गरमी जैसे-जैसे बढ़ रही है, वैसे-वैसे डायरिया की समस्या भी बढ़ती जा रही है. खास तौर पर बच्चे और बुजुर्ग इसके शिकार अधिक होते हैं. ऐसी अवस्था में लोग प्राकृतिक रूप से भी इसका इलाज कर सकते हैं. सेमल के पेड़ की छाल इसमें अत्यंत लाभकारी है.
सेमल : इस पेड़ को कॉटन ट्री के नाम से भी जाना जाता है. वृक्ष काफी लंबे होते हैं और पूरे भारत में पाया जाता है. इसके नये पौधे की जड़ को मुसली भी कहते हैं, जो यौन रोगों को दूर करता है.
औषधीय गुण : इसकी छाल को मोचरस भी कहते हैं. इसका प्रयोग डायरिया में किया जाता है. तने की छाल के पाउडर को कपड़े से छान लें. इससे महीन पाउडर प्राप्त होगा. आधा-आधा चम्मच पाउडर को दही या मट्ठा के साथ लेने से किसी भी प्रकार के अतिसार या आंव में लाभ होता है. इसके फल व फूल को सांप का जहर उतारने में प्रयोग किया जाता है.
सलाई गुग्गुल : इसे आम बोलचाल की भाषा में सलाई सलगा भी कहते हैं. यह एक मझोले आकार का वृक्ष है. इसकी छाल लाल मिश्रित पीले या हरा मिश्रित भूरे रंग की होती है. यह झारखंड की पहाड़ियों पर पाया जाता है.
औषधीय गुण : इसके गोंद में एंटी इन्फ्लेमेट्री और एनालजेसिक गुण होते हैं. जिन्हें पसीना निकलने में परेशानी होती है, इसे खाने से पसीना सही तरीके से आता है. जोड़ों के दर्द एवं सूजन में इसके गोंद को कम मात्र में लेने से लाभ मिलता है. (आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ कमलेश प्रसाद से बातचीत पर आधारित)