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बदलती जीवन शैली से बढ़ रहे हैं हृदय रोग

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मनुष्य के हृदय का आकार मुट्ठी भर बड़ा, 12 आउंस भार एवं लाल-भूरे रंग का, एक मिनट में औसतन 70-80 बार धड़कता है. हृदय को ऊर्जा पेंसिल की नोंक की गोलाई जितनी मोटी दो मुख्य कोरोनारी धमनियों और उनसे निकली शाखाओं से मिलती है. यह शाखाएं हृदय के हर हिस्से में फैली हुई होती है […]

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मनुष्य के हृदय का आकार मुट्ठी भर बड़ा, 12 आउंस भार एवं लाल-भूरे रंग का, एक मिनट में औसतन 70-80 बार धड़कता है. हृदय को ऊर्जा पेंसिल की नोंक की गोलाई जितनी मोटी दो मुख्य कोरोनारी धमनियों और उनसे निकली शाखाओं से मिलती है. यह शाखाएं हृदय के हर हिस्से में फैली हुई होती है और उसकी शक्तिशाली पेशियों को आक्सीजन और ग्लूकोज पहुंचाने का कार्य करती है. कोरोनारी धमनियां आवश्यकतानुसार फैल सकती हैं.

इसके भीतर रक्त का बहाव बढ़ जाता है और हृदय को अधिक रक्त मिलने लगता है, इसी से रक्त का बहाव बढ़ जाता है और इसी से हमारा हृदय अत्यधिक शारीरिक श्रम, मानसिक तनाव, आघात, दु:ख या अत्यधिक प्रसन्नता से उत्पन्न हुई असहज स्थितियों में भी सहजतापूर्वक कार्य करता है. यह जानकारी कन्सलटेंट कार्डियोथोरेसिस एंड वसक्युलर सजर्री के विशेषज्ञ (फोरटीज होस्पीटल) डॉ के एम मन्दना ने दी.

उन्होंने बताया कि हृदय की धमनियों में उत्पन्न रूकावट उसके एक भाग में पहुंचने वाली रक्त की आपूर्ति को कम या पूरी तरह बंद कर देता है, उससे रक्त में थक्के (क्लाट) का निर्माण होता है, जो हृदय धमनियों (कोरोनरी आर्टरी) में रक्त प्रवाह को पूरी तरह रोक देता है, इसी का परिणाम होता है (हार्ट अटैक) जिसे एक्यूट मायोकार्डियल इन्फार्कशन (ए.एम.आई.) भी कहते हैं. 90 प्रतिशत रोगियों में यह रोग कोरोनारी धमनियों में संकुचन आने से प्रारंभ होता है. यह संकुचन धमनियों में वसा की परतें जमने से आता है. वसा जमा होने से धमनियों में लचीलापन समाप्त हो जाता है, यह प्रक्रिया एथिरोस्केलोरोसिस कहलाती है. रक्त में कोलेस्ट्रोल की अधिकता, धूम्रपान, उच्च रक्तचाप डायबिटिज (मधुमेह), आनुवंशिकी हृदय की बीमारी मोटापा, शारीरिक निष्क्रियता, सिन्ड्रोम-एक्स, मनोसामाजिक कारण एंव असन्तुलित आहार एवं व्यायाम की कमी कोरोनरी, धमनी रोग का कारण माने जाते हैं.

कोलोस्ट्रोल-ट्राइग्लिराइड्स-रक्त में कोलेस्ट्रोल जितना कम हो हृदय के लिये उतना ही अच्छा है. उन्होंने बताया कि रक्त में कोलेस्ट्राल घटाने के लिये आहार पर ध्यान दें. प्राकृतिक तौर पर कोलेस्ट्राल जानवरों से ग्रहण की जाने वाली खाने-पीने की चीजों में पाया जाता है. यह अनाज दालों और साग-सब्जियों और फलों में नहीं होता. ताजी साग-सब्जियों, फल, अंकुरित दालें साबुत अनाज का प्रयोग दिल के स्वास्थ्य की दृष्टि में गुणकारी है. मधुमेह ग्रस्त महिलाओं में हार्ट अटैक का संकट दुगुना एवं मधुमेहग्रस्त पुरुषों में यह संकट डेढ़ गुणा अधिक होता है. उच्च रक्तचाप से पीड़ित या धुम्रपान करने वालों में यह संकट कई गुना बढ़ जाता है. अत: मधुमेह रोगी को अपने रक्त शर्करा को नियंत्रण में रखना आवश्यक है.

तनाव एवं धूमपान
आधुनिक जीवन में पाये जाने वाले स्ट्रेस यानि तनाव, रक्तचाप बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. धूम्रपान करने से बचें क्योंकि धुम्रपान शरीर में मौजूद विटामिन एवं खनिज तत्वों का नाश करता है. तम्बाकू से हृदय गति और रक्तचाप तो बढ़ता ही है, साथ ही रक्त संचार प्रणाली में गतिरोध भी बढ़ जाता है.
शारीरिक निष्क्रियता एवं सिंड्रोम एक्स
नियमित व्यायाम के साथ उपयुक्त पोषक आहार लेने से हृदय की मांसपेशियों में मजबूती आती है. इसलिए नियमित रूप से व्यायाम करने की आदत डालें. शरीर में इंसुलीन की मात्र बढ़ी हुई, पेट निकलना, रक्त में ट्राइग्लिस राइडस की मात्र अधिक, उच्च रक्तचाप, मधुमेह (डायबिटीज) के साथ कोरोनरी धमनियों का रोग होता है. इस संलक्षण को सिंड्रोम एक्स का नाम दिया गया है और यह अनुवांशिक कारण से प्रेरित विकार होता है. हार्ट अटैक के लक्षण : छाती के बीचोबीच कुछ मिनट तक असहज दबाब या ऐठन वाला दर्द, दर्द का कंधों, गर्दन और बाहों तक फैलना, दर्द धीरे-धीरे तेज हो सकता है. दर्द कवास, जलन, दबाब, भारीपन महसूस करना, पेट का ऊपरी हिस्सा, गर्दन, जबड़ा तथा बाहों पर फिर कंधों के भीतर होना. छाती में बेचैनी, चंचल चित होना, चक्कर आना, सांस का छोटा होना, घबराहट, बेचैनी, ठंड, तेजी से पसीना छूटना, हृदय की गति तेज या अनियमित होना.
मोटापा
वजन बढ़ जाने से हृदय को अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ती है, इसलिए अपना वजन, आयु व लंबाई के अनुसार नियंत्रण में रखें. खानपान की आदतों में बदलाव लायें. शराब के सेवन से बचें. अति वसा युक्त आहार लेने की अपेक्षा फल, सब्जियों व दालों को अपने आहार में शामिल करें. अनुवंशिकी हृदय रोगियों में भी इसकी संभावना बढ़ सकती है. अगर निकट संबंधियों में हृदय रोगी हो तो जोखिम बढ़ जाता है.
उपचार
स्वस्थ जीवनशैली द्वारा कोलेस्ट्राल नियंत्रित होने के बावजूद हृदय रोग होता है. 60-80 के दशक में ऐंजियोप्लास्टी नामक तकनीक से धमनियों में अवरोध को एक गुब्बारे की तरह फुला कर धमनियों की दीवार में कस कर दबा दिया जाता है. परंतु इनमें लगभग 50 प्रतिशत को दोबारा अवरोध पैदा होने की संभावना बनी रहती है. 90 के दशक से ऐंजियोप्लास्टी स्टेंट तकनीक काफी प्रचलित है. इस विधि में धातु के बारीक तारों से बना जाला रूपी छतला धमनी की दीवार में गुब्बारे द्वारा कस कर बैठा दिया जाता है. स्टेंट ने ऐंजियोप्लास्टी तकनीक को एक अति सफल इलाज का तरीका बना दिया है, क्योंकि दोबारा अवरोध पैदा होने की समस्या को दवा लेपित स्टेंट ने काफी हद तक दूर कर दिया है. पहले होने वाली बाईपास सजर्री में पैर से निकाली गयी शिरायें, हृदय में लगाते थे और आज के समय कार्डियक शल्य चिकित्सकों ने एक या दोनों मेमारी धमनी को हृदय से जोड़कर न केवल इसे सुगम बना दिया है, बल्कि जीवन को 20 से 25 वर्ष से अधिक की गारंटी प्रदान कर दी. इन्हें लीमा या रीमा ग्राफ्ट कहा जाता है.
उच्च रक्तचाप
उच्च रक्तचाप से भी हृदय रोग की आशंका बढ़ जाती है, इससे कोरोनारी धमनियों में वसा जमने की प्रक्रिया बढ़ जाती है, साथ ही हृदय की मासपेशियों का आकार बढ़ जाता है, जिससे हृदय को आक्सीजन की अधिक आवश्यकता होती है, रक्तचाप जितना उच्च होगा हार्ट अटैक का संकट उतना ही अधिक बढ़ जाता है. लिहाजा इसे नियंत्रण में रखना चाहिए.
डॉ के एम मंडाना
कन्सलटेंट कार्डियोथोरेसिस एंड वसक्युलर सजर्री, फोरटीज होस्पीटल, कोलकाता
संपर्क-033-6628-4444

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