्वीरें भी ले सकेगा.
आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में गुरुवार सुबह पांच बजकर 29 मिनट से ही 30 सह-उपग्रहों के साथ कार्टोसैट-2 सीरीज के उपग्रह के प्रक्षेपण की 28 घंटों की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी थी. धरती के अवलोकन के लिये प्रक्षेपित किये गये 712 किलोग्राम वजनी कार्टोसैट-2 श्रृंखला के इस उपग्रह के साथ करीब 243 किलोग्राम वजनी 30 अन्य सह उपग्रहों को भी एक साथ प्रक्षेपित किया गया. इसउपग्रह ने505 किलोमीटर ध्रुवीय सूर्य स्थैतिक कक्षा (एसएसओ) में पहुंचने के लिये सुबह नौ बजकर 20 मिनट पर उडान भरा.
PSLV-C38 के साथ भेजे गये इन सभी उपग्रहों का कुल वजन करीब 955 किलोग्राम है. साथ भेजे जा रहे इन उपग्रहों में भारत के अलावा ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, चिली, चेज गणराज्य, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, लातविया, लिथुआनिया, स्लोवाकिया, ब्रिटेन और अमेरिका समेत 14 देशों के 29 नैनो उपग्रह शामिल हैं.
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इससे पहले गुरुवार को अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि एंट्रिक्स कॉरपोरेशन लिमिटेड (एंट्रिक्स), इसरो की व्यावसायिक शाखा और अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों के बीच व्यावसायिक व्यवस्थाओं के तहत 29 अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ता नैनो उपग्रहों को प्रक्षेपित किया जा रहा है. इसरो के अध्यक्ष ए एस किरण कुमार ने चेन्नई हवाईअड्डा पर संवाददाताओं को बताया कि प्रक्षेपण के लिये सभी गतिविधियां जारी हैं.
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बताया कि ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) का यह 40वां (पीएसएलवी-सी38) सफर है. ‘एक्सएल ‘ विन्यास (ठोस स्ट्रैप-ऑन मोटर्स के इस्तेमाल के साथ) के तौर पर पीएसएलवी की 17वीं उडान है.