27.1 C
Ranchi
Friday, February 7, 2025 | 02:22 pm
27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

फ्लू या स्वाइन फ्लू

Advertisement

मौसम बदलने के साथ ही स्वाइन फ्लू एक बार फिर से सिर उठाने लगा है. देश के कई हिस्सों से मरीजों के संक्रमित होने की खबरें आ रही हैं. ऐसे में इससे बचाव करना बहुत जरूरी है. इस रोग से बचाव पर पूरी जानकारी दे रहे हैं हमारे एक्सपर्ट. यह जानना बहुत जरूरी है कि […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

मौसम बदलने के साथ ही स्वाइन फ्लू एक बार फिर से सिर उठाने लगा है. देश के कई हिस्सों से मरीजों के संक्रमित होने की खबरें आ रही हैं. ऐसे में इससे बचाव करना बहुत जरूरी है. इस रोग से बचाव पर पूरी जानकारी दे रहे हैं हमारे एक्सपर्ट.
यह जानना बहुत जरूरी है कि आप किस समस्या से लड़ रहे हैं. फ्लू में गले में चुभन, बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द और नाक बहने और बंद रहने की समस्या होती है. इसमें कफ भी जल्द ही आने लगता है. सामान्य फ्लू में फेफड़े के संक्रमण का भी खतरा होता है. यह दो से पांच दिन में खुद ठीक हो जाता है, लेकिन कई बार एक सप्ताह भी लग सकता है.
– सामान्य फ्लू में हल्का बुखार होता है, मगर स्वाइन फ्लू में यह 100 से 103 डिग्री तक हो सकता है. बच्चों में यह और अधिक हो सकता है.
– सिर दर्द दोनों प्रकार के फ्लू में हो सकता है. मगर स्वाइन फ्लू में तेज दर्द तथा कान में इन्फेक्शन भी हो सकता है.
यह हो सकती है इमरजेंसी
बच्चों में : सांस लेने में दिक्कत या तेज सांसें लेना, त्वचा का रंग नीला होना, पर्याप्त पानी नहीं पी पाना, चलने में दिक्कत या बातचीत में समस्या, चिड़चिड़ापन, रैशेज के साथ बुखार हो सकता है.
वयस्कों में : सांस लेने में दिक्कत या सांस फूलना, दर्द या सीने में तनाव के साथ पेट में दर्द, सुस्ती, उल्टी आना, बुखार के साथ खांसी आना.
प्रमुख जांच : स्वाइन फ्लू की जांच के लिए थ्रोट स्वैब या ब्लड सेंपल लिया जाता है. ब्लड टेस्ट सपोर्टिव टेस्ट के तौर पर होता है. इस रोग की पुष्टि के लिए एलिसा टेस्ट भी किया जाता है.
इलाज : स्वाइन फ्लू की वैक्सीन अब मौजूद है. यह फ्लू भी आम फ्लू की तरह ही है. मगर इसके प्रति मरीजों में इम्युनिटी नहीं होने से मरीज की स्थिति गंभीर हो सकती है. रोग हो जाने पर मरीज को टेमीफ्लू दवाई दी जाती है.
इन बातों का रखें ध्यान
स्वाइन फ्लू की चपेट में बुजुर्ग बच्चे और गर्भवती महिलाएं पहले आती हैं. फेफड़े या किडनी रोग से ग्रसित लोगों को भी खतरा अधिक होता है. अत: ऐसे मरीज यदि किसी को सर्दी-जुकाम हो, तो उनके संपर्क में न रहें. इसके अलावा हाथ को बिना धोएं कुछ न खाएं-पीएं. गुनगुने पानी में 20 सेकेंड तक मल-मल कर हाथ धोएं. इससे त्वचा से वायरस नष्ट हो जाएंगे.
बचें स्वाइन फ्लू से गर्भावस्था और स्वाइन फ्लू
मौसम में बदलाव आते ही सर्दी-जुकाम होना आम बात है. कई बार ऐसे ही लक्षण गंभीर रोग स्वाइन फ्लू के कारण भी हो सकते हैं. अत: सामान्य से दिखनेवाले लक्षणों को अनदेखा करना सही नहीं है. बदलते मौसम में स्वाइन फ्लू की आशंका बढ़ जाती है. स्वाइन और कॉमन फ्लू के लक्षण लगभग एक जैेसे होते हैं. इनके बीच के अंतर को समझना जरूरी है.
इस दौरान इसको पीएच1एन1 कहते हैं. प्रेग्नेंसी में यह रोग हो, तो निमोनिया होने की आशंका बढ़ जाती है. इस रोग से ग्रसित होने पर समय से पहले डिलिवरी या दर्द हो सकता है. कुछ केस में बच्चे को नुकसान भी पहुंच सकता है. बच्चे में विकृित का भी खतरा होता है. इसके लिए फ्लू शॉट लेना जरूरी है. इससे मां और बच्चे दोनों को इस बीमारी का खतरा नही होगा.
गर्भवती महिलाओं को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए-
– खुली जगह में जाने से परहेज करें.
– किसी से हाथ मिलाने के बाद साबुन से हाथ जरूर धोएं.
– बिना हाथ धोये, आंख, नाक और मुंह न छुएं. प्राय: इनसे ही रोग शरीर में प्रवेश करता है.
– नॉर्मल या स्वाइन फ्लू दोनों मामलों में मरीज के स्पर्श से बचें.
– व्यायाम और पूरी नींद के साथ पर्याप्त पानी पीएं.
प्रसव के बाद रखें सावधानी
प्रसव बाद अगर यह रोग मां को होता है, तो मां और बच्चे को अलग कमरे में रखा जाता है. 48 घंटे तक दवा और एंटीवायरल देने के बाद ही दोनों को एक साथ रखा जा सकता है. इस दौरान बच्चे को एक्सटर्नल फीडिंग कराया जाता है, ताकि शिशु रोग से बचा रहे. बच्चे को छूने या फीडिंग कराने के पहले हाथ जरूर धो लें. मास्क पहन कर फीडिंग कराएं. अपनी बांहों पर न तो खांसे और न ही छींकें.
बातचीत व आलेख : दीपा श्रीवास्तव
स्वाइन फ्लू का वैक्सीन लगवायें
स्वाइन फ्लू 2009 में बहुत ही तेजी से फैला था तब इसका टीका उपलब्ध नहीं था. अब इसका टीका उपलब्ध है और इसकी मदद से इस रोग से बचाव संभव है. स्वाइन फ्लू का एक टीका नैसोवैक है, जिसे नाक के जरिये दिया जाता है. इस टीके की 0.5 एमएल की एक बूंद किसी भी व्यक्ति को इस रोग से करीब दो साल तक दूर रखती है. यह टीका तीन साल से अधिक के बच्चों और बड़े-बूढ़ों के लिए खास तौर पर उपयोगी है. इसे गर्भवती, छोटे बच्चे और कम प्रतिरोधक क्षमतावाले लोग भी ले सकते हैं. इस टीके को भारत में ही बनाया गया है. स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए एक और वैक्सीन बनाया गया है. एचएनवैक ब्रांड नामक इस वैक्सीन को कड़े परीक्षण के बाद काफी हद तक सुरक्षित और उपयोगी पाया गया है.
आयुर्वेद में भी है इसकी चिकित्सा
डॉ एस के अग्रवाल
एमबीबीएस, एमएस आयुर्वेद, अमृता स्वास्थ्य केंद्र, रांची
आ युर्वेद के अनुसार अधिकांश वायरल इन्फेक्शन में इम्युनिटी बढ़ानेवाली दवाओं के साथ-साथ वायरस को नष्ट करने या इनकी संख्या वृद्धि को रोकनेवाले गुणोंवाली दवाओं का प्रयोग किया जाता है. इससे वायरल इन्फेक्शन से होनेवाले लगभग सभी रोगों की चिकित्सा में लाभ मिलता है. गिलोय, नीम, कालमेघ, हरसिंगार, यष्टिमधु, तुलसी पिप्पली, वासक, कंटकारी के मिश्रण से बनी दवाओं (काढ़े, गोलियां या कैप्सूल) के प्रयोग से विगत 15 वर्षों में वायरल फ्लू के 80% रोगी दो-तीन दिनों में बगैर किसी एंटीबायोटिक या केमिकल एंटीवायरल दवाओं के ठीक हुए हैं. इन सभी वनौषधियों में इम्युनिटी बढ़ाने के गुणों के शोध प्रमाणों ने दुनिया भर के स्वास्थ वैज्ञानिकों का ध्यान आकर्षित किया है. ये सभी वनौषधियां प्रचुर मात्रा में कम कीमत में उपलब्ध हैं और आसानी से प्राप्त की जा सकती हैं.
गिलोय, नीम, कालमेघ, हरसिंगार यष्टिमधु, तुलसी पिप्पली, वासक, कंटकारी इन सभी को बराबर मात्रा में मिला कर 5-10 ग्राम की मात्रा दो कप पानी में उबाल कर चौथाई कप रहने पर छान कर दिन में दो से चार बार तक पीना चाहिए. बच्चों को उम्र के अनुसार इससे आधी या कम मात्रा दी जानी चाहिए. इसमें स्वाद के अनुसार चीनी या गुड़ मिलाया जा सकता है. डेनमार्क में कालमेघ घन की गोलियों का प्रयोग फ्लू के रोगियों पर किया गया. 85% रोगी अन्य किसी दवा के बिना ही दो-तीन दिन में पूर्णत: रोग मुक्त हो गये.
एचआइवी में भी कारगर
कालमेघ में एचआइवी वायरस के विरुद्ध कारगर होने के प्रमाण भी हैं. हजारों वर्षों से अनेक संक्रामक बुखारों में इसका प्रयोग होता रहा है. झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में बुखार में कालमेघ का प्रयोग सामान्य तौर पर किया जाता है. इसी प्रकार अमृता (गिलोय) इम्युनिटी बढ़ाने के विशिष्ट गुणों के कारण हर प्रकार के संक्रामक रोगों में अकेले या अन्य जड़ी-बूटियों के साथ प्रयोग करने से निश्चित लाभकारी होती है. गिलोय के प्रयोग से एड्स के रोगियों में सुधार होता देखा गया है. नीम एंटीवायरल होने के साथ ही इम्युनिटी भी बढ़ाता है. वासक और कंटकारी फेफड़ों से संबंधित सांस के रोगों में प्रभावकारी हैं.
हािनरहित हैं औषधियां
स्वाइन फ्लू श्वास नली और फेफड़ों को मुख्य रूप से प्रभावित करता है. इसलिए इस मिश्रण से खांसी और दम फूलने की तकलीफ में जल्दी आराम मिलता है. 15 वर्षों में हजारों रोगियों को वनौषधियों के इस मिश्रण के प्रयोग से किसी प्रकार की हानि नहीं हुई है. स्वाइन फ्लू की रोकथाम और चिकित्सा दोनों में इन वनौषधियों के प्रयोग से अच्छे परिणाम मिलने की प्रबल संभावनाएं है. वनौषधियों के अतिरिक्त आयुर्वेद की दो औषधियां त्रिभुवन कीर्ति रस एवं लक्ष्मी विलास रस का प्रयोग भी हरेक प्रकार के फ्लू में अत्यंत उपयोगी सिद्ध होता है. रोग की गंभीर अवस्था में इनका प्रयोग आधुनिक एंटीवायरल दवाओं के साथ करने से बेहतर परिणाम मिलते हैं.
बातचीत : अजय कुमार
होमियोपैथी में चिकित्सा
– Arsenic Alb 200 शक्ति : सिर दर्द, ठंडे पानी से धोने पर आराम होना, बेचैनी, नाक बंद, छींकने पर आराम न मिलना, बार-बार प्यास लगने पर चार गोली चार-चार घंटे के अंतराल पर लें.
– Eupatorium Perf 200 शक्ति : सिर के पीछे के हिस्से में असहनीय दर्द, सिर भारी लगे, पूरे शरीर की हड्डियों में असहनीय दर्द हो, तो चार गोली चार-चार घंटे के अंतराल पर लें.
– Rhus Tox 200 शक्ति : पूरे शरीर में असहनीय दर्द, बेचैनी हो, एक जगह बैठने का मन न करे, हिलने-डुलने पर आराम महसूस हो, हाइ फीवर हो, तो चार गोली चार-चार घंटे के अंतराल पर लें.
– रोग से बचाव के लिए : Influzennum 200 शक्ति चार बूंद रोज सुबह, तीन दिनों तक लें. इसे किसी भी उम्र के लोग ले सकते हैं.
– डॉ एस चंद्रा, होमियोपैथी विशेषज्ञ

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें