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टय़ूबल ब्लॉक में मैजिक है लैपरोस्कोपिक सजर्री

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डॉ खस्तगीर ने बताया कि किसी के ट्यूबल ब्लॉक का मुख्य कारण है यूटेरस में इन्फेक्शन. यह इन्फेक्शन शारीरिक संबंध या यूरिन में इन्फेक्शन के कारण हो सकता है. ऑपेरशन या ओवरी सिस्ट के कारण भी यह हो सकता है. यूटेरस का टीबी होने से भी ट्यूबल ब्लॉक हो जाता है. फैलोपियन ट्यूब में एक्टोपिक […]

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डॉ खस्तगीर ने बताया कि किसी के ट्यूबल ब्लॉक का मुख्य कारण है यूटेरस में इन्फेक्शन. यह इन्फेक्शन शारीरिक संबंध या यूरिन में इन्फेक्शन के कारण हो सकता है. ऑपेरशन या ओवरी सिस्ट के कारण भी यह हो सकता है. यूटेरस का टीबी होने से भी ट्यूबल ब्लॉक हो जाता है. फैलोपियन ट्यूब में एक्टोपिक प्रेग्नेंसी होने से दिक्कत बढ़ सकती है.
कई लोग जानना चाहते हैं कि ट्यूब इनफेक्शन कैसे हो सकता है. बाहर से ही संक्रमण आता है- या तो गनोक्काल नहीं तो क्लैमाइडिया का उत्पात अधिक होता है. फिर भी देखा गया है कि इस तरह का यौन संक्रमण मूल रूप से पुरुष साथी से ही मिलता है. वास्तव में गर्भाशय के मुंह अथवा सर्विक्स में तो हर समय कुछ बैक्टेरिया रहता ही है. दूसरी जगह पर मुश्किल ज्यादा होती है. ट्यूब में ब्लॉक प्रारंभ हो रहा है अथवा हो सकता है कि इस समस्या में किसी खतरे का संकेत ना हो. इनफेक्शन से पेट में सामान्य दर्द हो सकता है.
कई महिलाओं को सफेद स्राव भी हो सकता है. फिर भी, ल्यूकोरिया का एकमात्र कारण ट्यूबल इनफेक्शन नहीं है. अन्य समस्याओं में भी ऐसा होता है. ट्यूबल ब्लॉक के कारण इंफर्टिलिटी की समस्या हो सकती है. रुटीन वर्कअप में सब कुछ स्पष्ट हो जाता है. फैलोपियन ट्यूब में ब्लॉक है या नहीं, यह समझने के लिए कई परीक्षणों की सहायता ली जाती है.
जैसे एचएसजी या हिस्टेरो सेल्पिंग ग्राफी टेस्ट. सर्विक्स के माध्यम से एक डाई या रंजक को प्रवेश कराने पर एक्स-रे में पूरी ट्यूब देखी जाती है. इसके अलावा गर्भाशय के मुंह पर ब्रश कर लिवी सेल निकालकर इनफेक्शन के रूप को कल्चर कर स्थिति समझी जा सकती है.
ब्लॉक का डायग्नोसिस करवाने के लिए स्पेशल अल्ट्रा सोनोग्राफी एसआइएस करायी जाती है. डायग्नोस्टिक हिस्टोरोस्कॉपी से यूटेरस के भीतर काफी अच्छी तरह दिखायी देता है. क्लैमाइडिया पीसीआर टेस्ट होता है. इसके अलावा डायग्नोस्टिक लैपरोस्कॉपिक डाई टेस्ट की सहायता से ट्यूब के बाहर कमी सीधे-सीधे देखी जाती है. डायग्नोस्टिक हिस्टोरोस्कॉपी से यूटेरस के भीतर काफी अच्छी तरह दिखायी देता है.
ट्यूबल ब्लॉक में सजर्री ही उपाय
डॉ खस्तगीर ने जानकारी दी कि फैलोपियन ट्यूब में सिलिया कितनी एक्टिव है. अनुभवी चिकित्सक पहले इस चीज को समझने की कोशिश करता है. ट्यूब में स्थित इस सिलिया का मूवमेंट ही ओवरी से ओवम को आगे बढ़ने में मदद करता है. अधिकांश इनफेक्शन में इस सिलिया की हिलने-डुबने की क्षमता नष्ट हो जाती है.
एक बात पहले ही समझ लेनी चाहिए कि ट्यूबल ब्लॉक किसी औषधि से ठीक नहीं होता है. सजर्री के अलावा कोई उपाय नहीं होता है. ट्यूबल ब्लॉक खत्म करने का रियल मैजिक अब लैपरोस्कॉपिक सजर्री है. इससे बेहतर विकल्प कुछ नहीं है. हालांकि औषधि देकर पहले इनफेक्शन को नियंत्रित किया जाता है.
लैप्रोस्कोपिक सजर्री में पेट काटकर लंबा ऑपरेशन, ब्लीडिंग, दर्द या इन्फेक्शन की कोई गुंजाइश नहीं है. लैप्रोस्कोपिक में लगे माइक्रोस्कोप से छोटी चीज को बड़ा करके देखने की सुविधा है. हॉर्मोनिक स्कैलपेल, डायाथर्मी सिजर्स के उपयोग के फलस्वरूप सबसे अधिक सुविधा रोगियों को ही होती है. वे एक दिन अस्पताल में रहकर घर जा सकते हैं. डॉ खस्तगीर ने जानकारी दी कि स्कारमार्क क्या होता है, हमारे रोगी जानते ही नहीं हैं.
छोटी-मोटी समस्या तो हम डायग्नोस्टिक लैपरोस्कॉपी के समय ही ठीक कर देते हैं. मान लेते हैं कि ट्यूब जुड़ गयी है. सैलपिंगोस्कॉपी के समय उसे अलग कर दिया जाता है. इसे सैलपिंगोलाइसिस कहा जाता है. ओवरी में ओव्यूलेशन रहने पर ओवरी ओलाइसिस, ऐडहेशन छुड़ाने में ऐडहेसि ओलाइसिस होता है. इसके अलावा पहले लाइगेशन हुआ रहने पर लैपरोस्कॉपिक सजर्री में ट्यूबो-ट्यूबल एनास्टोमैसिस किया जाता है अर्थात गैप की ब्रिजिंग संभव है. फैलोपियन ट्यूब में ब्लॉक के उपचार से इनफर्टिलिटी को दूर किया जा सकता है.
किसी-किसी मामले में ज्यादा समस्या होने पर आईवीएफ या टेस्ट ट्यूब बेबी की आवश्यकता हो सकती है. आइवीएफ मंहगी पद्धति है जबकि ट्यूबल ब्लॉक के उपचार में लैप्रोस्कोपिक का खर्चा काफी कम है. आधुनिक चिकित्सा-विज्ञान में ट्यूबल ब्लॉक का उपचार संभव है. डायग्नोस्टिक हिस्टोरोस्कॉपी से यूटेरस के भीतर की स्थिति स्पष्ट दिखायी देती है.

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