माहवारी के दौरान सेनेटरी नैपकिन का प्रयोग ना करने के कारण हमारे देश में महिलाएं कई तरह के संक्रमण का शिकार होती हैं और यह हमारे देश की स्वास्थ्य से जुड़ी एक बड़ी समस्या है. ऐसे में जरूरत इस बात की है कि महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा सेनेटरी नैपकिन इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित […]
माहवारी के दौरान सेनेटरी नैपकिन का प्रयोग ना करने के कारण हमारे देश में महिलाएं कई तरह के संक्रमण का शिकार होती हैं और यह हमारे देश की स्वास्थ्य से जुड़ी एक बड़ी समस्या है. ऐसे में जरूरत इस बात की है कि महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा सेनेटरी नैपकिन इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया जाये, लेकिन पिछले दिनों सरकार ने जो फैसला लिया है, वह इस कार्य में बाधा उत्पन्न करने वाला प्रतीत होता है. सरकार ने एक जुलाई से देश में जीएसटी लागू करने का फैसला किया है, इसके तहत सेनेटरी नैपकिन को ‘लक्जरी प्रोडक्ट’ बताया गया है, अत: सरकार इसपर टैक्स बढ़ायेगी. टैक्स बढ़ने से सेनेटरी नैपकिन की कीमत बढ़ जायेगी. भारत में मात्र 12 प्रतिशत महिलाएं ही सेनेटरी नैपकिन का प्रयोग करती हैं, ऐसे में बढ़ती कीमत इन महिलाओं को भी कपड़े और अन्य विकल्प की ओर ले जा सकता है.
महिला विरोधी फैसला
सेनेटरी नैपकिन को लक्जरी मानना और उसकी कीमत में बढ़ोत्तरी करना उन महिलाओं के खिलाफ फैसला है, जो या तो सेनेटरी नैपकिन का प्रयोग करती हैं या फिर इसके अभाव में संक्रमण झेलती हैं. सरकार के इस फैसले का बॉलीवुड की अभिनेत्री अदिति राव ने अविलंब विरोध किया था और अरुण जेटली के नाम ट्वीट किया था- सेनेटरी नैपकिन जरूरत है, लक्जरी नहीं. महिलाएं इसका प्रयोग करती हैं, कृपया इसे जीएसटी से अलग करें. अदिति ने यह ट्वीट हैशटैग लहू का लगान से किया था, जिसके बाद उन्हें कई सेलेब्रिटी का समर्थन मिला. अभिनेत्री स्वरा भास्कर, लिजा रे और बैडमिंटन खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा भी उनके समर्थन में सामने आयीं.
रांची के ‘Co education’ स्कूल में माहवारी के दौरान किशोरियों को ‘टीज’ करते हैं लड़केअदिति के ट्वीट के बाद हैशटैग लहू का लगान ट्वीटर पर ट्रेंड करने लगा था. कई लोगों ने अरुण जेटली को टैग कर अपने कमेंट किये और सेनेटरी नैपकिन पर से टैक्स हटाने की मांग की.
ऐसे समय में जबकि महिलाओं को सेनेटरी नैपकिन का प्रयोग करने के प्रति जागरूक किया जा रहा है और सस्ते दर में सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध कराने की बात हो रही है, यहां तक की फ्री वितरण की भी चर्चा चल रही है सेनेटरी नैपकिन पर टैक्स बढ़ाना चौंकाने वाला फैसला प्रतीत होता है.
कपड़ा इस्तेमाल करने पर विवश होंगी महिलाएं
भारत एक ऐसा देश है जहां गरीबी और जागरूकता के अभाव में महिलाएं सेनेटरी नैपकिन का प्रयोग नहीं करती हैं और रद्दी कपड़ा, राख जैसी चीजों का इस्तेमाल करती हैं. सरकारी दर पर छह रुपये प्रति पैकेट के हिसाब से पांच सेनेटरी नैपकिन की ब्रिकी आंगनबाड़ी केंद्रों और स्कूलों में की जाती है, लेकिन उनका इस्तेमाल भी सभी महिलाएं नहीं करतीं ऐसे में अगर सेनेटरी नैपकिन पर जीएसटी लागू होगा, तो महिलाएं इसका प्रयोग करती हैं, वो भी कपड़े का इस्तेमाल करने पर विवश होंगी.