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इबोला- तुरंत जांच के लिए नई पद्धति

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इबोला वायरस के द्वारा फैलने वाला संक्रामक एवं घातक रोग है. आम तौर पर इसके लक्षण वायरस के संपर्क में आने के दो दिनों से लेकर तीन सप्ताह के बीच शुरू होता है जो बहुत लम्बा समय होता है. इस समय को कम करने के लिए वैज्ञानिकों ने डीएनए द्वारा तुरंत जाँच करने वाली पद्धति […]

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इबोला वायरस के द्वारा फैलने वाला संक्रामक एवं घातक रोग है. आम तौर पर इसके लक्षण वायरस के संपर्क में आने के दो दिनों से लेकर तीन सप्ताह के बीच शुरू होता है जो बहुत लम्बा समय होता है. इस समय को कम करने के लिए वैज्ञानिकों ने डीएनए द्वारा तुरंत जाँच करने वाली पद्धति को खोज निकाला है.

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वैज्ञानिकों ने जानलेवा इबोला वायरस की तुरंत जांच के लिए डीएनए आधारित रक्त जांच पद्धति विकसित की है. इस जांच के जरिए चिकनगुनिया और हेपेटाइटिस-सी जैसे वायरस की जांच भी संभव हो सकेगी.

सैन फ्रांसिस्को स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं ने दो अफ्रीकी मरीजों के सुरक्षित रखे गए खून के नमूनों में इबोला के खास जेनेटिक चिह्न को पहचाना. नमूने की जांच में कुल पांच घंटे का समय लगा, जबकि डीएनए सीक्वेंसिंग में महज 10 मिनट का ही समय लगा.

इसी प्रयोग के दौरान शोधकर्ताओं ने ऐसे व्यक्ति में त्वरित रूप से चिकनगुनिया के वायरस की पहचान की जिसने सिर्फ बुखार और जोड़ों के दर्द की शिकायत की थी. किसी नमूने में उपस्थित वायरस की जानकारी के बिना सभी डीएनए को जांचने की इस पद्धति को मेटाजीनोमिक एनालिसिस कहा जाता है.

विशेषज्ञों ने इसके जरिए हेपेटाइटिस-सी के वायरस की भी सफलतापूर्वक पहचान की है.

सहायक प्रोफेसर चाल्स ने कहा कि यह पद्धति कम सुविधाओं वाले विकासशील देशों के लिए बेहद लाभकारी हो सकती है. यह उन जगहों पर भी कारगर है जहां प्रयोगशाला या चिकित्सकीय सुविधाओं की कमी होती है.

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