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सर्जरी से ठीक हो सकता है ओवरी का ट्यूमर

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10 वर्षीया एक लड़की शिकायत लेकर आयी थी कि उसे कुछ हफ्तों से पेट के निचले हिस्से में दर्द रह रहा है. कुछ दिनों से यह बढ़ गया था. दबाने पर तकलीफ बढ़ जाती थी. उसका अल्ट्रासाउंड कराया गया, तो मालूम हुआ कि बायीं ओवरी में ट्यूमर हो गया है. कम उम्र में ठोस ट्यूमर […]

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10 वर्षीया एक लड़की शिकायत लेकर आयी थी कि उसे कुछ हफ्तों से पेट के निचले हिस्से में दर्द रह रहा है. कुछ दिनों से यह बढ़ गया था. दबाने पर तकलीफ बढ़ जाती थी. उसका अल्ट्रासाउंड कराया गया, तो मालूम हुआ कि बायीं ओवरी में ट्यूमर हो गया है.
कम उम्र में ठोस ट्यूमर होने के कारण दर्द हो रहा था. इसी कारण सर्जरी का निर्णय लिया गया. सर्जरी के समय देखा गया कि ओवरी में ट्यूमर का आकार संतरे जितना था. वह तीन बार ट्विस्ट हो गया था और काला पड़ गया था. इसे निकाल दिया गया था. बायोप्सी जांच से पता चला कि ट्यूमर बिनाइन अर्थात नॉन कैंसरस था. आमतौर पर यह समस्या वयस्कों में होती है. कभी-कभी किशोरियों में भी ओवरी में ट्यूमर हो सकता है. हालांकि यह कम लोगों में ही होता है. अधिकतर लोगों में यह बिनाइन होता है. लेकिन ऐसे 10% ट्यूमर कैंसरस भी हो सकते हैं.
क्या हैं कारण
फंक्शनल सिस्ट : पांच सेमी से छोटे रहते हैं. दो-तीन महीने में स्वयं ही ठीक हो जाते हैं. इसमें इलाज की जरूरत नहीं होती. यह फॉलिकुलर सिस्ट, ल्यूटिल सिस्ट या थेकोमा हो सकते हैं.
नियोप्लाज्म : कभी-कभी अंडाशय का ग्रोथ भी कैंसरस या बिनाइन हो सकता है. इसके भी दो प्रकार होते हैं -जर्म सेल या एपिथेलियल ट्यूमर.
एंडोमेट्रियोसिस : गर्भाशय के भीतर की परत पेट के अन्य हिस्सों में भी जमने लगती है. ओवरी में लगातार जमने से यह सिस्ट का रूप लेने लगती है. यह दवाई से ठीक हो सकता है या लेप्रोस्कोपी की भी जरूरत पड़ सकती है.
ओवेरियन कैंसर : 10% ओवरी के ट्यूमर कैंसरस हो सकते हैं. इस उम्र में अधिकतर कैंसर जर्म सेल ट्यूमर होते हैं जैसे-डिसजर्मिनोमा, योक सैक ट्यूमर आदि. ये ठोस होते हैं और बढ़ कर 10-15 सेमी हो जाते हैं. इनका पता पेट दर्द से चलता है. यह प्राय: एक ओर होता है तथा सर्जरी से निकाला जा सकता है. शुरू में इलाज हो जाये, तो यह ठीक हो सकता है. इलाज से दूसरे तरफ की ओवरी बचा ली जाती है, जिससे प्रजनन संबंधी समस्याएं नहीं होती हैं.
ट्विस्टेड ओवेरियन सिस्ट : डरमॉइड सिस्ट कभी-कभी ट्विस्ट हो जाते हैं, जिसके कारण भी तेज दर्द होता है. ऐसे में आॅपरेशन करके ओवरी को नॉर्मल पोजीशन में लाया जाता है. यदि ओवरी का रंग काले से दोबारा सामान्य हो जाये, तो उसे निकालने की जरूरत नहीं पड़ती है. तब केवल सिस्ट को निकाल कर ओवरी को बचाया जा सकता है.

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